🌼 कान्हा कहाँ दिखे ना? 🌼

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 04:32:05 PM

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Atul Kaviraje

🌼 कान्हा कहाँ दिखे ना? 🌼

१.
आज "कृष्ण" क्यों दिखे ना?
आज "मोहन" कहाँ मिले ना?
उसके बिना सूना लगे सब कुछ,
"कान्हा" जल्दी सामने आ ना!

अर्थ: आज कृष्ण (बालकृष्ण) क्यों नहीं दिख रहा? आज मोहन (कृष्ण का दूसरा नाम) कहीं नहीं मिल रहा है? उसके बिना सब कुछ सूना (खाली) लग रहा है, कान्हा जल्दी मेरे सामने आ जाओ ना!
भाव: इसमें कृष्ण की अनुपस्थिति से भक्त को (या ग्वालन को) होने वाली तीव्र तड़प और व्याकुलता व्यक्त होती है।

२.
यमुना किनारे ढूँढे उसे,
कदंब वृक्ष के नीचे पुकारा उसे।
गोप सखा भी पूछें सारे,
"मेरा कन्हैया कहाँ मिला रे?"

अर्थ: मैं उसे यमुना नदी के किनारे ढूँढ रही हूँ, कदंब के पेड़ के नीचे उसे आवाज़ें लगाईं। उसके गोप और मित्र भी सभी पूछते हैं, "मेरा कन्हैया कहाँ मिला रे?"
भाव: कृष्ण को हर जगह ढूँढने का प्रयास और उसके मित्र-सखियों की भी उसके लिए तड़प दर्शाती है।

३.
नंदनवन में खेलने की जगह,
वहाँ भी नहीं मेरा बाल सखा।
बाँसुरी की धुन भी निःशब्द हुई,
कृष्ण-पागल मन उदास हुआ।

अर्थ: नंदनवन (सुंदर बगीचे में), जहाँ वह खेलता था, वहाँ भी मेरा प्रिय बाल-मित्र नहीं है। उसकी बाँसुरी की धुन भी शांत हो गई है, कृष्ण के लिए पागल हुआ मन उदास हो गया है।
भाव: कृष्ण के हमेशा के लीला-स्थलों पर उसे ढूँढना और उसकी बाँसुरी की धुन की अनुपस्थिति महसूस करना, यह मन की व्यथा बढ़ाता है।

४.
दही की शिदोरी वैसी ही रखी है,
माखन भी उसकी राह देखे।
खाकर जाता था वह छिप-छिपकर,
आज नहीं कोई उसे देखने वाला।

अर्थ: दही की शिदोरी (यात्रा में खाने का भोजन) वैसी ही रखी है, माखन भी उसकी राह देख रहा है। वह खाकर छिप-छिपकर जाता था, लेकिन आज उसे देखने वाला कोई नहीं है।
भाव: कृष्ण के पसंदीदा खाद्य पदार्थों की याद और उसकी शरारतों की कमी इसमें प्रमुखता से महसूस होती है।

५.
आँखों में मेरी पानी छलके,
प्राणों को लगी रे व्याकुलता बहुत।
कब दर्शन दोगे तुम मुझे,
मिलने को आतुर हुआ प्राण मेरा।

अर्थ: मेरी आँखों में पानी छलक रहा है, प्राणों को बहुत व्याकुलता लगी है। कब दर्शन दोगे तुम मुझे? मिलने के लिए मेरा प्राण बहुत आतुर हो गया है।
भाव: भक्त की कृष्ण से मिलने की तीव्र इच्छा और उसके विरह में आँसुओं का वर्णन।

६.
राधा के भी मन में बेचैनी लगे,
गोपियाँ भी उसकी याद में जागें।
मोरपंख डोले, बाँसुरी रूठी,
"कान्हा" बिना वृंदावन उदास हुआ।

अर्थ: राधा के भी मन में बेचैनी लगी है (अस्वस्थता), गोपियाँ भी उसकी याद में जागी हुई हैं। उसका मोरपंख हिलता है, लेकिन बाँसुरी रूठी हुई है (बज नहीं रही है), कान्हा के बिना वृंदावन उदास हो गया है।
भाव: राधा और गोपियों की भी कृष्ण के लिए तड़प, साथ ही वृंदावन की निर्जीव वस्तुओं को भी उसकी याद आना।

७.
आओ रे "मोहन", आओ रे "हरी",
तुम्हारे बिना हमें नहीं गति सच्ची।
जीवन में तुम ही मेरे सच्चे आधार,
"भक्ति से" पुकारूँ "कृष्ण" सँवारो।

अर्थ: आओ रे मोहन, आओ रे हरी (कृष्ण के नाम), तुम्हारे बिना हमें सच्ची गति नहीं (हमारा जीवन व्यर्थ है)। जीवन में तुम ही मेरे सच्चे आधार हो, मैं भक्ति से तुम्हें पुकारती हूँ, हे कृष्ण, हमें सँवारो।
भाव: कृष्ण से वापस आने का अनुरोध और उसे ही जीवन का सच्चा आधार मानना, यह भक्ति की पराकाष्ठा है।

🌅 प्रतीक और इमोजी (Symbols & Emojis):

🥺 व्याकुलता (Longing): कृष्ण की अनुपस्थिति की तीव्र भावना।

💧 आँसू (Tears): विरह के कारण बहने वाले आँसू।

🌿 वृंदावन (Vrindavan): कृष्ण की लीलाओं का पवित्र स्थान।

🎶 शांत बाँसुरी (Silent Flute): कृष्ण के संगीत की अनुपस्थिति।

💖 प्रेम (Love): कृष्ण के प्रति निस्वार्थ प्रेम।

🙏 भक्ति (Devotion): कृष्ण को सहारा देने के लिए पुकारना।

🌞 आशा (Hope): कृष्ण के दर्शन की अपेक्षा।

😔 उदासी (Sadness): कृष्ण के बिना महसूस होने वाला खालीपन।

🧾 इमोजी सारांश (Emoji Summary):
इस कविता में 🥺 व्याकुल मन 💧 आँसुओं से भरा है, क्योंकि 🌿 वृंदावन 🎶 शांत बाँसुरी के कारण 😔 उदास हो गया है। 💖 प्रेम और 🙏 भक्ति से, जीवन में 🌞 आशा के लिए कान्हा का सहारा माँगा गया है।

--अतुल परब
--दिनांक-05.07.2025-शनिवार.
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