राजनीति और मानवाधिकार: कविता-

Started by Atul Kaviraje, June 30, 2025, 11:26:13 AM

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Atul Kaviraje

राजनीति और मानवाधिकार:  कविता-

चरण 1
सत्ता की राह पर राजनीति चलती, मानव का भाग्य निर्धारित करती।
पर मानवाधिकार की है पुकार, हर व्यक्ति का हो अधिकार।
जीवन की स्वतंत्रता है सबका, कोई न सह पाए कष्ट-दुख,
यही संदेश है मानव धर्म का, मिट जाए हर अभाव का रुख।

अर्थ: राजनीति सत्ता की राह पर चलती है और मानव के भाग्य का निर्धारण करती है। लेकिन मानवाधिकार की पुकार है कि हर व्यक्ति का अपना अधिकार हो। जीवन की स्वतंत्रता सबका हक है, कोई कष्ट या दुख न सहे। यही मानव धर्म का संदेश है, जिससे हर अभाव दूर हो जाए। 🏛�🕊�💖

चरण 2
लोकतंत्र की नींव जब है सच्ची, मानवाधिकार तब ही फलते।
जहाँ न्याय की बात हो अच्छी, हर नागरिक के हों अधिकार मिलते।
संविधान में जो दिए हैं अधिकार, उनका हो सदा ही सम्मान,
हर व्यक्ति जिए गरिमा से, यही है मानव का अभिमान।

अर्थ: जब लोकतंत्र की नींव सच्ची होती है, तभी मानवाधिकार फलते-फूलते हैं। जहाँ न्याय की बात अच्छी हो, हर नागरिक को उसके अधिकार मिलते हैं। संविधान में दिए गए अधिकारों का हमेशा सम्मान हो, हर व्यक्ति गरिमा से जिए, यही मानव का अभिमान है। 🗳�⚖️🇮🇳

चरण 3
पर जब सत्ता हो अंध बनी, तानाशाही का राज चले।
बोलने की आजादी छिनी, दमन का हर रूप खिले।
जेलों में बेगुनाह बंद होते, न्याय की आस जब टूटती,
मानवाधिकारों का हनन होता, हर आत्मा तब रोती।

अर्थ: लेकिन जब सत्ता अंधी हो जाती है और तानाशाही का शासन चलता है। बोलने की आजादी छीन ली जाती है, और दमन का हर रूप खिलता है। बेगुनाह जेलों में बंद होते हैं, जब न्याय की उम्मीद टूट जाती है, मानवाधिकारों का हनन होता है, तब हर आत्मा रोती है। ⛓️🚫😢

चरण 4
युद्धों का जब शोर मचता है, निर्दोषों की जान जाती है।
मानव का हक तब कुचला जाता है, बस बर्बादी छाई रहती है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून चिल्लाते, मानवाधिकारों की रक्षा करो,
पर स्वार्थ की राजनीति में, कभी-कभी वे भी चुप रहते।

अर्थ: जब युद्धों का शोर मचता है, निर्दोषों की जान चली जाती है। मानव का हक तब कुचला जाता है, बस बर्बादी छाई रहती है। अंतर्राष्ट्रीय कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए चिल्लाते हैं, लेकिन स्वार्थ की राजनीति में, कभी-कभी वे भी चुप रहते हैं। 💔🌐 silent

चरण 5
एन.जी.ओ. और मानवाधिकार संगठन, आवाज उठाते हैं जोर-जोर से।
जालिमों को बेनकाब करते हैं, लड़ते हैं कमजोरों के लिए वो।
शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास की बात, हर मानव का है ये अधिकार,
इन सबको जब राजनीति समझे, तभी होगा सबका उद्धार।

अर्थ: गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और मानवाधिकार संगठन जोर-जोर से आवाज उठाते हैं। वे अत्याचारियों को बेनकाब करते हैं, कमजोरों के लिए लड़ते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास की बात, यह हर इंसान का अधिकार है; जब राजनीति इन सबको समझेगी, तभी सबका उद्धार होगा। 🗣�📚💡

चरण 6
विश्व ने बनाए हैं कानून प्यारे, अधिकारों की सुरक्षा को।
पर उनका पालन जब ना हो, तो कैसे मिले चैन हमको।
जागरूकता फैलाना है हमको, हर व्यक्ति को ये समझाना है,
मानवाधिकार की मशाल जलाओ, अंधेरे को दूर भगाना है।

अर्थ: दुनिया ने अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्यारे कानून बनाए हैं। लेकिन जब उनका पालन नहीं होता, तो हमें शांति कैसे मिल सकती है? हमें जागरूकता फैलानी है, हर व्यक्ति को यह समझाना है। मानवाधिकार की मशाल जलाओ, अंधेरे को दूर भगाना है। 📜💡 awareness

चरण 7
आओ करें संकल्प ये आज, राजनीति हो मानवाधिकारों की दास।
हर नागरिक को मिले पूरा हक, न रहे कोई भी अन्याय आस।
मानव जाति का हो उत्थान सदा, यही है आज का अरमान,
राजनीति और मानवाधिकार का, बने एक सुंदर संगम महान।

अर्थ: आइए आज हम यह संकल्प करें कि राजनीति मानवाधिकारों की दासी बने। हर नागरिक को पूरा हक मिले, कोई भी अन्याय बाकी न रहे। मानव जाति का हमेशा उत्थान हो, यही आज का अरमान है। राजनीति और मानवाधिकार का एक सुंदर और महान संगम बने। 🙏🌟🤝🌍

कविता का इमोजी सारांश
राजनीति 🏛� मानवाधिकार 🕊� स्वतंत्रता ✨ लोकतंत्र 🗳� न्याय ⚖️ तानाशाही ⛓️ दमन 🚫 युद्ध 💔 कानून 📜 NGO 🗣� शिक्षा 📚 स्वास्थ्य 🏥 विकास 📈 जागरूकता 💡 संकल्प 🙏 संगम 🤝

--अतुल परब
--दिनांक-29.06.2025-रविवार.
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