शिव एवं संस्कृत साहित्य: एक भक्तिपूर्ण कविता-

Started by Atul Kaviraje, June 30, 2025, 10:19:14 PM

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Atul Kaviraje

शिव एवं संस्कृत साहित्य: एक भक्तिपूर्ण कविता-

चरण 1
संस्कृत साहित्य में शिव बसे, हर अक्षर में उनकी महिमा है।
वेदों की वाणी में रुद्र कहे, पुराणों में उनकी गरिमा है।
महादेव हैं, भोले भी हैं, डमरू बजाते नटराज हैं,
हर रूप उनका अनुपम है, हर कथा में अद्भुत राज है।

अर्थ: संस्कृत साहित्य में शिव बसे हुए हैं, हर अक्षर में उनकी महिमा है। वेदों की वाणी में उन्हें रुद्र कहा गया है, और पुराणों में उनकी गरिमा है। वे महादेव हैं, भोले भी हैं, डमरू बजाते नटराज हैं; उनका हर रूप अनुपम है, हर कथा में एक अद्भुत रहस्य है। 📜🔱🥁💃

चरण 2
ऋग्वेद की ऋचाओं में ध्वनि, रुद्र रूप में आए हैं।
आंधी, तूफान, विनाश के संग, कल्याण भी लाए हैं।
उपनिषदों ने उन्हें ब्रह्म कहा, आत्मज्ञान का पथ दिखाया है,
साधना और योग के माध्यम से, उनको पाया है।

अर्थ: ऋग्वेद की ऋचाओं में रुद्र रूप में ध्वनि आती है। वे आंधी, तूफान और विनाश के साथ कल्याण भी लाए हैं। उपनिषदों ने उन्हें ब्रह्म कहा, आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया है; साधना और योग के माध्यम से उन्हें प्राप्त किया गया है। ⚡️🧘�♂️🌌

चरण 3
शिव पुराण में कथाएँ अनमोल, लीलाएँ उनकी हैं विख्यात।
पार्वती संग विवाह की गाथा, गणेश, कार्तिकेय की बात।
त्रिदेवों में एक हैं वो, सृष्टि, संहार, पालनहार,
हर कण में हैं वो शिव, हर जीव में उनका है प्यार।

अर्थ: शिव पुराण में अनमोल कथाएँ और उनकी प्रसिद्ध लीलाएँ हैं। पार्वती के साथ उनके विवाह की कहानी, गणेश और कार्तिकेय की बात है। वे त्रिदेवों में से एक हैं, सृष्टि, संहार और पालन करने वाले हैं; वे हर कण में शिव हैं, हर जीव में उनका प्यार है। 📖👨�👩�👧�👦💖

चरण 4
कालिदास के काव्य में देखें, शिव सौंदर्य का रूप अनूठा।
कुमारसंभवम् में प्रेम उनका, नटराज का तांडव छूटा।
मृत्युंजय मंत्र से भय भागे, शिवमहिम्न से मन शांत हो,
हर श्लोक में शिव की शक्ति, हर भक्ति में पावन ज्ञान हो।

अर्थ: कालिदास के काव्य में शिव के अद्वितीय सौंदर्य को देखें। कुमारसंभवम् में उनका प्रेम, नटराज का तांडव नृत्य छूटा। मृत्युंजय मंत्र से भय भागता है, शिवमहिम्न से मन शांत होता है; हर श्लोक में शिव की शक्ति है, हर भक्ति में पवित्र ज्ञान है। 📜💃📿✨

चरण 5
योग के वो आदि गुरु हैं, तंत्र विद्या के हैं ज्ञाता।
कुंडलिनी जागरण का भेद, उन्होंने ही है बताया।
कैलाश पर्वत पर रहते हैं, डमरू त्रिशूल हैं जिनके हाथ,
भोले भंडारी हैं वो, हर भक्त के हैं वो साथ।

अर्थ: वे योग के आदि गुरु हैं, तंत्र विद्या के ज्ञाता हैं। कुंडलिनी जागरण का रहस्य उन्होंने ही बताया है। वे कैलाश पर्वत पर रहते हैं, जिनके हाथों में डमरू और त्रिशूल है; वे भोले भंडारी हैं, हर भक्त के साथ हैं। 🏔�🧘�♀️🐍

चरण 6
शैव दर्शन की गहराई में, अद्वैत का है अद्भुत ज्ञान।
आत्मा और शिव एक हैं, यही है उनका महाप्रमाण।
नीलकंठ, पशुपति, शंकर, कितने ही उनके नाम हैं,
हर नाम में शिव की कृपा, भक्तों को मिलता है आराम।

अर्थ: शैव दर्शन की गहराई में अद्वैत का अद्भुत ज्ञान है। आत्मा और शिव एक हैं, यही उनका महान प्रमाण है। नीलकंठ, पशुपति, शंकर, उनके कितने ही नाम हैं; हर नाम में शिव की कृपा है, भक्तों को आराम मिलता है। 🧠💡🕊�

चरण 7
शिव और संस्कृत का मेल है अद्भुत, यह सनातन अमर कथा।
एक-दूसरे को ये पूर्ण करते, मिटाते हर मन की व्यथा।
आओ करें नमन महादेव को, संस्कृत की जय-जय गाएँ,
शिव की भक्ति में लीन होकर, जीवन सफल बनाएँ।

अर्थ: शिव और संस्कृत का मेल अद्भुत है, यह सनातन अमर कहानी है। ये एक-दूसरे को पूर्ण करते हैं, हर मन की व्यथा मिटाते हैं। आइए महादेव को नमन करें, संस्कृत की जय-जय गाएं; शिव की भक्ति में लीन होकर, जीवन को सफल बनाएं। 🙏🌟📚💖

कविता का इमोजी सारांश
शिव 🔱 संस्कृत साहित्य 📜 वेद 📚 रुद्र ⚡️ पुराण 📖 महाकाव्य 🏹 काव्य 🎭 स्तोत्र 🎶 योग 🧘�♀️ तंत्र 🐍 दर्शन 🧠 अद्वैत 💡 कैलाश 🏔� डमरू 🥁 त्रिशूल ✨ भक्ति 🙏 महिमा 🌟

--अतुल परब
--दिनांक-30.06.2025-सोमवार.
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