"योगिनी स्मार्त एकादशी का भक्तिभावपूर्ण महत्व"-21 जून 2025, शनिवार 🕉️🌙📿🌿🙏🪔

Started by Atul Kaviraje, June 22, 2025, 09:58:09 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

योगिनी स्मार्त एकादशी-

🌺 हिन्दी लेख: "योगिनी स्मार्त एकादशी का भक्तिभावपूर्ण महत्व"
📅 तारीख: 21 जून 2025, शनिवार
🕉�🌙📿🌿🙏🪔

✨ भूमिका:
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। जब यह व्रत स्मार्त विधि से (गृहस्थों द्वारा) किया जाता है, तो इसे योगिनी स्मार्त एकादशी कहते हैं। यह एकादशी व्रत पुण्य, उपासना और मोक्ष का द्वार है।

यह दिन न केवल शरीर और मन की शुद्धि का अवसर है, बल्कि भगवान विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति, श्रद्धा और संयम का प्रतीक भी है।

🕉� यह दिन "पापों का नाश और सद्गति का मार्ग" माना गया है।

🪔 लेख संरचना: 10 मुख्य बिंदुओं में विस्तृत विवेचन
1. 🗓� योगिनी एकादशी की तिथि और पारंपरिक स्थिति:
योगिनी एकादशी हर वर्ष आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है। वर्ष 2025 में यह 21 जून, शनिवार को पड़ी है।

📜 यह स्मार्त परंपरा में विशेष महत्व रखती है और विशेष रूप से गृहस्थों द्वारा व्रत-पूजन के लिए मान्य मानी जाती है।

2. 🙏 धार्मिक महत्व:
योगिनी एकादशी को अधर्म, रोग, भय और दोषों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहा गया है। यह भगवान विष्णु की उपासना के लिए उत्तम दिन माना जाता है।

🪔 उदाहरण: शास्त्रों में कहा गया है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है।

3. 📖 पौराणिक कथा – हेममाली की कथा:
🧞�♂️ कुबेर का एक सेवक हेममाली, अपनी पत्नी में आसक्त हो गया और अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती। कुबेर ने उसे शाप देकर कुष्ठ रोगी बना दिया। उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसे रोग और पापों से मुक्ति मिली।

🌿 यह कथा व्रत की शक्ति और भगवान विष्णु की कृपा का प्रमाण है।

4. 🌙 व्रत विधि और नियम:
योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखा जाता है, व्रती रात्रि जागरण करता है और भगवत नाम का संकीर्तन करता है।

📿 मुख्य नियम:

एक दिन पूर्व सात्विक भोजन (एक समय)

एकादशी पर जल और फलाहार से उपवास

रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ

द्वादशी को ब्राह्मण भोजन और दान

5. 🌼 भक्ति का भाव और आत्मशुद्धि:
इस व्रत का मूल उद्देश्य केवल शरीर का संयम नहीं, बल्कि मन की पवित्रता और आत्मा की शुद्धि है।

🧘�♂️ भक्ति, ध्यान और साधना के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर के निकट आता है।

📌 उदाहरण: कई साधक इस दिन भगवान विष्णु के चरणों में तुलसी पत्र अर्पण करते हैं और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करते हैं।

6. 🌄 प्रतीकात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा:
एकादशी व्रत केवल शरीर की तपस्या नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को जगाने का माध्यम है। यह दिन विष्णु तत्व को जागृत करता है।

🪷 प्रतीक:

🌙 चंद्रमा – मन का प्रतीक

📿 जपमाला – साधना

🔥 दीप – ज्ञान और पवित्रता

🌿 तुलसी – भक्ति और शुद्धि

7. 🏠 गृहस्थ जीवन में इसकी भूमिका:
स्मार्त परंपरा गृहस्थ जीवन में धर्म और संयम का संतुलन सिखाती है। योगिनी एकादशी का व्रत परिवार में धार्मिक एकता और मानसिक स्थिरता लाता है।

👨�👩�👧�👦 उदाहरण: माता-पिता अपने बच्चों को व्रत की महिमा बताते हैं, जिससे भावी पीढ़ी में भक्ति की भावना पुष्ट होती है।

8. 🍲 व्रत आहार और स्वास्थ्य लाभ:
इस दिन उपवास द्वारा पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है, शरीर विषहरण करता है। फलाहार में फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़ा, मूंगफली आदि का सेवन होता है।

🍎 उदाहरण: व्रत रखने से शरीर में सत्वगुण की वृद्धि होती है और आलस्य कम होता है।

9. 📸 सांस्कृतिक चित्र और भावाभिव्यक्ति:
| 🔯 | विष्णु भगवान – पालनकर्ता और शरणदाता
| 🌿 | तुलसी – भक्ति और शुद्ध प्रेम
| 📿 | जपमाला – निरंतर साधना
| 🕯� | दीपक – प्रकाश और आशा
| 📘 | कथा – जीवन में नैतिक शिक्षा का स्रोत

🖼� कल्पित चित्रों के उदाहरण:

भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हुए

व्रत करती हुई महिला तुलसी के समक्ष

दीप जलाकर संकीर्तन करते श्रद्धालु

मंदिरों में सजावट और भजन कीर्तन

10. 🌸 निष्कर्ष – एकादशी: जीवन को सरल और पवित्र बनाने की साधना:
योगिनी स्मार्त एकादशी केवल धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और मोक्ष की सीढ़ी है। यह व्रत हमें सिखाता है कि संयम, श्रद्धा और भक्ति के बल पर कोई भी जीवन रूपांतरित किया जा सकता है।

🌺 यह दिन भक्त को ईश्वर के निकट लाकर जीवन को संतुलन, पवित्रता और उद्देश्य देता है।

✍️ उपसंहार:
"भक्ति वह दीपक है जो भीतर की अंधकार को जलाकर आत्मा में ईश्वर की रोशनी भरता है। योगिनी एकादशी उसी दीपक को जलाने का पावन अवसर है।" 🪔🌿🕉�

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-21.06.2025-शनिवार.
===========================================