सहिष्णुता: समाज की नींव, मानवता का गान 🕊️🤝🌍🕊️🤝🌍🌈💡😠🗣️🏫

Started by Atul Kaviraje, June 28, 2025, 11:00:56 AM

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Atul Kaviraje

सहिष्णुता: समाज की नींव, मानवता का गान 🕊�🤝🌍

सहिष्णुता, जिसे हम टॉलरेंस (Tolerance) कहते हैं, किसी भी स्वस्थ और प्रगतिशील समाज की बुनियाद होती है। यह वो गुण है जो हमें उन लोगों को स्वीकार करने और उनका आदर करने की सीख देता है जो हमसे अलग सोचते हैं, अलग दिखते हैं, या अलग तरह से जीवन जीते हैं। आज के जटिल और विविधता भरे विश्व में, जहाँ विभिन्न संस्कृतियाँ, धर्म और विचारधाराएँ एक साथ मौजूद हैं, सहिष्णुता की भूमिका पहले से कहीं अधिक ज़रूरी हो गई है। यह सिर्फ़ दूसरों को बर्दाश्त करना नहीं, बल्कि उनकी विविधता का सम्मान करना और उनसे कुछ सीखना भी है। इस महत्वपूर्ण विषय पर प्रस्तुत है एक भक्तिपूर्ण हिंदी कविता:

सहिष्णुता: जीवन का सार 📜✨

१. विविधता का सम्मान 🌈
अलग-अलग रंग फूलों के, बगिया सजाते हैं,
वैसे ही मानव समाज में, सब मिलकर गाते हैं।
भेदभाव की दीवारें तोड़ो, सब को गले लगाओ,
एक दूजे की बात सुनो, प्रेम का दीपक जलाओ।
अर्थ: जैसे अलग-अलग रंग के फूल बगीचे को सुंदर बनाते हैं, वैसे ही मानव समाज में सभी मिलकर रहते और खुशियाँ मनाते हैं। भेदभाव की दीवारों को तोड़कर सबको गले लगाओ, एक-दूसरे की बात सुनो और प्रेम का दीपक जलाओ।

२. शांति का आधार 🕊�
जब हो मन में सहिष्णुता, तब शांति ही छाती है,
लड़ाई-झगड़े दूर भागें, खुशहाली घर आती है।
धर्म, जाति या भाषा का, कोई भेद ना मानें,
मानवता ही सबसे ऊपर, ये शिक्षा हम जानें।
अर्थ: जब मन में सहिष्णुता होती है, तब शांति ही फैलती है। लड़ाई-झगड़े दूर भागते हैं और खुशहाली घर आती है। धर्म, जाति या भाषा का कोई भेद न मानो। हम यह सीखें कि मानवता ही सबसे ऊपर है।

३. ज्ञान का विस्तार 💡
नए विचार जब आते हैं, मन को खोल देते हैं,
सहिष्णुता के संग ही तो, प्रगति की राह देते हैं।
सीखो सबसे, हर किसी से, ज्ञान बढ़ाओ अपना,
दूर हो अज्ञान का बादल, सच हो जाए हर सपना।
अर्थ: जब नए विचार आते हैं, तो वे मन को खोल देते हैं। सहिष्णुता के साथ ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। सबसे, हर किसी से सीखो और अपना ज्ञान बढ़ाओ। अज्ञानता का बादल दूर हो और हर सपना सच हो जाए।

४. पूर्वाग्रहों से मुक्ति 😠
मन में छिपे पूर्वाग्रहों को, अब दूर भगाना है,
हर व्यक्ति को उसके कर्म से, हमको अब पहचानना है।
रूढ़ियों की जंजीरें तोड़ो, सोच को बनाओ आज़ाद,
खुले विचारों से ही होगा, सुंदर ये जग आबाद।
अर्थ: मन में छिपे पूर्वाग्रहों को अब दूर भगाना है। हर व्यक्ति को उसके कर्मों से पहचानना है। रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़ो और अपनी सोच को आज़ाद बनाओ। खुले विचारों से ही यह दुनिया सुंदर और समृद्ध होगी।

५. संवाद की शक्ति 🗣�
बहस नहीं, अब बात करो, संवाद बढ़ाओ तुम,
समझोगे तो जानोगे, मिट जाएगा हर गम।
एक-दूसरे के दुःख-सुख में, बनो सच्चे मीत,
सद्भावना से ही बजेगी, समाज में सुख की गीत।
अर्थ: अब बहस मत करो, बल्कि बात करो और संवाद बढ़ाओ। जब तुम समझोगे, तो हर गम मिट जाएगा। एक-दूसरे के दुःख-सुख में सच्चे दोस्त बनो। सद्भावना से ही समाज में सुख का गीत बजेगा।

६. बच्चों को सिखाएँ 🏫
कल के जो ये बच्चे हैं, उनको यही सिखाओ,
सहिष्णुता का पाठ पढ़ाओ, प्रेम की ज्योति जलाओ।
वो बनें ऐसे नागरिक, जो सबका सम्मान करें,
एक आदर्श समाज बनाएँ, जहाँ प्रेम का मान करें।
अर्थ: जो ये कल के बच्चे हैं, उन्हें यही सिखाओ। उन्हें सहिष्णुता का पाठ पढ़ाओ और प्रेम की ज्योति जलाओ। वे ऐसे नागरिक बनें जो सबका सम्मान करें। वे एक आदर्श समाज बनाएँ, जहाँ प्रेम को महत्व दें।

७. मानवता का संदेश 🌍
सहिष्णुता ही मानवता का, सच्चा है पहचान,
मिलकर चलो इस पथ पर, करो जग का कल्याण।
भेदभाव को मिटाओ जग से, फैलाओ प्रेम की धार,
सहिष्णु समाज ही होगा, जीवन का आधार।
अर्थ: सहिष्णुता ही मानवता की सच्ची पहचान है। इस पथ पर मिलकर चलो और दुनिया का कल्याण करो। दुनिया से भेदभाव मिटाओ और प्रेम की धारा फैलाओ। सहिष्णु समाज ही जीवन का आधार होगा।

इमोजी सारांश:
🕊�🤝🌍🌈💡😠🗣�🏫

आइए, हम सब मिलकर सहिष्णुता के इस महान गुण को अपने जीवन में अपनाएँ और एक बेहतर समाज का निर्माण करें।

--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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