अंबाबाई के ‘अष्टलक्ष्मी’ स्वरूप की पूजा और उसका सांस्कृतिक महत्व-

Started by Atul Kaviraje, June 27, 2025, 10:14:43 PM

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Atul Kaviraje

अंबाबाई के 'अष्टलक्ष्मी' स्वरूप की पूजा और उसका सांस्कृतिक महत्व-
(The Worship of Ambabai's 'Ashtalakshmi' Form and Its Cultural Significance)

अंबाबाई के 'अष्टलक्ष्मी' स्वरूप की पूजा और उसका सांस्कृतिक महत्व-
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में विराजमान श्री महालक्ष्मी (अंबाबाई) का मंदिर एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है। यहाँ देवी को न केवल महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है, बल्कि उनके 'अष्टलक्ष्मी' स्वरूप का भी विशेष महत्व है। यह पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गहन सांस्कृतिक परंपरा है जो समृद्धि, शक्ति और समग्र कल्याण के भारतीय दर्शन को दर्शाती है। अंबाबाई का अष्टलक्ष्मी स्वरूप हमें जीवन के आठ विभिन्न आयामों में पूर्णता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। 💖🙏

भक्तिभावपूर्ण कविता
यह कविता अंबाबाई के अष्टलक्ष्मी स्वरूप की पूजा और उसके सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है:

पहला चरण:

कोल्हापुर में अंबाबाई,
महाशक्ति की ज्योति लाई।
अष्टलक्ष्मी का रूप धारे,
समृद्धि घर-घर फैलाई।

अर्थ: कोल्हापुर में अंबाबाई (महालक्ष्मी) शक्ति की दिव्य ज्योति लेकर आई हैं। वे अष्टलक्ष्मी का रूप धारण करके हर घर में समृद्धि फैलाती हैं। 🌟🌸

दूसरा चरण:

आदि लक्ष्मी से हो आरंभ,
जीवन का हर सुख आरंभ।
धन, धान्य और गज लक्ष्मी,
भरती जीवन का हर अंग।

अर्थ: आदि लक्ष्मी से शुरुआत होती है, जीवन के हर सुख का आरंभ होता है। धन, धान्य (अन्न) और गज लक्ष्मी जीवन के हर पहलू को भर देती हैं। 💰🌾🐘

तीसरा चरण:

संतान लक्ष्मी दे सुख प्यारा,
वंश को करे वो उजियारा।
धैर्य लक्ष्मी दे हिम्मत,
मिटाए हर भय का अंधियारा।

अर्थ: संतान लक्ष्मी प्यारा सुख देती हैं, और वंश को प्रकाशित करती हैं। धैर्य लक्ष्मी हिम्मत देती हैं, और हर भय के अंधकार को मिटा देती हैं। 👨�👩�👧�👦💪

चौथा चरण:

विजय लक्ष्मी की हो जय-जयकार,
हर बाधा को करे वो पार।
विद्या लक्ष्मी दे ज्ञान-बुद्धि,
खोल दे शिक्षा का हर द्वार।

अर्थ: विजय लक्ष्मी की जय-जयकार हो, वे हर बाधा को पार करती हैं। विद्या लक्ष्मी ज्ञान और बुद्धि देती हैं, और शिक्षा के हर द्वार को खोल देती हैं। 🏆📚

पांचवा चरण:

हर आयाम में पूर्णता है,
अंबाबाई की कृपा से।
संतुलन का देती संदेश,
जीवन चले सहजता से।

अर्थ: अंबाबाई की कृपा से जीवन के हर आयाम में पूर्णता आती है। वे संतुलन का संदेश देती हैं, जिससे जीवन सहजता से चलता है। ⚖️🧘�♀️

छठा चरण:

सांस्कृतिक महत्व है गहरा,
जोड़े समाज का हर चेहरा।
एकता का पाठ पढ़ाती,
फेंके भेद का हर घेरा।

अर्थ: इसका सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है, यह समाज के हर हिस्से को जोड़ता है। यह एकता का पाठ पढ़ाती है, और भेदभाव के हर घेरे को तोड़ देती है। 🤝🌍

सातवां चरण:

नारी शक्ति का प्रतीक माँ,
भर दे जीवन में उमंग।
अष्टलक्ष्मी की जय बोलो,
बढ़ो सदा सुख के संग।

अर्थ: माँ नारी शक्ति का प्रतीक हैं, वे जीवन में उत्साह भर देती हैं। अष्टलक्ष्मी की जय बोलो, और हमेशा सुख के साथ आगे बढ़ो। 👩�🦰💖

कविता का सारांश 📝
यह कविता कोल्हापुर की अंबाबाई के 'अष्टलक्ष्मी' स्वरूप की पूजा और उसके गहन सांस्कृतिक महत्व पर केंद्रित है। यह बताती है कि कैसे अंबाबाई शक्तिपीठ की अधिष्ठात्री देवी हैं और कैसे अष्टलक्ष्मी के आठ स्वरूप – आदि, धन, धान्य, गज, संतान, धैर्य, विजय और विद्या – जीवन के विविध आयामों में समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। कविता इस पूजा के माध्यम से सांस्कृतिक एकता, नारी शक्ति, आध्यात्मिक-भौतिक संतुलन और सामुदायिक भागीदारी जैसे भारतीय दर्शन के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित करती है, जिससे जीवन में समग्र खुशहाली आती है।

--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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