श्री जगन्नाथ रथयात्रा: भक्ति का शुक्रवार - २७ जून, २०२५ 🚩 रथोत्सव 🙏✨🌳🛣️👑🤝

Started by Atul Kaviraje, June 28, 2025, 10:56:46 AM

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Atul Kaviraje

श्री जगन्नाथ रथयात्रा: भक्ति का शुक्रवार - २७ जून, २०२५ 🚩 रथोत्सव 🙏

आज, २७ जून, २०२५, शुक्रवार, का दिन पुरी धाम में भक्ति और आस्था के भव्य संगम का साक्षी है। यह वह पावन दिवस है जब विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। लाखों भक्तों को आकर्षित करने वाला यह त्योहार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अटूट विश्वास का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर, प्रस्तुत है एक भक्तिपूर्ण हिंदी कविता:

जगन्नाथ रथयात्रा का पावन गान 📜✨

१. शुक्रवार की पावन बेला 🕌
आज शुक्रवार, दिन है पावन, भक्ति का है छाया।
पुरी में देखो, जगन्नाथ का रथ, सज-धज कर आया।
लाखों भक्तों का मेला, हर दिशा में है छाया,
प्रभु के दर्शन से हर मन, आनंदित हो गाया।
अर्थ: आज शुक्रवार का पवित्र दिन है, भक्ति का माहौल छाया हुआ है। पुरी में देखो, भगवान जगन्नाथ का रथ सज-धज कर आ गया है। लाखों भक्तों का जमावड़ा हर दिशा में छाया है, और प्रभु के दर्शन से हर मन आनंदित होकर गा रहा है।

२. रथों की महिमा 🌳
नंदीघोष, तालध्वज, देवदलन, हैं रथ तीन निराले,
भगवान, बलभद्र, सुभद्रा, संग विराजे प्यारे।
काष्ठ के रथ, नित्य नए बनते, कारीगरों का काम,
प्रभु की लीला अपरम्पार, गाते भक्त हर शाम।
अर्थ: नंदीघोष, तालध्वज और देवदलन, ये तीन अनोखे रथ हैं, जिन पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा प्यारे ढंग से विराजमान हैं। लकड़ी के ये रथ हर साल नए बनते हैं, यह कारीगरों का अद्भुत काम है। प्रभु की लीला अपरम्पार है, जिसे भक्त हर शाम गाते हैं।

३. गुंडिचा का सफर 🛣�
मुख्य मंदिर से गुंडिचा तक, यात्रा है ये न्यारी,
मौसी के घर प्रभु जाते, भक्तों की बात है प्यारी।
क्षण-क्षण होता पावन दर्शन, हर पग पर है धाम,
मानवता का संदेश देती, ये रथयात्रा हर शाम।
अर्थ: मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक की यह यात्रा अनोखी है। प्रभु अपनी मौसी के घर जाते हैं, यह भक्तों के लिए बहुत प्यारा है। हर पल पवित्र दर्शन होते हैं, और हर कदम पर तीर्थ जैसा अनुभव होता है। यह रथयात्रा हर शाम मानवता का संदेश देती है।

४. छेरा पहरा की परंपरा 👑
गजपति महाराज स्वयं, सोने की झाड़ू से मार्ग साफ करें,
मिट्टी धोकर, प्रभु के रथ का, आदर-भाव वो भरें।
राजा हो या रंक यहाँ सब, एक समान ही जानें,
प्रभु के दर पर सब हैं बराबर, ये शिक्षा हम मानें।
अर्थ: पुरी के गजपति महाराज स्वयं सोने की झाड़ू से रथ के रास्ते को साफ करते हैं। वे मिट्टी धोकर, प्रभु के रथ का आदर-भाव भरते हैं। यहाँ राजा हो या गरीब, सभी को एक समान माना जाता है। हम यह शिक्षा मानते हैं कि प्रभु के द्वार पर सभी बराबर हैं।

५. मोक्ष की है आस ✨
रथ के रस्से छूने से ही, मोक्ष की है ये आस,
पापों का बोझ मिटे सारा, मिलता प्रभु का वास।
जीवन सफल हो जाए अपना, कटते जन्मों के बंधन,
जय जगन्नाथ का नारा, गूँजे हर जन-जन।
अर्थ: रथ के रस्से को छूने से ही मोक्ष की आशा होती है। इससे सारे पापों का बोझ मिट जाता है और प्रभु का वास मिलता है। अपना जीवन सफल हो जाता है और जन्मों के बंधन कट जाते हैं। "जय जगन्नाथ" का नारा हर व्यक्ति में गूँजता है।

६. एकता का संदेश 🤝
धर्मों की दीवारें टूटीं, जब रथ एक साथ चला,
प्रेम और भाईचारे का, अद्भुत पाठ यहाँ मिला।
रंग-बिरंगे लोग जुड़ते, एक धागे में बंधते,
प्रभु की महिमा में खोकर, सब एक साथ चलते।
अर्थ: जब रथ एक साथ चलता है तो धर्मों की दीवारें टूट जाती हैं। यहाँ प्रेम और भाईचारे का अद्भुत पाठ मिलता है। रंग-बिरंगे लोग जुड़ते हैं और एक धागे में बंध जाते हैं। प्रभु की महिमा में खोकर सब एक साथ चलते हैं।

७. जगन्नाथ का जयघोष 🎊
जय जगन्नाथ! जय जगन्नाथ! गूँज रहा आकाश,
पुरी धाम में भक्ति का, छाया पावन प्रकाश।
आओ सब मिलकर मनाएँ, ये उत्सव महान,
प्रभु की कृपा से भर जाए, सबका जीवन खुशहाल।
अर्थ: "जय जगन्नाथ! जय जगन्नाथ!" का नारा आकाश में गूँज रहा है। पुरी धाम में भक्ति का पवित्र प्रकाश छाया है। आओ सब मिलकर यह महान उत्सव मनाएँ। प्रभु की कृपा से सबका जीवन खुशहाल हो जाए।

इमोजी सारांश:
🚩 रथ 🙏✨🌳🛣�👑🤝🎊

यह रथयात्रा आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए!

--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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