पीटीएसडी जागरूकता दिवस: संवेदना और समर्थन- २७ जून, २०२५ 🎗️🧠❤️🎗️🧠❤️🕊️💔🗣️🏥

Started by Atul Kaviraje, June 28, 2025, 10:59:11 AM

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Atul Kaviraje

पीटीएसडी जागरूकता दिवस: संवेदना और समर्थन का शुक्रवार - २७ जून, २०२५ 🎗�🧠❤️

आज, २७ जून, २०२५, शुक्रवार, एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। आज हम पीटीएसडी (PTSD) जागरूकता दिवस मना रहे हैं। पीटीएसडी, या पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, एक ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो किसी भयानक घटना को अनुभव करने या देखने के बाद विकसित हो सकती है। यह दिवस इस अदृश्य बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, पीड़ितों को सहायता प्रदान करने और उनके अनुभवों को मान्य करने के लिए समर्पित है। इस संवेदनशील अवसर पर, प्रस्तुत है एक हिंदी कविता:

पीटीएसडी: दर्द और उम्मीद की कविता 📜✨

१. शुक्रवार की संवेदनशीलता 🕊�
आज शुक्रवार का दिन आया, शांति का पैगाम है लाया।
पीटीएसडी जागरूकता का, हमने दीप जलाया।
मन के घाव अदृश्य होते, पर दर्द गहरा समाया,
संवेदना से हम जुड़ें, यही आज का है बताया।
अर्थ: आज शुक्रवार का दिन आया है, जो शांति का संदेश लाया है। हमने पीटीएसडी जागरूकता का दीपक जलाया है। मन के घाव अदृश्य होते हैं, पर उनका दर्द गहरा समाया होता है। आज का दिन हमें बताता है कि हमें संवेदना के साथ जुड़ना चाहिए।

२. दर्द भरी कहानी 💔
किसी हादसे, किसी trauma से, मन जब हिल जाए,
नींद उड़े, डर सताए, जब कोई याद फिर आए।
हर आहट, हर पल में, वो भयानक दृश्य दोहराए,
अकेलापन सताए ऐसे, जैसे जीवन ठहर जाए।
अर्थ: जब मन किसी हादसे या trauma से हिल जाता है, नींद उड़ जाती है और डर सताता है, जब कोई याद फिर से आती है। हर आहट और हर पल में वह भयानक दृश्य दोहराता है, और अकेलापन ऐसे सताता है जैसे जीवन रुक गया हो।

३. कलंक की बेड़ियाँ तोड़ो 🗣�
छिपाओ मत, ना शर्म करो, ये कोई कमजोरी नहीं,
ये तो है एक बीमारी, इससे दूरियाँ होंगी नहीं।
बोल दो अपने दर्द को, कोई सुनने वाला होगा,
मिलकर साथ चलेंगे हम, अब नहीं अकेला होगा।
अर्थ: इसे छिपाओ मत और शर्मिंदा मत हो, यह कोई कमजोरी नहीं है। यह एक बीमारी है, इससे दूरियां नहीं होंगी। अपने दर्द को बोल दो, कोई सुनने वाला ज़रूर होगा। हम मिलकर साथ चलेंगे, अब कोई अकेला नहीं होगा।

४. समझ और सहानुभूति ❤️
समझो उनके मन के दुःख को, जो इस राह से गुज़रे,
सहानुभूति की एक किरण, हर अँधेरा दूर करे।
छोटे से छोटे कदम से, विश्वास वापस आए,
प्यार और अपनापन ही, फिर से ज़िंदगी सजाए।
अर्थ: उनके मन के दुःख को समझो जो इस रास्ते से गुज़रे हैं। सहानुभूति की एक किरण हर अँधेरा दूर करती है। छोटे से छोटे कदम से विश्वास वापस आता है, और प्यार तथा अपनापन ही फिर से ज़िंदगी को सजाते हैं।

५. उपचार की आशा 🏥
उपचार है, रास्ते हैं, ना हिम्मत तुम हारो,
डॉक्टर, थेरेपी से मिलकर, फिर से खुद को सँवारो।
हर सुबह नई उम्मीद लाए, हर शाम नई बहार,
नया जीवन तुम्हें मिलेगा, करो खुद से प्यार।
अर्थ: उपचार है, रास्ते हैं, तुम हिम्मत मत हारो। डॉक्टर और थेरेपी की मदद से फिर से खुद को सँवारो। हर सुबह नई उम्मीद लाएगी, हर शाम नई बहार। तुम्हें नया जीवन मिलेगा, खुद से प्यार करो।

६. अपनों का साथ 🤝
हाथ थाम लो अपनों का, जो साथ खड़े हैं तुम्हारे,
उनकी हिम्मत से ही तो, तुम बढ़ते हो प्यारे।
मिलकर हर मुश्किल को, कर दो तुम आसान,
परिवार और दोस्तों का, हो जीवन में सम्मान।
अर्थ: अपने प्रियजनों का हाथ थाम लो, जो तुम्हारे साथ खड़े हैं। उनकी हिम्मत से ही तुम आगे बढ़ते हो, प्यारे। मिलकर हर मुश्किल को आसान कर दो। परिवार और दोस्तों का जीवन में सम्मान हो।

७. जागरूकता का अभियान 🌍
जागरूकता का ये दीपक, हम फैलाएँगे हर घर,
ताकि कोई ना छिपाए, अपना ये भीतर का डर।
सहनशीलता और समझ से, बनेगा समाज महान,
पीटीएसडी से मुक्ति मिले, हर आत्मा को सम्मान।
अर्थ: जागरूकता का यह दीपक हम हर घर में फैलाएंगे, ताकि कोई भी अपने भीतर के इस डर को न छिपाए। सहनशीलता और समझ से समाज महान बनेगा, पीटीएसडी से मुक्ति मिले और हर आत्मा को सम्मान मिले।

इमोजी सारांश:
🎗�🧠❤️🕊�💔🗣�🏥🤝🌍

हमें उम्मीद है कि यह कविता पीटीएसडी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और प्रभावित लोगों के प्रति संवेदनशीलता लाने में मदद करेगी।

--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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