संत ज्ञानेश्वर माऊली पालखी प्रस्थान - हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, June 20, 2025, 03:02:13 PM

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Atul Kaviraje

संत ज्ञानेश्वर माऊली पालखी प्रस्थान - हिंदी कविता
(7 चरण, 4 पंक्तियाँ प्रति चरण, भक्तिभावपूर्ण, सरल तुकबंदी सहित)

कविता:
1️⃣
आळंदी की पावन धरती, भक्ति की है मूरत,
ज्ञानेश्वर माऊली की छवि, है सच्चे प्रेम की झलक।
हर दिल में जागे जोश वहाँ, प्रेम का हो अद्भुत सागर,
चलती है जब पालखी, सजीव होती हर आशा। 🙏🌸

अर्थ:
आळंदी स्थान पवित्र है जहाँ संत ज्ञानेश्वर माऊली की पूजा होती है। उनकी छवि सच्चे प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। जब उनकी पालखी निकलती है तो हर दिल में उमंग और आशा जागती है।

2️⃣
आषाढ़ का महीना आया, खुशियों का पैगाम लाया,
पंढरपूर की ओर बढ़े, संत माऊली का संग लाया।
राह में गूंजे जयजयकार, भक्तों का अनमोल प्यार,
हर कदम पर है आस्था, सजती है धरती सारी। 🌿🚩

अर्थ:
आषाढ़ मास में पालखी पंढरपूर की ओर जाती है, यह समय भक्ति और खुशियों का होता है। रास्ते में भक्तों का प्रेम और जयकार गूंजता है, जिससे पूरी धरती आस्था से जगमगाती है।

3️⃣
संत ज्ञानेश्वर का संदेश, प्रेम, शांति और करुणा,
भक्ति में लीन मनुष्य हो, दूर हो हर पीड़ा।
सपनों में सजती है राह, चलती है भक्ति की गाथा,
हर मन में गूंजे मधुरता, बने जीवन की आराधना। 🌺🕊�

अर्थ:
संत ज्ञानेश्वर हमें प्रेम, शांति और करुणा का उपदेश देते हैं। भक्ति से मनुष्य को शांति मिलती है और वह दुखों से दूर होता है। उनकी गाथा जीवन को मधुरता और श्रद्धा से भर देती है।

4️⃣
भक्तों के संग पालखी चले, स्वर्गिक सा लगे सफर,
हर दिल में बसी उम्मीदें, हर मन में हो भरोसा।
ज्ञान का दीप जलाते हैं, अंधकार दूर भगाते हैं,
संत माऊली की छाया में, सब दुःख सारे मिट जाते हैं। 🔥🌟

अर्थ:
पालखी में भक्त साथ चलते हैं, जो सफर स्वर्ग की तरह लगता है। वे ज्ञान का दीपक जलाते हैं और अंधकार को दूर करते हैं। संत माऊली की छाया में हर दुख दूर हो जाता है।

5️⃣
नदियाँ, पेड़, फूल गाते, स्वागत में झूमते हैं,
भक्ति की इस लहर में, सारे जग धूमते हैं।
आळंदी से पंढरपूर तक, एकता का ये संगम,
संत ज्ञानेश्वर की पालखी, है भक्तों का अभिमान। 🌊🌼

अर्थ:
नदियाँ, पेड़-पौधे और फूल भी भक्तिपूर्ण वातावरण में खुश होते हैं। आळंदी से पंढरपूर तक यह यात्रा एकता का प्रतीक है। संत ज्ञानेश्वर की पालखी भक्तों की शान है।

6️⃣
चलते-चलते थक जाओ, पर मन न हो कभी थका,
भक्ति के इस सागर में, डूबा रहे हर सगा।
संत ज्ञानेश्वर की शक्ति, सबको देती है नया जोश,
हर दिल में भर दे उत्साह, करे जीवन को सबको रोश। ⚡❤️

अर्थ:
यात्रा में थकान हो सकती है, लेकिन मन को कभी हार नहीं माननी चाहिए। भक्ति के सागर में डूबे रहना चाहिए। संत ज्ञानेश्वर की शक्ति हर किसी को नई ऊर्जा और उत्साह देती है।

7️⃣
जय हो संत माऊली की, जिनसे बढ़ती ये श्रद्धा,
आळंदी से पंढरपूर तक, फैलती है प्रेम की वेदना।
हम सब मिलकर करें प्रण, भक्ति में रहें हम सदा,
संत ज्ञानेश्वर माऊली की पालखी रहे अमर, सदाबहार। 🙌🕉�

अर्थ:
संत माऊली की जय हो, जिनसे भक्ति की श्रद्धा बढ़ती है। आळंदी से पंढरपूर तक प्रेम का संदेश फैलता है। हम सब प्रण लें कि सदैव भक्ति में रहेंगे और इस पालखी की परंपरा को जीवित रखेंगे।

✨ प्रतीक और इमोजी:
🙏🌸🌿🚩🌺🕊�🔥🌟🌊🌼⚡❤️🙌🕉�

संत ज्ञानेश्वर माऊली पालखी प्रस्थान
आळंदी से पंढरपूर तक, यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक एकता और भक्तिभाव की महान धरोहर है। यह दिन हमें प्रेम, करुणा, और आत्मिक शक्ति से भर देता है।

--अतुल परब
--दिनांक-19.06.2025-गुरुवार.
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