श्री स्वामी समर्थ एवं 'शरणागत वत्सल' तत्त्वज्ञान (कविता)-

Started by Atul Kaviraje, July 04, 2025, 10:18:40 AM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ एवं 'शरणागत वत्सल' तत्त्वज्ञान (कविता)-

चरण 1
अक्कलकोट के स्वामी, भक्तों के पालनहार।
'शरणागत वत्सल' तुम, देते हो आधार।
"भिऊ नकोस मी आहे", ये मंत्र तुम्हारा।
हर संकट से उबारा, दिया जीवन सहारा।

अर्थ: अक्कलकोट के स्वामी समर्थ भक्तों के पालनहार हैं। वे शरणागतों पर वात्सल्य बरसाते हैं और उन्हें सहारा देते हैं। उनका मंत्र "डरो मत, मैं हूँ" हर संकट से उबारता है और जीवन को सहारा देता है।

प्रतीक: 🙏🛡�

चरण 2
जो आया तेरी शरण, भय उसका मिटाया।
मृत्यु के मुख से भी तुमने, जीवन लौटाया।
करुणा का सागर हो, वात्सल्य का धाम।
बच्चों सा प्यार लुटाया, हर लेते हो नाम।

अर्थ: जो भी उनकी शरण में आया, उनका भय मिट गया। उन्होंने मृत्यु के मुख से भी जीवन लौटाया। वे करुणा और वात्सल्य का सागर हैं, और बच्चों सा प्यार लुटाकर भक्तों के कष्ट हर लेते हैं।

प्रतीक: 💖💧🤗

चरण 3
पूर्वजन्म के बंधन, कर्मों का हो भार।
कृपा तेरी जब बरसे, हो जाता उद्धार।
असंभव भी संभव कर, लीलाएँ दिखाते।
भक्तों के विश्वास को, हर पल बढ़ाते।

अर्थ: पूर्वजन्म के बंधन और कर्मों का भार भी उनकी कृपा से दूर हो जाता है। वे असंभव को संभव कर लीलाएँ दिखाते हैं और भक्तों के विश्वास को हर पल बढ़ाते हैं।

प्रतीक: 🔄🪄✨

चरण 4
आध्यात्मिक पथ पर भी, हमको चलाते हो।
ज्ञान की ज्योति जलाकर, तम को हटाते हो।
संतान, धन और आरोग्य, सब कुछ मिलता।
सांसारिक और मोक्ष का, मार्ग एक ही खिलता।

अर्थ: वे हमें आध्यात्मिक पथ पर चलाते हैं, ज्ञान की ज्योति जलाकर अज्ञान के अंधकार को दूर करते हैं। उनकी कृपा से संतान, धन और आरोग्य सब कुछ मिलता है, और मोक्ष का मार्ग भी खुलता है।

प्रतीक: 🧘�♂️🌍💰

चरण 5
निस्वार्थता सिखाई, माँगते ना कुछ भी।
प्रेम और विश्वास ही, बस तेरी पूँजी।
देह त्याग के बाद भी, तुम हो सदा साथ।
"मी आहे" की गूँज से, मिलता है हर हाथ।

अर्थ: उन्होंने निस्वार्थता सिखाई और कुछ भी नहीं मांगा; प्रेम और विश्वास ही उनकी पूँजी है। देह त्यागने के बाद भी वे सदा साथ हैं, और "मैं हूँ" की गूँज से हर भक्त को सहारा मिलता है।

प्रतीक: 🤲👁��🗨�👣

चरण 6
अनगिनत लीलाएँ तेरी, हर लीला में सार।
कष्टों को अपने लेकर, करते भव से पार।
गुरु की महिमा अद्भुत, जो शरण में आया।
स्वामी समर्थ के चरणों में, सब कुछ ही पाया।

अर्थ: उनकी लीलाएँ अनगिनत हैं और हर लीला में कोई सार छिपा है। वे भक्तों के कष्टों को स्वयं लेकर उन्हें संसार सागर से पार करते हैं। गुरु की महिमा अद्भुत है; जो भी स्वामी समर्थ की शरण में आया, उसने सब कुछ पा लिया।

प्रतीक: 📜♾️🌟

चरण 7
'शरणागत वत्सल' नाम, तेरा ही है धाम।
जपते हैं भक्त सदा, सुबह हो या शाम।
जय जय स्वामी समर्थ, जय अक्कलकोट के राय।
तुम्हारी कृपा से स्वामी, जीवन सुखमय हो जाए।

अर्थ: 'शरणागत वत्सल' नाम उन्हीं का है, और वही उनका धाम है। भक्त उनका नाम सुबह-शाम जपते हैं। स्वामी समर्थ की जय हो, अक्कलकोट के राजा की जय हो। आपकी कृपा से स्वामी, हमारा जीवन सुखमय हो जाए।

प्रतीक: ⭐👑😇

--अतुल परब
--दिनांक-03.07.2025-गुरुवार.
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