संत निवृत्तीनाथ यात्रा – त्र्यंबकेश्वर-“विरक्ति के पथिक – निवृत्तीनाथ यात्रा”🕉️

Started by Atul Kaviraje, June 22, 2025, 10:04:13 AM

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Atul Kaviraje

📅 दिनांक: 21 जून 2025 – शनिवार
🛕 विषय: संत निवृत्तीनाथ यात्रा – त्र्यंबकेश्वर
📜 शैली: भक्ति भावपूर्ण, सरल तुकांत हिन्दी कविता – 7 चरण (प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ)
💫 विश्लेषण सहित, प्रत्येक चरण का अर्थ + प्रतीक व भावचित्र (Emojis & Symbols)
🕉�🚩🙏📿🛕🌄👣🌼

🌺 कविता शीर्षक:
"विरक्ति के पथिक – निवृत्तीनाथ यात्रा"

🚩 चरण 1:
त्र्यंबक की पावन धरती पर, नाथों की गूँजे बीन,
निवृत्तीनाथ की जय बोलें, भक्तों की हो रैन-तीन।
आषाढ़ में जब यात्रा निकले, भक्ति बहाए धार,
वैराग्य के पदचिह्नों से, जग पाए आत्मा सार।

📿 अर्थ:
त्र्यंबकेश्वर की भूमि पर संत निवृत्तीनाथ की यात्रा जब निकलती है, तब भक्ति की लहरें उमड़ पड़ती हैं। यह यात्रा आत्मा को वैराग्य और साधना की ओर प्रेरित करती है।

🌄 चरण 2:
मुक्ति की ओर जो बढ़े पथ, वह संतों ने दिखलाया,
गृहस्थ में रह वैराग साधा, प्रेम का दीप जलाया।
निवृत्तीनाथ की पदयात्रा, सेवा की परिभाषा,
हर कदम पर त्याग खिला, हर पग पर प्रकाशा।

🌼 अर्थ:
संत निवृत्तीनाथ ने गृहस्थ में रहते हुए भी वैराग्य का पालन कर आदर्श प्रस्तुत किया। उनकी यात्रा सेवा, त्याग और साधना का जीवंत चित्र है।

🛕 चरण 3:
नाथ पंथ का गूढ़ संदेश, आत्मन को जानो तुम,
देह-बंधन से मुक्त हो, चित्त में हो परम गुम।
त्र्यंबक का शिवस्मरण जब, नाथों संग हो जाए,
भक्ति का स्वर वैराग्य में, मधुर विरह बन जाए।

🕉� अर्थ:
नाथ संप्रदाय आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। संत निवृत्तीनाथ की यात्रा में शिव और आत्मा के मिलन की भक्ति भावना प्रकट होती है।

🙏 चरण 4:
पालखी में विराजे संत, उनके चरणों का रज,
भक्तगण नाचें संकीर्तन में, हर पल बने सहज।
दीन-दुखियों की सेवा कर, संकल्पों को साधें,
विरक्ति के इस मेले में, हर जीव तराजू बाँधें।

🎶 अर्थ:
पालखी यात्रा में संत की उपस्थिति भक्तों को आनंदित करती है। इस दौरान भजन, सेवा और साधना का वातावरण बनता है – और यह आत्मिक शांति का मार्ग बन जाता है।

👣 चरण 5:
हर वर्ष जो यात्रा निकले, वह न हो बस परंपरा,
वह बन जाए आत्मचिंतन की, चलती हुई धारा।
निवृत्तीनाथ की स्मृति में, हो मन का नवसृजन,
यात्रा बाह्य नहीं भीतर की, यही हो सच्चा वंदन।

🪔 अर्थ:
संतों की यात्रा केवल एक रिवाज नहीं, आत्मचिंतन और भीतर के जागरण की प्रक्रिया है। यह यात्रा हमारे भीतर भी एक आध्यात्मिक परिवर्तन की राह खोलती है।

📿 चरण 6:
मुक्ति के राजमार्ग पर, जो सच्चा पथिक बने,
निवृत्तीनाथ की पदवाणी में, जीवन का सार तने।
नाथों का यह सत्संग हमें, सच्चा योग सिखाए,
संघर्षों में भी शांत रहो, यह संकल्प दिलाए।

🌿 अर्थ:
संत निवृत्तीनाथ की शिक्षा जीवन को तप, समता और योग की ओर ले जाती है। उनका पथ संघर्षों में भी संतुलन और भीतर की स्थिरता का पाठ सिखाता है।

🌟 चरण 7:
भक्ति से वैराग्य जोड़े, सेवा से आत्म-प्रकाश,
संत निवृत्ति की यात्रा है, मुक्ति की अनुपम आश।
त्र्यंबक के चरणों में फिर, मन हो समर्पित सदा,
नाथ संप्रदाय की ज्योति से, मिटे अज्ञान की सदा।

🕯� अर्थ:
यह यात्रा भक्ति, सेवा, वैराग्य और आत्मबोध का समागम है। संत निवृत्तीनाथ की कृपा और शिवचरणों में समर्पण से आत्मा को मुक्ति की राह मिलती है।

🔆 कविता सारांश (भावार्थ):
यह कविता संत निवृत्तीनाथ यात्रा को केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति, आत्मपरिष्कार और वैराग्य के आंतरिक पर्व के रूप में प्रस्तुत करती है।
नाथ परंपरा का यह आयोजन भीतर की यात्रा के लिए प्रेरणा बनता है।

🎨 प्रतीक और भावचित्र (Emojis & Symbols):
| 🚩 | यात्रा का ध्वज – प्रतीकभक्ति
| 🛕 | त्र्यंबकेश्वर मंदिर – साधना का केंद्र
| 📿 | नाथ परंपरा – ध्यान व मार्गदर्शन
| 🙏 | संतों के चरण – श्रद्धा
| 🌄 | यात्रा पथ – आत्म विकास
| 👣 | पदचिह्न – संतों की शिक्षाएँ
| 🕯� | ज्योति – आत्मप्रकाश

--अतुल परब
--दिनांक-21.06.2025-शनिवार.
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