झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पुण्यतिथि-"वीरांगना रानी की अमर कहानी"

Started by Atul Kaviraje, June 19, 2025, 10:51:55 AM

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Atul Kaviraje

📅 दिनांक: 18 जून 2025, बुधवार
🇮🇳 झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पुण्यतिथि विशेष श्रद्धांजलि
🕊� एक भक्तिभावपूर्ण दीर्घ कविता – अर्थ सहित
"मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!" – यह केवल शब्द नहीं, वीरता की अमर गाथा है।

🌺 कविता शीर्षक: "वीरांगना रानी की अमर कहानी"

🌸 1. चरण:
झांसी की धरती पर जन्मी शेरनी,
बचपन से ही बनी बहादुरी की रानी।
तलवार थाम चल पड़ी रणभूमि में,
कह डाला दुश्मन को – "मैं नहीं झुकूंगी!" ⚔️🛡�

🔹 अर्थ: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म एक साहसी और वीर आत्मा के रूप में हुआ। बचपन से ही उनमें देश के लिए लड़ने की शक्ति थी।

🌼 2. चरण:
सीखे घुड़सवारी, धनुर्विद्या, शास्त्र और नीति,
नारी होकर भी न थी किसी से कम शक्ति।
साहस के आगे झुकी सारी सेनाएँ,
रानी के जज़्बे ने गढ़ी नई कथाएँ। 🐎🏹

🔹 अर्थ: उन्होंने युद्ध की सभी कलाएँ सीखी थीं। उनका आत्मविश्वास और रणनीति उन्हें असाधारण बनाती थीं।

🌿 3. चरण:
1857 का जब ज्वाला भड़की,
अंग्रेज़ों की नींद तब जाकर उड़ती।
झांसी की रक्षा को उठी वो ज्वाला,
मातृभूमि के लिए हर कण समर्पित था सारा। 🔥🇮🇳

🔹 अर्थ: स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय था। अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध वह प्रज्वलित हुईं।

🌺 4. चरण:
हाथ में तलवार, पीठ पर बालक,
शत्रुओं के बीच बनी बिजली की चाल।
हर वार में थी देशभक्ति की गूंज,
रानी के नाम से कांपता था लंदन भी दूर। 👶⚔️👑

🔹 अर्थ: युद्ध में उन्होंने अपने छोटे पुत्र को पीठ पर बाँधकर लड़ाई लड़ी – मातृत्व और वीरता का अद्भुत संगम।

🌼 5. चरण:
18 जून की वो सुबह अनोखी थी,
झांसी की रानी आज अमर हो चली थी।
शरीर गिरा, पर आत्मा न हारी,
भारत माता की गोद में थी वो सवारी। 🌄🕊�

🔹 अर्थ: 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुईं, पर उनका बलिदान अमर हो गया।

🌿 6. चरण:
उनकी गाथा बनेगी प्रेरणा की मिसाल,
हर नारी में जगाएगी शक्ति का उजास।
नम आंखों से नमन है उन्हें आज,
भारत की रानी, अमर रहे तेरा राज। 🙏👑💐

🔹 अर्थ: आज भी उनकी शौर्यगाथा हर भारतवासी के हृदय में जोश और गर्व भरती है।

🌺 7. चरण:
"मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!" ये जोश भरा नारा,
बना हर देशभक्त का प्रेरक सहारा।
रानी लक्ष्मीबाई, देश की पहचान,
तेरे चरणों में नतमस्तक है हिंदुस्तान। 🇮🇳🔥🕊�

🔹 अर्थ: उनका उद्घोष आज भी हर देशभक्त को प्रेरणा देता है। वह भारत के गौरव की प्रतीक हैं।

🎨 चित्र की कल्पना:
कल्पना करें – एक ऊँचे किले के प्राचीर पर खड़ी रानी लक्ष्मीबाई, हाथ में तलवार, बालक को पीठ पर बाँधें, चेहरा तेजस्वी और साहसी। आकाश में तिरंगा लहरा रहा है, और दूर अंग्रेज़ी सेना पीछे हट रही है।

🌄👑⚔️🇮🇳🕊�

📜 निष्कर्ष – एक संदेश
रानी लक्ष्मीबाई केवल एक रानी नहीं थीं – वह आत्मसम्मान, देशप्रेम और वीरता की मूर्ति थीं।
उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी उन्हें नमन करें और यह संकल्प लें कि हम भी अपने राष्ट्र और सच्चाई के लिए अडिग रहेंगे।

#रानीलक्ष्मीबाई #वीरांगना #झांसी #भारतकीशान #18जून
🙏 जय हिंद! वंदे मातरम्! 🇮🇳
 
--अतुल परब
--दिनांक-18.06.2025-बुधवार.
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