शुक्रवार - 04 जुलै 2025 बेंगलुरु - मराठी-कन्नड़ भाषाई विवाद और प्रशासन-

Started by Atul Kaviraje, July 05, 2025, 10:27:54 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

ब्रेकिंग न्यूज़-

शुक्रवार - 04 जुलै 2025

बेंगलुरु - मराठी-कन्नड़ भाषाई विवाद और प्रशासन में चुनौती: विस्तृत जानकारी

कर्नाटक में मराठी-कन्नड़ भाषाओं के बीच हुए सत्तात्मक विवाद के कारण बेंगलुरु में सार्वजनिक परिवहन और स्थानीय प्रशासन में भाषाई समानता की चुनौती फिर से सामने आ गई है। इस संदर्भ में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर विचार किया जा रहा है:

भाषाई प्राथमिकता का मुद्दा: कर्नाटक में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता देने को लेकर हमेशा विवाद होता रहा है। विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों और बेंगलुरु जैसे बहुभाषी शहरों में, अन्य भाषाई समुदाय, जैसे कि मराठी भाषी, अपनी भाषा के साथ समान व्यवहार की मांग कर रहे हैं।

सार्वजनिक परिवहन में समस्याएँ: सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में, विशेषकर बसों और मेट्रो में, घोषणाएँ, बोर्ड और जानकारी केवल कन्नड़ भाषा में या हिंदी और अंग्रेजी के साथ दी जाती है, लेकिन मराठी में नहीं। इससे मराठी भाषियों को जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है, ऐसा आरोप है।

स्थानीय प्रशासन में भाषाई बाधाएँ: स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों, पुलिस थानों और सरकारी सेवाओं में कन्नड़ भाषा का अधिक उपयोग होता है। इससे मराठी भाषियों को आवेदन करने, शिकायतें दर्ज करने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते समय भाषाई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

राजनीतिक दलों की भागीदारी: दोनों राज्यों (महाराष्ट्र और कर्नाटक) के राजनीतिक दल इस भाषाई मुद्दे को अपनी-अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेष रूप से सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में यह मुद्दा और अधिक संवेदनशील बन जाता है।

न्यायिक हस्तक्षेप: कुछ मामलों में भाषाई समानता की मांग के लिए याचिकाएँ दायर की गई हैं। इससे न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना उत्पन्न हो गई है, जिससे प्रशासन को भाषाई समानता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जा सकते हैं।

सामाजिक संगठनों का दबाव: मराठी भाषी संगठन और सामाजिक संस्थाएँ प्रशासन पर सार्वजनिक सेवाओं में मराठी भाषा के उपयोग को बढ़ाने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इसमें दुभाषियों की उपलब्धता और द्विभाषी या त्रिभाषी बोर्डों की मांग शामिल है।

राष्ट्रीय एकता की चुनौती: यदि भाषाई पहचान का मुद्दा संवेदनशील बन जाता है, तो यह राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बन सकता है। विभिन्न भाषाई समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखना और सभी भाषाओं को उचित सम्मान देना प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.07.2025-शुक्रवार.
===========================================