देवी दुर्गा की पूजा और 'मानव जीवन के बंधनों से मुक्ति'-1

Started by Atul Kaviraje, June 28, 2025, 06:50:41 PM

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Atul Kaviraje

देवी दुर्गा की पूजा और 'मानव जीवन के बंधनों से मुक्ति'-
(देवी दुर्गा की पूजा और जीवन के बंधनों से मुक्ति)
(The Worship of Goddess Durga and the Liberation from Life's Bonds)

देवी दुर्गा की पूजा और मानव जीवन के बंधनों से मुक्ति-
भारत की सनातन परंपरा में देवी दुर्गा को केवल एक शक्तिशाली देवी के रूप में ही नहीं पूजा जाता, बल्कि वे मानव जीवन के बंधनों से मुक्ति का भी प्रतीक हैं। उनके नौ रूप, उनकी विभिन्न शक्तियाँ और उनकी पूजा विधि हमें जीवन की जटिलताओं को समझने और उनसे पार पाने का मार्ग दिखाती है। दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक यात्रा है जो व्यक्ति को भय, अज्ञानता, अहंकार और भौतिक आसक्तियों के बंधनों से मुक्त करती है। आइए, 10 प्रमुख बिंदुओं में देवी दुर्गा की पूजा और जीवन के बंधनों से मुक्ति के इस गहन दर्शन को समझें:

1. देवी दुर्गा: शक्ति और मुक्ति का प्रतीक 🕉�
देवी दुर्गा, 'दुर्ग' (कठिनाई) और 'गा' (गमन करना) से मिलकर बनी हैं, जिसका अर्थ है जो कठिनाइयों से पार कराती हैं। वे आदि शक्ति, महामाया और ब्रह्मांड की रचयिता हैं। उनका हर शस्त्र, हर मुद्रा और हर वाहन (सिंह) हमें जीवन के विभिन्न बंधनों से लड़ने और उन पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। वे हमें सिखाती हैं कि आंतरिक शक्ति से ही सच्ची मुक्ति मिलती है। 💪

2. अहंकार का बंधन: महिषासुर का वध 👺➡️😇
मानव जीवन के सबसे बड़े बंधनों में से एक है अहंकार (Ego)। महिषासुर, जिसे देवी दुर्गा ने वध किया था, अहंकार का प्रतीक है। जब तक व्यक्ति अहंकार में डूबा रहता है, वह अपनी वास्तविक क्षमता को नहीं पहचान पाता और न ही दूसरों के साथ जुड़ पाता है। दुर्गा पूजा हमें इस आंतरिक महिषासुर, यानी अहंकार का वध करने की प्रेरणा देती है, जिससे हम विनम्रता और स्वीकृति की ओर बढ़ते हैं।

3. अज्ञानता का बंधन: अंधकार से प्रकाश की ओर 💡
अज्ञानता एक और प्रबल बंधन है जो मनुष्य को सत्य और आत्म-ज्ञान से दूर रखता है। देवी दुर्गा, ज्ञान की भी देवी हैं, और उनकी पूजा हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती है। जब व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है, तो वह सही और गलत का भेद समझ पाता है, और उसके निर्णय अधिक स्पष्ट होते हैं। यह मुक्ति का एक महत्वपूर्ण चरण है। 📚🌟

4. भय का बंधन: निर्भयता का आह्वान 🦁
भय (Fear) मनुष्य को कमजोर बनाता है और उसे अपने सपनों को पूरा करने से रोकता है। देवी दुर्गा को 'अभयदा' (भय से मुक्ति देने वाली) भी कहा जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति में निर्भयता (Fearlessness) का संचार होता है। वे हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक शक्ति बाहरी परिस्थितियों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर निहित है। जब हम भय मुक्त होते हैं, तो हम खुलकर जीवन जी सकते हैं। 🕊�

5. मोह और आसक्ति का बंधन: वैराग्य की ओर 💖➡️💔
भौतिक वस्तुओं, रिश्तों और इच्छाओं के प्रति मोह और आसक्ति (Attachment) भी एक बड़ा बंधन है। जब व्यक्ति इन चीज़ों से अत्यधिक जुड़ जाता है, तो दुःख और निराशा का अनुभव करता है। देवी दुर्गा की पूजा हमें यह समझने में मदद करती है कि सब कुछ नश्वर है, और हमें अनासक्त भाव से जीवन जीना चाहिए। यह वैराग्य की भावना विकसित करता है, जिससे आंतरिक शांति मिलती है। 🧘�♀️

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.06.2025-शुक्रवार.
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