शुक्रवार - 04 जुलै 2025 मुंबई - वर्ली सी-लिंक विस्तार:-

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 10:26:43 PM

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Atul Kaviraje

ब्रेकिंग न्यूज़-

शुक्रवार - 04 जुलै 2025

मुंबई - वर्ली सी-लिंक विस्तार: विस्तृत जानकारी

मुंबई में वर्ली सी-लिंक के प्रस्तावित विस्तार के लिए ८.२४ हेक्टेयर मैंग्रोव का संवेदनशील क्षेत्र प्रभावित होगा। इस परियोजना की योजना और कार्यान्वयन करते समय निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर विचार किया जा रहा है:

प्रभावित क्षेत्र: वर्ली सी-लिंक विस्तार के लिए कुल ८.२४ हेक्टेयर मैंग्रोव क्षेत्र प्रभावित होगा। इस क्षेत्र को पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि मैंग्रोव वन समुद्री पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

वृक्षारोपण: इस परियोजना में प्रभावित होने वाले लगभग ४५,००० मैंग्रोव पेड़ों का पुनर्स्थापन (transplantation) करने की योजना है। इन पेड़ों को अन्य उपयुक्त स्थानों पर वैज्ञानिक तरीके से पुनर्स्थापित किया जाएगा, ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके।

पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA): इस परियोजना का विस्तृत पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment) किया जाएगा। इसमें परियोजना के पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों, उनकी तीव्रता और उन्हें कम करने के उपायों का अध्ययन किया जाएगा।

मुआवजा और पूरक वनरोपण: प्रभावित मैंग्रोव क्षेत्र के बदले, कानून के अनुसार निर्धारित अनुपात में अन्य स्थानों पर मुआवजे के रूप में नए मैंग्रोव वनरोपण (compensatory afforestation) किया जाएगा। यह वनरोपण प्रभावित क्षेत्र से अधिक बड़े पैमाने पर होने की संभावना है।

स्थानीय समुदाय से परामर्श: परियोजना की योजना में स्थानीय मछुआरा समुदाय और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श किया जाएगा, ताकि उनकी आजीविका और दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके।

प्रौद्योगिकी का उपयोग: मैंग्रोव पेड़ों के सफल पुनर्स्थापन के लिए आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लिया जाएगा। इसमें पेड़ों को कम से कम नुकसान पहुंचाए बिना सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने और नए स्थान पर उनकी वृद्धि सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शामिल है।

नियम और अनुमतियाँ: यह परियोजना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, वन (संरक्षण) अधिनियम और अन्य संबंधित नियमों के अनुसार आवश्यक सभी अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ प्राप्त करने के बाद ही आगे बढ़ेगी। इसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की स्वीकृति शामिल है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
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