🙏 गोदावरीदास महाराज पुण्यतिथि-"गोदावरी अमृतधारा"

Started by Atul Kaviraje, June 24, 2025, 10:27:36 AM

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Atul Kaviraje

🙏 गोदावरीदास महाराज पुण्यतिथि विशेष
📅 दिनांक: 23 जून 2025 | सोमवार
📍 स्थल स्मरण: कवठे महांकाळ
🕉� विषय: भक्ति, सेवा और संतत्व की प्रेरणादायी कविता

📝 कविता शीर्षक: "गोदावरी अमृतधारा"

🪔 हिंदी कविता (७ चरण | ४ पंक्तियाँ प्रति चरण | तुकांत यमक सहित)

🌼 चरण १: जन्म व बचपन
गोदावरी की पुण्य बही, संत जनों का नाम।
मात-पिता की गोदी में, खिली भक्तिरस धाम॥
संस्कारों से पल्लवित, बाल मन था शांत।
जन्म लिया जो पुण्य से, हुआ वह दिव्य संत॥

🔸अर्थ: गोदावरीदास महाराज का जन्म एक भक्तिपरंपरा से समृद्ध परिवार में हुआ, और उनका बचपन शांत, सरल और भक्तिमय था।

🔱 चरण २: भक्ति का अंकुर
राम नाम की लगन लगी, जीवन का संकल्प।
हर श्वास में समर्पित, प्रभु भक्ति का तंत्र॥
बाल्यकाल से साधना, कीर्तन प्रेम अपार।
संतों की संगत मिली, मन हुआ निर्मल पार॥

🔸अर्थ: बाल्यकाल से ही उन्होंने राम नाम में रुचि ली और साधना को जीवन का आधार बना लिया।

🙏 चरण ३: समाज सेवा
गरीबों को अन्न दिया, पीड़ितों को हाथ।
संत बनकर उन्होंने, मिटाए दुःख के घात॥
जाति-पांति के भेद में, उन्होंने न देखा रंग।
समभाव से किया सेवा, बाँट दिया सत्संग॥

🔸अर्थ: उन्होंने समाज के हर वर्ग की सेवा की, भेदभाव से परे जाकर सभी में ईश्वर देखा।

🕊� चरण ४: साधना और तपस्या
ध्यानस्थ बन तप करते, गोमुखी जप साथ।
राम नाम का जाप हो, यही बस एक बात॥
एकांत में भी सेवा, भीतर प्रेम बहार।
आत्मा को प्रभु में रचाया, पाया ब्रह्म आकार॥

🔸अर्थ: उन्होंने गहन तपस्या व ध्यान साधना द्वारा आत्मा को प्रभु से एकाकार किया।

🎶 चरण ५: कीर्तन व उपदेश
कीर्तन में भाव उठे, जैसे बहता नाद।
शब्दों में होता ज्यों, ब्रह्मा का संवाद॥
उनके भजन सुन जो भी, होता निर्मल भाव।
हृदय सजे श्रद्धा से, मिटे सभी दुराव॥

🔸अर्थ: उनके कीर्तन गहन आध्यात्मिक भाव लिए होते थे, जिससे श्रोताओं के मन निर्मल हो जाते।

🪷 चरण ६: अंत समय व शिक्षाएँ
समर्पित जीवन शांत था, अंत भी था तेज।
सिखा गए सेवा-स्नेह, भक्ति का सटीक वेद॥
पुण्यतिथि पर स्मरण हो, उस प्रकाश स्वरूप।
जो हर जन में बाँट गए, प्रेम का अनुपम रूप॥

🔸अर्थ: उनकी मृत्यु भी शांत और दिव्य थी। उन्होंने जीवनभर प्रेम, सेवा और भक्ति का प्रसार किया।

🌺 चरण ७: हमारी श्रद्धांजलि
हे गोदावरी संत प्रभो, वंदन बारंबार।
आपकी ही कृपा से, जागे हृदय विचार॥
हम भी सेवा भाव लें, चलें वही पथ चार।
भक्ति से जीवन जिएँ, यही हो जीवन सार॥

🔸अर्थ: हम आपके चरणों में वंदन करते हैं और संकल्प लेते हैं कि आपके मार्ग पर चलेंगे।

🖼� प्रतीक व चित्र संकेत:
🌊 गोदावरी नदी – जीवनधारा और आध्यात्म

🔥 धूप व दीपक – साधना की आंच

🎶 ताम्बूरा व मृदंग – कीर्तन की गूंज

🙏 संत मुद्रा – सेवा और समर्पण

🕊� शांति कबूतर – संतत्व की करुणा

🌈 इमोजी सारांश:
इमोजी   अर्थ
🙏   श्रद्धा और भक्ति
🔱   संतत्व और मार्गदर्शन
🌊   गोदावरी जीवनधारा
🪔   साधना व ज्योति
🎶   कीर्तन व भजन
🕊�   शांतिपूर्ण समाज
💖   प्रेममय सेवा

🪔 संक्षिप्त निष्कर्ष:
गोदावरीदास महाराज केवल संत नहीं, समाज के प्रेरणास्तंभ थे। उन्होंने भक्ति, सेवा और सच्चे मानव मूल्यों की शिक्षा दी। उनकी पुण्यतिथि पर हमें यही संकल्प लेना चाहिए —
"हम भी बने सेवा के दीप, और समाज को करें प्रकाशमय।"

--अतुल परब
--दिनांक-23.06.2025-सोमवार.
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