वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया-

Started by Atul Kaviraje, June 29, 2025, 02:50:26 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया-


वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।

अभी-अभी सूरज की धाराएँ बह रही थीं,
देखते ही देखते बारिश की धाराएँ बरसने लगीं।
क्या ऐसा ही होता है बारिश का मिजाज?
वह ओले बरसाकर हमारी फजीहत देखती है।

तुम और मैं छत पर थे,
धूप की किरणें अपने बदन पर ले रहे थे।
अचानक बादल घिर आए,
और असंख्य धाराएँ वर्षा की तरह बरसने लगीं।

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।
उसी बहाने ही सही, प्रिये,
उसने तुम्हें और मुझे करीब ला दिया।

धीमी बारिश में भीगते हुए मैं,
तुम्हें धीरे से पास खींच लिया।
और कितनी देर तक छत पर,
दो आत्माओं का मिलन हो गया।

काफी समय बीत गया,
समय ऐसे ही गुज़रता जा रहा था।
बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी,
छत से तुम्हारी-मेरी छुट्टी नहीं हो रही थी।

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।
तुम्हें और मुझे करीब लाते हुए,
उसने हृदय में प्रेम का बीज बो दिया।

बादलों ने मानो सूरज को दबा दिया,
हजारों किरणों को रोक लिया।
पूरा आसमान घिर गया,
बादल मोतियों की हज़ार मालाएँ बरसा रहे हैं।

मैं बेबस, तुम निराश,
आज सूरज का दर्शन होना नहीं।
वैसे ही छत पर बैठे रहे,
बारिश हमारी मस्ती देखती रही।

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।
मन को थोड़ा समझाकर दोनों ने,
अमृत की बूँदें अंजुली में भर लीं।

बारिश के सामने महान सूर्य भी बेबस,
वहाँ तुम्हारी-मेरी क्या बिसात।
बारिश के संगीत में डूब गए,
उसके सप्त स्वरों की ध्वनि सुनकर तृप्त हो गए।

दोनों को बारिश पसंद आने लगी,
उसका गिरना, उसका भिगोना।
वह हम दोनों को लाड़ लगा रही थी,
छत पर उसका मनमौजी घूमना।

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।
हमारे प्रेम को और गहरा करते हुए,
उसने हमें थोड़ा और करीब ला दिया।

कितनी देर तक हम दोनों,
बारिश के धागे बुन रहे थे।
फिर से एक बार बौछार करते हुए,
बारिश ने हमें जगाया।

हमें शब्दों की ज़रूरत नहीं थी,
बारिश की रिमझिम सुनाई दे रही थी।
दोनों को मंत्रमुग्ध करती हुई बारिश,
खुशियों की बरसात कर रही थी।

वर्षा ने हमें पूरी तरह फँसा लिया,
अचानक तुम्हें और मुझे भिगो दिया।
बारिश मन में घर कर जाती है,
दिल से मुझे बारिश बहुत पसंद है।

--अतुल परब
--दिनांक-29.06.2025-रविवार.
===========================================