🗓️ दिनांक – 18 जून 2025, बुधवार 🌸 संत तुकाराम महाराज पालखी प्रस्थान-

Started by Atul Kaviraje, June 19, 2025, 10:47:24 AM

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Atul Kaviraje

संत तुकाराम महाराज पालकी प्रस्थान-देहू, जिला-पुणे-

🗓� दिनांक – 18 जून 2025, बुधवार
🌸 संत तुकाराम महाराज पालखी प्रस्थान विशेष लेख
📍 स्थान – देहू, जिला पुणे
🙏 भक्ति, सेवा और वाणी के संत को नमन

✨ शीर्षक: "संत तुकाराम महाराज – अभंगांची गूंज, भक्ति की संजीवनी"
🌿 "जे का रंजले गांजले | त्यासी म्हणे जो आपुले ||"
— यह संत तुकाराम महाराज की आत्मा की आवाज है। वह आवाज, जिसने समाज के हर कोने को भक्ति, प्रेम और करुणा से भर दिया।

📖 संत तुकाराम महाराज – जीवन परिचय
📍 जन्म: 1608 ई. – देहू (जिला पुणे, महाराष्ट्र)
📍 मृत्यु/समाधि: 1649 ई. – वैकुंठगमन (शरीरासह मुक्ती)
📍 भक्ति मार्ग: विठ्ठल भक्ति (वारकरी संप्रदाय)
📍 प्रमुख योगदान: अभंग वाणी, समाज सुधार, आध्यात्मिक जागरण

🙏 संत तुकाराम महाराज का कार्य
1️⃣ अभंग रचना द्वारा भक्ति जागरण
📜 तुकाराम महाराज ने 4,000 से अधिक अभंग (भक्तिपरक पद) रचे।
उनकी वाणी सामान्य जनों के लिए थी – सरल, मधुर, पर गूढ़ अर्थों से भरी हुई।

उदाहरण:

"पांडुरंगाचा नामघोष, हाच खरा सुखाचा सोस।"
(पांडुरंग का नाम ही सच्चे सुख का स्रोत है।)

2️⃣ समाज सुधारक का स्वरूप
👥 उन्होंने जात-पात, ढकोसले, बाह्य आडंबर और पाखंड का विरोध किया।
उन्होंने कहा —

"कर्मकांड नहीं, मन की शुद्धता और नामस्मरण ही असली भक्ति है।"
❗ दलित, पिछड़े और गरीबों को भी समान सम्मान देना – यही उनका संदेश था।

3️⃣ वारकरी परंपरा का प्रसार
🚶�♂️ तुकाराम महाराज वारकरी संप्रदाय के महान संतों में से एक थे।
उनकी प्रेरणा से हर वर्ष आषाढ़ी एकादशी को पंढरपुर में विठोबा के दर्शन के लिए पालखी सोहळा निकलता है।

📍 देहू से पालखी का प्रस्थान — 18 जून 2025 को
यात्रा में भक्तजन भजन-कीर्तन करते हुए संतों की पालखी के साथ चल पड़ते हैं – यह केवल यात्रा नहीं, भक्ति की लहर है।

🕊� इस दिन का महत्व – 18 जून 2025
🌟 यह दिन संत तुकाराम महाराज की पालखी प्रस्थान सोहळा का प्रतीक है।
यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धिकरण का उत्सव है।

इस दिन के मूल उद्देश्य:
🔹 संतों की शिक्षाओं को आत्मसात करना
🔹 भक्ति और साधना के मार्ग पर चलना
🔹 समाज सेवा और समता का भाव

🌿 संत तुकाराम के विचार (भक्तिभाव से)
🕉� अभंग वाक्य   🪷 अर्थ
"जे का रंजले गांजले, त्यासी म्हणे जो आपुले..." -   जो पीड़ितों को अपना माने वही सच्चा संत है।
"विठोबा नाम घेता सुख येते मनाला..."   भगवान का नाम ही सच्चा सुख देता है।
"माझे म्‍हणे पांडुरंग, त्याचे म्‍हणे देवा तू..."   मैं विठ्ठल को पुकारता हूं, और वही मुझे अपना मानता है।

📸 कल्पनात्मक दृश्य – पालखी प्रस्थान 🎨
📷 देहू गांव की गलियों से जब पालखी निकलती है...
भजन, टाळ-मृदुंग की गूंज, हजारों वारकरी भक्त सफेद वस्त्रों में, माथे पर भगवा फेटा...
पालखी में तुकाराम महाराजांची पादुका, और सब ओर "ग्यानबा तुकाराम" के घोष।
🌼👣🎶🙏🚶�♀️

🌈 प्रतीक और अर्थ
प्रतीक   अर्थ
🪔   भक्ति और प्रकाश
🕊�   शांति और मोक्ष
👣   पालखी यात्रा (वारकरी परंपरा)
📜   संतों की वाणी (अभंग)
🎶   कीर्तन और भावनात्मक जुड़ाव
🌺   श्रद्धा और समर्पण
🙏   नम्रता और संतस्मरण

💡 संदेश और संकल्प
"संत तुकाराम ने हमें दिखाया कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं,
बल्कि अपने कर्म, व्यवहार और सेवा में भी प्रभु को पाना ही असली धर्म है।"

🎯 इस दिन हम सभी संकल्प लें:
✔️ नामस्मरण करें – हर दिन विठोबा का नाम जपें
✔️ अहंकार से दूर रहें
✔️ प्रेम और समता का व्यवहार रखें
✔️ संत वाणी को अपने जीवन में उतारें

📚 निष्कर्ष
🌿 संत तुकाराम महाराज का जीवन भक्ति, त्याग, सेवा और संतवाणी का स्रोत है।
आज जब हम उनकी पालखी का स्वागत कर रहे हैं, तब यही भाव मन में होना चाहिए:

"तुका म्हणे जळो जळो अभिमान ||"
(तुकाराम कहते हैं – अहंकार जलकर भस्म हो जाए)

🌸 विठोबा नाम, संतांचा संग आणि वारकरी मार्ग – हेच खरे जीवनाचे सार!
🙏 जय तुकाराम महाराज की!
🙏 हरि विठ्ठल, श्री ज्ञानोबा-तुकाराम!

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--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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