🏹 राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण हेतु उनका दृष्टिकोण-

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2025, 10:12:26 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण हेतु उनका दृष्टिकोण-
(राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण के लिए उनका दृष्टिकोण)
(Rama's Coronation and His Vision for Public Welfare)

यह रही एक भक्तिभावपूर्ण, अर्थपूर्ण, सीधी-सादी दीर्घ हिंदी कविता —

विषय: 🏹 राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण हेतु उनका दृष्टिकोण
(Rama's Coronation and His Vision for Public Welfare)
➡️ ०७ चरण | ०४ पंक्तियाँ प्रति चरण | सरल अर्थ | प्रतीक और इमोजी सहित 🌿👑🌞

👑 राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण हेतु दृष्टिकोण-
(Rama's Coronation and His Vision for Public Welfare)

🌞 चरण 1: अयोध्या का मंगल दिन
शंख बजे, फूल बरसे, अयोध्या में आई रौनक।
राम लौटे वन से जब, खिल उठी हर एक पलक।
राज्याभिषेक का वह क्षण, बना इतिहास महान।
धरा पर उतरे मानो, सत्य, धर्म और ज्ञान।

🪷 अर्थ:
श्रीराम के अयोध्या लौटने पर जनता में उत्सव का माहौल था। उनका राज्याभिषेक केवल एक उत्सव नहीं, धर्म की पुनः स्थापना का प्रतीक था।

🔹 प्रतीक: शंख 📯, पुष्पवर्षा 🌺, विजय पताका 🚩

🌿 चरण 2: विनम्र राजा, सेवक भाव
सिंहासन पर बैठ कर भी, मन में अहंकार न था।
प्रजा को माता मानकर, किया हर कर्तव्य सधा।
"राजा नहीं, मैं सेवक हूँ", राम ने यह बताया।
राज्य नहीं, सेवा में ही, उनका सुख समाया।

🕊� अर्थ:
राम ने राजा बनकर भी खुद को सेवक माना। उनका नेतृत्व विनम्रता और कर्तव्यभाव से भरा था।

🔹 प्रतीक: सेवाभाव 🤝, मुकुट 👑, करुणा 💖

🌸 चरण 3: रामराज्य का आदर्श रूप
जहां न भूखा कोई रहा, न अन्याय का डर।
सबको मिला सम्मान वही, न कोई छोटा, न कोई बड़ा घर।
सत्य, शांति और धर्म से, भरा रहा हर नगर।
रामराज्य बना आदर्श, मानवता का मुकुटधर।

🛕 अर्थ:
रामराज्य में कोई भूखा या पीड़ित नहीं था। सबको समान अधिकार, सुरक्षा और न्याय मिला — यही राम का लोक कल्याण था।

🔹 प्रतीक: समता ⚖️, अन्नपूर्णा 🍛, संतुलन ⚖️

🔆 चरण 4: धर्म का हुआ संरक्षण
वेदों की गूंज, सत्संग में रमे जन-मन।
धर्म, करुणा और नीति से बँधा राम का शासन-धन।
अधर्म को स्थान नहीं, लोभ-मोह भी दूर।
हर मन में बसा प्रभु राम, और विचार हुए शुद्ध-पुर।

📿 अर्थ:
रामराज्य में धर्म और सत्य को सर्वोच्च स्थान मिला। अधर्म, छल-कपट, लोभ आदि को समाज से दूर रखा गया।

🔹 प्रतीक: वेद 📘, दीपक 🪔, धर्मचक्र 🔱

🌼 चरण 5: न्याय का था सिंहासन
किसी ने यदि कहा कुछ भी, तो राम ने ध्यान दिया।
स्वयं पर भी प्रश्न उठा, तो न्यायाधिपति बनिया।
सीता को भी वन भेजा, नीति का पालन किया।
व्यक्तिगत सुख त्याग कर, राजधर्म को आगे लिया।

⚖️ अर्थ:
राम ने न्याय के लिए व्यक्तिगत भावनाओं का त्याग किया। उन्होंने राज्य के लिए कठिन निर्णय लिए, यही उनका 'लोक के प्रति समर्पण' था।

🔹 प्रतीक: तराजू ⚖️, न्यायासन 📜, नीति धर्म 📚

🌷 चरण 6: दीन-दुखियों का सहारा
अनाथ हों या रोगी, हर द्वार तक पहुंचे दवा।
राम ने कहा, "प्रजा का दुख, मेरा ही तो कष्ट हवा।"
सभी को मिली आश्रय भूमि, शिक्षा और नीति।
लोकमंगल ही बना उनका जीवन और नीति।

🌾 अर्थ:
राम ने हर स्तर के नागरिक के लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलाईं — स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान सभी को मिले।

🔹 प्रतीक: दवा 💊, पुस्तक 📚, घर 🏠

🕉� चरण 7: समर्पण और प्रेरणा का स्वरूप
राम न थे केवल राजा, थे भक्तों के प्रण।
सत्य, सेवा और परमार्थ में, बसा उनका जीवन धन।
आज भी जो करे भलाई, राम उसे मिलते हैं।
लोक-सेवा के हर पथ में, श्रीराम चलते हैं।

🙏 अर्थ:
राम केवल ऐतिहासिक पात्र नहीं, वे आज भी लोकसेवा, परमार्थ और धर्म के प्रतीक हैं। जो उनके जैसे आचरण करे, वही उनका सच्चा अनुयायी है।

🔹 प्रतीक: सेवा का दीप 🪔, श्रीराम चित्र 🏹, प्रेरणा 💫

🌺 समापन वाक्य:
"राम का राज्याभिषेक केवल एक ताज पहनना नहीं था,
वह एक व्रत था — सेवा, समर्पण, और धर्म का।
आज भी रामराज्य एक सपना नहीं,
बल्कि जीवन जीने की सबसे सुंदर संकल्पना है।" 🌸🕊�🙏

--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
===========================================