🏹 राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण के लिए उनका दृष्टिकोण-

Started by Atul Kaviraje, June 19, 2025, 10:38:00 AM

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Atul Kaviraje

राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण हेतु उनका दृष्टिकोण-
(राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण के लिए उनका दृष्टिकोण)
(Rama's Coronation and His Vision for Public Welfare)

यह रहा आपका अनुरोधित लेख — एक प्रदीर्घ, भावपूर्ण, विश्लेषणात्मक और भक्तिभाव पूर्ण हिंदी निबंध,

🏹 राम का राज्याभिषेक और लोक कल्याण के लिए उनका दृष्टिकोण-
(Rama's Coronation and His Vision for Public Welfare)

लेख में शामिल हैं:

✨ गूढ़ भावनाएँ और भक्ति रस

📜 ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण

📘 प्रसंग व उदाहरण सहित विवेचन

🎨 चित्रात्मक प्रतीक, चिन्ह और इमोजी 🌿👑🕊�

🪷 🔶 प्रस्तावना
भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक केवल एक राजा का ताज पहनना नहीं था,
बल्कि वह धर्म, न्याय, करुणा और जनसेवा का प्रतीक बन गया।

🌼 राम का जीवन त्याग, सेवा और मर्यादा की मिसाल है।
उनका राज्य — "रामराज्य" — भारतीय जनमानस की आदर्श शासन-व्यवस्था का प्रतीक है।

👑 १. राज्याभिषेक: प्रतीक्षा, परिक्षा और पराक्रम की परिणति
राज्याभिषेक की पूर्व कथा से ही हमें यह समझ आता है कि राम का जीवन केवल राजसत्ता से जुड़ा नहीं, बल्कि धर्मसत्ता का वाहन था।

📌 प्रसंग:
जब भरत ने राम को लौटकर अयोध्या का राज संभालने के लिए कहा, राम ने कहा:

"पिता की आज्ञा और धर्म का पालन ही मेरा राज्य है।"

🕊� राम के लिए राज्य कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक उत्तरदायित्व था।

👑 राज्याभिषेक के समय उन्होंने कहा:

"मैं राजा नहीं, सेवक हूँ। मेरी प्रजा ही मेरी शक्ति है।"

🌿 २. रामराज्य का स्वरूप: लोक कल्याण के मूल स्तंभ
राम के दृष्टिकोण में राज्य कोई शोषण की प्रणाली नहीं, बल्कि सेवा और परमार्थ का माध्यम था।
उन्होंने जो आदर्श शासन दिया, वह आज भी हर युग के लिए प्रेरणा है।

🌟 रामराज्य के पाँच स्तंभ:
🏛� १. न्याय (धर्माधारित शासन)
राजा राम ने न्याय को सर्वोपरि रखा।
चाहे वह सीता के त्याग का कठिन निर्णय हो या शंबूक वध — उन्होंने राजधर्म को अपनी व्यक्तिगत भावना से ऊपर रखा।

📘 उदाहरण:
सीता जी के विषय में निर्णय लेते समय राम ने कहा:

"राजा का निजी जीवन जनता के विश्वास से जुड़ा होता है।"

🌾 २. सामाजिक समानता और जनकल्याण
रामराज्य में कोई भूखा नहीं सोता था,
न कोई दुखी होता था —
🕊� "प्रजा सुखी हो, यही मेरा धर्म है" — यही उनका व्रत था।

🎯 दृष्टिकोण:

सबको समान अवसर

कर का न्यायपूर्ण वितरण

किसान, ब्राह्मण, श्रमिक सभी की सहभागिता

🩺 ३. स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा
राम ने नगर निर्माण, कुएँ, विद्यालय, औषधालय बनवाए —
सभी के लिए सुविधा, राज्य का कर्तव्य मानी।

💡 लोक कल्याण का दृष्टिकोण केवल उपदेश नहीं, योजनाओं में झलकता था।

🌸 ४. नारी सम्मान
राम का दृष्टिकोण नारी के सम्मान से जुड़ा था।
सीता त्याग का निर्णय कठिन अवश्य था, पर उन्होंने नारी की शुद्धता की समाज में प्रतिष्ठा के लिए यह किया।

🪷 नारी को आदर देना, रामराज्य की आत्मा थी।

🛡� ५. धार्मिक सहिष्णुता और आत्मिक उन्नति
राम ने कभी किसी को धर्म के आधार पर विभाजित नहीं किया।
वनवासी, निषादराज, शबरी — सभी उनके लिए प्रेम और सेवा के पात्र थे।

📿 "जो मुझे प्रेम करता है, वही मेरा है।"

📖 ३. प्रेरणादायक प्रसंग: राम का सेवाभाव
🌳 जब वनवास से लौटकर राम अयोध्या लौटे,
तो उन्होंने सबसे पहले नगरवासियों के दुख और आवश्यकता पूछी।
उन्होंने कहा:

🗨� "प्रजा मेरी आँखें है, और मैं उनका सेवक। जो उन्हें पीड़ा दे, वह मुझे स्वीकार नहीं।"

👣 राम का राज्याभिषेक उनके चरित्र का विस्तार था, न कि अहंकार का प्रारंभ।

🧘�♂️ ४. राम का दृष्टिकोण आज के लिए क्यों प्रासंगिक है?
आज जब शासन में स्वार्थ और भ्रष्टाचार व्याप्त है,

जब न्याय बिकता है और जन सेवा विलीन हो चुकी है,

तब राम का दृष्टिकोण —
"प्रजा के सुख में ही मेरा सुख"
— एक प्रकाशपुंज है। 🌟

🕊� रामराज्य कोई कल्पना नहीं, एक सशक्त शासन मॉडल है।

🔚 निष्कर्ष: राम का राज्याभिषेक — नेतृत्व का आदर्श उदाहरण
🪔 राम ने दिखाया कि राजा वही है:

जो स्वयं सबसे पीछे चले और

अपनी प्रजा को आगे बढ़ने दे।

🌼 उनका राज्याभिषेक केवल एक उत्सव नहीं,
"धर्म, सेवा और समर्पण" का एक युग आरंभ था।

🕉� समापन वाक्य:
"राम का राज्य कोई सपना नहीं,
वह हर हृदय में जन्म लेने वाला सत्य है —
जहाँ नीति, प्रेम और सेवा राज करते हैं।" 🌸👑🌿

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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