कविता: समाज में असमानता और उसका समाधान- समानता का सपना-💔🔥💸📚🏥🤝🚫♀️💡📚✅♀️=

Started by Atul Kaviraje, July 03, 2025, 11:10:29 AM

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Atul Kaviraje

दीर्घ हिंदी कविता: समाज में असमानता और उसका समाधान-

समानता का सपना-

१. (पहला चरण)
समाज में फैली है कैसी ये दीवार,
कोई है धनी बहुत, कोई है लाचार।
असमानता की आग, जलाती मन को हर बार,
मिलकर चलो बुझाएं, करें नया संसार।
अर्थ: समाज में कैसी दीवार फैली है, कोई बहुत धनी है तो कोई लाचार है। असमानता की आग हर बार मन को जलाती है। आओ मिलकर इसे बुझाएं और एक नया संसार बनाएं।
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२. (दूसरा चरण)
पैसों का है अंतर, शिक्षा भी है असमान,
अमीरों को मिलती सुविधाएँ, गरीब न पाए मान।
स्वास्थ्य की पहुँच भी, कहाँ है एक सी,
जीवन की हर राह पर, क्यों है ये कमी?
अर्थ: धन में अंतर है, शिक्षा भी असमान है। अमीरों को सुविधाएँ मिलती हैं, गरीब सम्मान नहीं पाता। स्वास्थ्य तक पहुँच भी एक जैसी कहाँ है, जीवन की हर राह पर क्यों यह कमी है?
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३. (तीसरा चरण)
जाति, धर्म और लिंग का, बँटवारा क्यों है आज?
इंसान को इंसान से, क्यों करता है बेसाज?
अवसरों की कमी है, कुछ को न मिलता साथ,
आगे बढ़ना है सबको, थामें सब एक हाथ।
अर्थ: जाति, धर्म और लिंग का बँटवारा आज क्यों है? इंसान को इंसान से क्यों अलग करता है? अवसरों की कमी है, कुछ को साथ नहीं मिलता। सबको आगे बढ़ना है, सब एक दूसरे का हाथ थामें।
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४. (चौथा चरण)
ज्ञान का दीपक जलाओ, शिक्षा दो सबको,
कोई न रहे अनपढ़ अब, मिले अवसर सबको।
स्वास्थ्य सेवा हो सुलभ, हर गाँव हर शहर में,
जीवन का हक है सबका, न हो कोई कहर में।
अर्थ: ज्ञान का दीपक जलाओ, सबको शिक्षा दो। अब कोई अनपढ़ न रहे, सबको अवसर मिले। स्वास्थ्य सेवा हर गाँव, हर शहर में सुलभ हो। जीवन का अधिकार सबका है, कोई आपदा में न रहे।
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५. (पांचवां चरण)
समान काम का वेतन हो, नारी को मिले मान,
जातिभेद का कलंक मिटे, बने हर इंसान।
कानून हो सबके लिए, न हो कोई भेदभाव,
न्याय की राह पर चले, समाज का हर एक नाव।
अर्थ: समान काम के लिए समान वेतन हो, नारी को सम्मान मिले। जातिभेद का कलंक मिटे और हर इंसान बराबर बने। कानून सबके लिए एक हो, कोई भेदभाव न हो। समाज की हर नाव न्याय की राह पर चले।
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६. (छठा चरण)
डिजिटल दुनिया में सब, पाएँ अपनी जगह,
इंटरनेट की पहुँच हो, ज्ञान मिले हर जगह।
राजनीति में भागीदारी, सबकी हो ज़रूर,
अपनी आवाज़ उठाएं, मिटाएं हर कसूर।
अर्थ: डिजिटल दुनिया में सब अपनी जगह पाएँ। इंटरनेट की पहुँच हो, ज्ञान हर जगह मिले। राजनीति में सबकी भागीदारी ज़रूर हो। अपनी आवाज़ उठाएं और हर गलती को मिटाएं।
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७. (सातवां चरण)
सोच बदलनी होगी, दिल में प्रेम जगाओ,
मानवता का पाठ पढ़ो, सब को गले लगाओ।
समानता का ये सपना, हो साकार अब,
खुशियों से भर जाए, समाज का हर एक लब।
अर्थ: सोच बदलनी होगी, दिल में प्रेम जगाओ। मानवता का पाठ पढ़ो और सबको गले लगाओ। समानता का यह सपना अब साकार हो। समाज का हर एक चेहरा खुशियों से भर जाए।
🧠❤️🫂

आपके दिन के लिए दृश्य और भावनाएँ

टूटा हुआ दिल और आग: 💔🔥 - असमानता का दर्द और विभाजन।

पैसों का ढेर, किताब और अस्पताल: 💸📚🏥 - विभिन्न प्रकार की असमानताएँ।

हाथ मिलाते हुए और लाल रंग में क्रॉस, महिला-पुरुष का प्रतीक: 🤝🚫♀️ - भेदभाव का अंत।

बल्ब, किताब और टिक मार्क: 💡📚✅ - शिक्षा और स्वास्थ्य समाधान।

महिला-पुरुष का प्रतीक बराबर में और न्याय का तराजू: ♀️=♂️⚖️ - लैंगिक और न्याय समानता।

ग्लोब, मतदान पेटी और भाषण बुलबुला: 🌐🗳�🗣� - डिजिटल और राजनीतिक समानता।

दिमाग, दिल और गले मिलते लोग: 🧠❤️🫂 - मानसिकता में बदलाव और समावेश।

इमोजी सारांश:
💔🔥💸📚🏥🤝🚫♀️💡📚✅♀️=♂️⚖️🌐🗳�🗣�🧠❤️🫂

--अतुल परब
--दिनांक-02.07.2025-बुधवार.
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