५ जुलाई २०२५ - शनिवार 🪔🙏 विट्ठल नवरात्रि प्रारंभ-🪔 🙏 🧘 🥁 🎶 🌸 ❤️ 🕊️ ✨ 😊

Started by Atul Kaviraje, July 06, 2025, 11:13:00 AM

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Atul Kaviraje

भक्तिभावपूर्ण हिंदी कविता - ५ जुलाई २०२५ - शनिवार 🪔🙏

यह विट्ठल नवरात्रि प्रारंभ और शनिवार के महत्व को दर्शाती हुई एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सीधी-सादी, सरल और तुकबंदी वाली भक्तिपूर्ण दीर्घ कविता है। प्रत्येक चरण का अर्थ और दृश्य भी दिए गए हैं।

विट्ठल नवरात्रि का शुभ आरंभ

चरण १
आज है शनिवार, ५ जुलाई का दिन,
विट्ठल नवरात्रि, शुभ हो हर क्षण।
पंढरी में गूँजे, विठोबा का नाम,
भक्ति का ये पर्व, हो सफल तमाम।
अर्थ: आज ५ जुलाई, शनिवार का दिन है। विट्ठल नवरात्रि का शुभ प्रारंभ हो रहा है, हर पल शुभ हो। पंढरपुर में विठोबा का नाम गूंज रहा है, यह भक्ति का पर्व पूरी तरह सफल हो।

चरण २
आषाढ़ी के बाद, ये नव दिन आए,
ज्ञान और भक्ति की, ज्योत जगाएँ।
रखुमाई संग हैं, विट्ठल हैं खड़े,
भक्तों के सारे दुख, दूर वो करें।
अर्थ: आषाढ़ एकादशी के बाद ये नौ दिन आए हैं, जो ज्ञान और भक्ति की ज्योति जगाते हैं। रखुमाई के साथ विट्ठल खड़े हैं, वे भक्तों के सारे दुख दूर करते हैं।

चरण ३
शनिदेव का भी, है आज का वार,
कर्मों का दाता है, न्याय का आधार।
विठोबा के संग, जब पूजें शनि को,
जीवन में आए सुख, दूर हो हर फिक्र को।
अर्थ: आज शनिदेव का भी दिन है, वे कर्मों के दाता और न्याय का आधार हैं। जब विठोबा के साथ शनिदेव की पूजा करते हैं, तो जीवन में सुख आता है और हर चिंता दूर होती है।

चरण ४
अभंगों की वाणी, मन को लुभाए,
संतों के वचनों से, शांति मिल जाए।
पालकी पताकाएँ, गगन में लहराएँ,
वारी की यादें, फिर से सताएँ।
अर्थ: अभंगों की वाणी मन को आकर्षित करती है, और संतों के वचनों से शांति मिलती है। पालकी और पताकाएँ आकाश में लहराती हैं, और वारी (पदयात्रा) की यादें फिर से ताजा हो जाती हैं।

चरण ५
उपवास और पूजा, भक्ति का दान,
तन-मन से करें हम, प्रभु का गुणगान।
सकारात्मक ऊर्जा, फैले हर ओर,
जीवन में आए सुख, बजे खुशियों का शोर।
अर्थ: उपवास और पूजा भक्ति का दान है, हमें तन-मन से प्रभु का गुणगान करना चाहिए। सकारात्मक ऊर्जा हर तरफ फैले, जीवन में सुख आए और खुशियों का शोर बजे।

चरण ६
आत्म-शुद्धि का ये, पावन अवसर,
जीवन को सुधारें, कर्मों को बेहतर।
हर गलती से सीखें, नया पथ चुनें,
आने वाले कल को, बेहतर अब बुनें।
अर्थ: यह आत्म-शुद्धि का पवित्र अवसर है, हमें जीवन को सुधारना चाहिए और अपने कर्मों को बेहतर बनाना चाहिए। हर गलती से सीखकर नया रास्ता चुनना चाहिए, और आने वाले कल को अब बेहतर बनाना चाहिए।

चरण ७
शांति और संतोष से, भरे मन के द्वार,
विट्ठल नवरात्रि, लाए सुख अपार।
हर इच्छा पूरी हो, हर सपना सजे,
जीवन में खुशहाली, सदा ऐसे ही बजे।
अर्थ: मन के द्वार शांति और संतोष से भर जाएं। विट्ठल नवरात्रि अपार सुख लाए। हर इच्छा पूरी हो और हर सपना सजे, जीवन में खुशहाली सदा ऐसे ही बनी रहे।

दृश्य और इमोजी:
इस कविता के साथ आप निम्नलिखित चित्र, प्रतीक और इमोजी का उपयोग कर सकते हैं:

चित्र/प्रतीक:

भगवान विट्ठल की मूर्ति 🙏

मंदिर का गुंबद 🕌

भक्ति में लीन भक्त 🧘

ढोल और झांझ 🥁

दीपों की माला 🪔

हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए 🙏

प्रेम और शांति का प्रतीक ❤️🕊�

इमोजी:
🪔 🙏 🧘 🥁 🎶 🌸 ❤️ 🕊� ✨ 😊 🚩 🕌

इमोजी सारांश:
आज, ५ जुलाई २०२५, शनिवार, विट्ठल नवरात्रि 🚩 का प्रारंभ है। पंढरपुर 🕌 में भगवान विट्ठल 🙏 की भक्ति 🎶 से मन में शांति 🧘 और खुशी 😊 छा जाती है। शनिदेव 🌑 की कृपा से सकारात्मकता ✨ और प्रेम ❤️ बढ़े।

--अतुल परब
--दिनांक-05.07.2025-शनिवार.
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