अम्बाबाई का 'नवरात्रि महोत्सव' और समाज में एकता और भाईचारा-1-

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 04:10:25 PM

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Atul Kaviraje

(अम्बाबाई का 'नवरात्रि महोत्सव' और समाज में एकता और भाईचारा)
(Ambabai's 'Navratri Festival' and the Unity and Brotherhood in Society)

अम्बाबाई का 'नवरात्रि महोत्सव' और समाज में एकता और भाईचारा
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मी (अम्बाबाई) मंदिर, शक्तिपीठों में से एक है और नवरात्रि महोत्सव यहाँ बड़े ही हर्षोल्लास और भक्तिभाव से मनाया जाता है। यह महोत्सव सिर्फ पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे (unity and brotherhood in society) का एक जीता-जागता उदाहरण है। अम्बाबाई का 'नवरात्रि महोत्सव' विभिन्न धर्मों, जातियों और वर्गों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक समरसता बढ़ती है। आइए, अम्बाबाई के नवरात्रि महोत्सव और समाज में इसके सकारात्मक प्रभावों को 10 प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से समझते हैं।

1. साझा आस्था और भक्ति का केंद्र 🙏💖
नवरात्रि महोत्सव अम्बाबाई के भक्तों के लिए साझा आस्था (shared faith) और भक्ति (devotion) का एक बड़ा केंद्र है। लाखों श्रद्धालु, चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि के हों, देवी के दर्शन के लिए कोल्हापुर आते हैं। यह साझा अनुभव उन्हें एक-दूसरे के करीब लाता है और एक बड़ी आध्यात्मिक परिवार की भावना पैदा करता है।

उदाहरण: मंदिर के बाहर लंबी कतारों में खड़े भक्त, एक-दूसरे की मदद करते और देवी के जयकारे लगाते हुए, अपनी साझा आस्था का प्रदर्शन करते हैं।

2. सांस्कृतिक विविधता का संगम 🌈🎶
नवरात्रि केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक महोत्सव (cultural festival) भी है। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए लोग अपनी-अपनी सांस्कृतिक विविधता (cultural diversity) का प्रदर्शन करते हैं। गरबा, डांडिया, भजन, और लोकनृत्य जैसे कार्यक्रम होते हैं, जहाँ हर कोई एक साथ मिलकर खुशियाँ मनाता है।

उदाहरण: महाराष्ट्र के पारंपरिक लावनी नृत्य के साथ-साथ गुजरात का गरबा भी कोल्हापुर में नवरात्रि के दौरान देखने को मिलता है, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाता है।

3. सामाजिक समानता और भेदभाव का उन्मूलन 🤝👩�👩�👧�👦
देवी के दरबार में सभी समान होते हैं। नवरात्रि महोत्सव सामाजिक समानता (social equality) और भेदभाव के उन्मूलन (elimination of discrimination) का प्रतीक है। अमीर-गरीब, उच्च-नीच, शिक्षित-अशिक्षित - सभी भक्त एक ही पंक्ति में खड़े होकर देवी के दर्शन करते हैं। यह उन्हें याद दिलाता है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं।

उदाहरण: मंदिर में सभी भक्तों को एक ही तरह का प्रसाद मिलता है, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।

4. सेवा भाव और निःस्वार्थ सहयोग 🤲❤️
महोत्सव के दौरान स्वयंसेवक और स्थानीय लोग भक्तों की सेवा में लगे रहते हैं। भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधाएँ, और ठहरने की व्यवस्था में निःस्वार्थ सहयोग (selfless cooperation) देखने को मिलता है। यह सेवा भाव (spirit of service) लोगों को एक-दूसरे के प्रति अधिक संवेदनशील और मददगार बनाता है।

उदाहरण: विभिन्न सामाजिक संगठन और व्यक्तिगत स्वयंसेवक भक्तों को भोजन और पानी वितरित करते हैं, जिससे त्योहार के दौरान किसी को परेशानी न हो।

5. सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक 🕉�☪️✝️
अम्बाबाई का नवरात्रि महोत्सव सांप्रदायिक सद्भाव (communal harmony) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। कोल्हापुर में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग अक्सर मिलकर इस महोत्सव को मनाते हैं, और कई मुस्लिम परिवार भी देवी की पूजा में भाग लेते हैं। यह दर्शाता है कि आस्था कैसे लोगों को जोड़ सकती है।

उदाहरण: कुछ मुस्लिम दुकानदार भी नवरात्रि के दौरान देवी की मूर्तियों और पूजा सामग्री की दुकानें लगाते हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
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