संत गोविंद महाराज पुण्यतिथि-“शांति के साधक – गोविंद महाराज”

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2025, 10:09:52 AM

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Atul Kaviraje

श्रद्धेय संत गोविंद महाराज की पुण्यतिथि (17 जून, मंगलवार) को श्रद्धांजलि देने का भाव व्यक्त किया है, वह अत्यंत पुण्य कार्य है।
वे महाराष्ट्र की संत परंपरा के एक महान स्तंभ थे — जिन्होंने त्याग, सेवा, संयम और आत्म-शुद्धि के माध्यम से जनमानस को धर्म के सच्चे मार्ग पर चलाया।

🌿 आइए प्रस्तुत करें — एक भावपूर्ण, सरल तुकबंदी वाली भक्तिभावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता (7 चरण × 4 पंक्तियाँ),
प्रत्येक चरण के साथ उसका सरल हिंदी अर्थ और प्रतीक व इमोजी भी।

🙏 कविता शीर्षक: "शांति के साधक – गोविंद महाराज"

🪔 चरण 1:
सोनगिरी की भूमि पावन, जहाँ चरण पड़े संत के 👣
जहाँ वाणी थी अमृतमयी, और भाव सच्चे अंत के 💬
संयम, सेवा, साधना, थे जीवन के दीपक 🔆
हर पल में उन्होंने जिया, भगवद्भक्ति का जापक 📿

🔹 अर्थ:
सोनगिरी की पावन धरती पर गोविंद महाराज ने संतुलित, सात्विक जीवन जीकर भक्ति का प्रचार किया।

🌾 चरण 2:
ना सुख की कामना की, ना वैभव को अपनाया ❌
त्याग और तप की राह चुनी, आत्मज्ञान को पाया 🧘
जो मिला उसी में प्रसन्न, ना कभी शिकायत की 😊
जीवन की हर धड़कन में, प्रभु की मूरत रच दी 🙏

🔹 अर्थ:
महाराज ने संतोष और त्याग को अपनाकर प्रभु का स्मरण ही जीवन का ध्येय बना लिया।

🔥 चरण 3:
धर्म ना केवल पूजा थी, बल्कि जीवन की रीति 🕉�
हर कर्म में भक्ति हो, यही उनकी थी नीति ⚖️
बोल कम, कर्म अधिक – यही संदेश दिया ✨
"सेवा में ही ईश्वर है" – ये अमृत वाक्य पिया 💧

🔹 अर्थ:
उन्होंने यह सिखाया कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि सेवा और कर्म में भी भक्ति होनी चाहिए।

🌿 चरण 4:
मन को शुद्ध करोगे जब, तभी प्रभु से मेल होगा 🪷
द्वेष, मोह और लोभ हटाओ, तब ही खेल होगा 💠
जिन्होंने भीतर झांका, वही बाहर बदले 🪞
महाराज ने आत्म-जागरण के दीपक खुद जलाए 🔥

🔹 अर्थ:
उन्होंने आत्म-शुद्धि और आंतरिक जागरण को सच्चे धर्म का मूल बताया।

📚 चरण 5:
पुस्तकें नहीं, जीवन ही बना उपदेश 📜
विनम्रता में छुपा उनका तेज, सादगी में विशेष 😌
हर शिष्य को यही सिखाया – "पहले खुद को जानो" 🧭
तभी प्रभु की कृपा पाओगे, जब 'मैं' को पहचानों 👁�

🔹 अर्थ:
उनका जीवन ही ग्रंथ था — उन्होंने स्व-चिंतन और विनम्रता को आत्मज्ञान का मार्ग बताया।

🛕 चरण 6:
सोनगिरी में गूंजता था, भजन उनका मधुर स्वर 🎶
हर आत्मा को खींच लाता, जैसे कोई अंतरि नाद पर 🔔
संतों का संग, साधना का रंग – सबको रंग देता था 🎨
धुले की धरती पर जैसे भक्ति का दीप जला देता था 🌞

🔹 अर्थ:
उनके भजनों और वचनों में इतनी शक्ति थी कि वह आत्मा को प्रभु की ओर मोड़ देते थे।

🌟 चरण 7:
आज भी उनका नाम हमें शांति का भाव दे जाता है 🕊�
जीवन को सरल बनाने का एक मार्ग दिखा जाता है 🛤�
उनकी पुण्यतिथि पर हम प्रण लें यही – 🌿
सेवा, भक्ति और संयम से जीवन रचें सभी 🙏

🔹 अर्थ:
उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

💐 श्रद्धासुमन अर्पण:
"गोविंद महाराज" – संत परंपरा के तेजस्वी नायक,
त्याग, भक्ति, और आत्मज्ञान के सच्चे दीपक को
🙏 कोटिशः नमन 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-17.06.2025-मंगळवार.
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