देवी काली और 'कला में योगदान'-

Started by Atul Kaviraje, June 27, 2025, 10:14:07 PM

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Atul Kaviraje

देवी काली और 'कला में योगदान'-
(देवी काली का कला में योगदान)
(Goddess Kali's Contribution to the Arts)

देवी काली और कला में उनका योगदान-
भारत की आध्यात्मिक परंपरा में देवी काली को अक्सर एक रौद्र और भयानक स्वरूप में देखा जाता है, पर उनका महत्व केवल विनाश तक सीमित नहीं है। वे सृष्टि, स्थिति और संहार की अधिष्ठात्री देवी हैं, और उनका रूप स्वयं में एक गहरा कलात्मक और प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। काली का तांडव, उनका नग्न स्वरूप, मुंडमाला और खड्ग – ये सभी कला, सौंदर्यबोध और सृजनात्मक ऊर्जा के विभिन्न आयामों को दर्शाते हैं। वे जीवन के उन गहन सत्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिन्हें कला के माध्यम से ही अभिव्यक्त किया जा सकता है। 🎨🙏

भक्तिभावपूर्ण कविता
यह कविता देवी काली और कला में उनके योगदान के गहरे दर्शन को दर्शाती है:

पहला चरण:

काली माँ हैं शक्ति रूपा,
कला में भी उनका ही कूपा।
भयभीत करे उनका स्वरूप,
ज्ञान का देती दिव्य अनूपा।

अर्थ: काली माँ शक्ति का रूप हैं, और कला में भी उन्हीं का वास है। उनका स्वरूप भले ही डराए, पर वे अद्वितीय दिव्य ज्ञान देती हैं। 💪🎨

दूसरा चरण:

नग्नता उनकी है प्रतीक,
सत्य की दिखलाती वो सीख।
बिना किसी आडंबर के,
कला को करती हैं वो ठीक।

अर्थ: उनकी नग्नता प्रतीक है सत्य की, जो हमें सच्चाई सिखाती है। बिना किसी दिखावे के, वे कला को सही दिशा देती हैं। 🖼�🌟

तीसरा चरण:

मुंडमाला है ज्ञान का सार,
जीवन-मृत्यु का है ये द्वार।
कलाकार इसमें देखे जीवन,
सृष्टि का अद्भुत विस्तार।

अर्थ: मुंडमाला ज्ञान का सार है, यह जीवन और मृत्यु का द्वार है। कलाकार इसमें जीवन को देखता है, और सृष्टि के अद्भुत विस्तार को महसूस करता है। 💀🔄🌌

चौथा चरण:

तांडव उनका रौद्र नृत्य,
विनाश में भी है कला का कृत्य।
हर भंगिमा में है सृजन,
जीवन चक्र का अद्भुत सत्य।

अर्थ: उनका तांडव एक रौद्र नृत्य है, जिसमें विनाश में भी कला का कार्य छिपा है। हर मुद्रा में सृजन है, जो जीवन चक्र का अद्भुत सत्य बताता है। 💃🌪�

पांचवा चरण:

चित्रकला में रूप उनका,
स्थापत्य में भी है बलवान।
कवियों की कलम में वो,
संगीत में उनका ही गान।

अर्थ: चित्रकला में उनका रूप है, और मूर्तियों में भी उनकी शक्ति है। कवियों की कलम में वे हैं, और संगीत में उन्हीं का गान है। 🖌�🏛�✍️🎶

छठा चरण:

कुरुपता में भी सुंदरता,
यही सिखाती माँ काली।
जीवन के हर पहलू को,
कला में करती खुशहाली।

अर्थ: कुरूपता में भी सुंदरता होती है, यही माँ काली सिखाती हैं। वे जीवन के हर पहलू को कला में खुशहाल बनाती हैं। 🎭✨

सातवां चरण:

कलाकार का मन है दर्पण,
काली माँ का होता दर्शन।
सत्य, सौंदर्य, शक्ति का मेल,
मिले मोक्ष, हो जाए तर्पण।

अर्थ: कलाकार का मन एक दर्पण है, जिसमें काली माँ के दर्शन होते हैं। सत्य, सौंदर्य और शक्ति का यह मेल मोक्ष दिलाता है, और जीवन को तृप्त करता है। 🪞🕉�

कविता का सारांश 📝
यह कविता देवी काली के रौद्र स्वरूप में छिपी कलात्मकता और सृजनात्मक ऊर्जा को उजागर करती है। यह बताती है कि कैसे उनकी नग्नता सत्य का, मुंडमाला ज्ञान और जीवन-मृत्यु चक्र का, और तांडव नृत्य विनाश के भीतर छिपे सृजन का प्रतीक है। कविता इस बात पर जोर देती है कि काली माँ कला के विभिन्न रूपों जैसे चित्रकला, मूर्तिकला, काव्य और संगीत में कैसे अपना योगदान देती हैं, और कैसे वे कलाकारों को जीवन के गहरे सत्यों को सौंदर्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की प्रेरणा देती हैं। यह हमें कुरूपता में भी सुंदरता खोजने और कला के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करने का संदेश देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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