देवशयनी आषाढ़ी एकादशी: पंढरपुर यात्रा का महत्व एवं भक्तिभाव 🌙🛕✨

Started by Atul Kaviraje, July 07, 2025, 04:58:16 PM

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Atul Kaviraje

देवशयनी आषाढी एकादशी-पंढरपूर यात्रा-

देवशयनी आषाढ़ी एकादशी: पंढरपुर यात्रा का महत्व एवं भक्तिभाव 🌙🛕✨

०६ जुलाई २०२५, शनिवार को देवशयनी आषाढ़ी एकादशी है। यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। महाराष्ट्र में यह दिन विशेष रूप से पंढरपुर यात्रा (वारी) के लिए जाना जाता है, जहाँ लाखों भक्त भगवान विठ्ठल के दर्शन के लिए पैदल चलकर पंढरपुर पहुँचते हैं।

देवशयनी आषाढ़ी एकादशी का महत्व (१० प्रमुख बिंदु)
चातुर्मास का आरंभ: यह दिन चातुर्मास का पहला दिन होता है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवोत्थान एकादशी) तक चलता है। इन चार महीनों में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि वर्जित माने जाते हैं। 🧘�♂️

भगवान विष्णु की योगनिद्रा: मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिए शयन करते हैं, इसीलिए इसे "देवशयनी" एकादशी कहते हैं। इस अवधि में ब्रह्मांड का संचालन भगवान शिव और अन्य देवता करते हैं। 😴🌌

धार्मिक अनुष्ठान: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। 🙏🌸

पंढरपुर वारी का केंद्र: महाराष्ट्र में आषाढ़ी एकादशी का सबसे बड़ा आकर्षण पंढरपुर की वार्षिक वारी है। लाखों वारकरी (भक्त) विभिन्न पालकियों के साथ सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पंढरपुर पहुँचते हैं। 🚶�♂️👣

विठ्ठल-रुक्मिणी का दर्शन: पंढरपुर में भगवान विठ्ठल (भगवान कृष्ण का एक रूप) और देवी रुक्मिणी के दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़ते हैं। यह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। 🕉�💖

भक्ति और समर्पण का प्रतीक: यह यात्रा भक्तों की अटूट श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। भीषण गर्मी, बारिश और थकान के बावजूद भक्त "जय जय राम कृष्ण हरी" का घोष करते हुए आगे बढ़ते हैं। 🌧�🌞🗣�

संतों की परंपरा: पंढरपुर वारी की परंपरा कई सदियों पुरानी है और यह महाराष्ट्र के महान संतों जैसे ज्ञानेश्वर, तुकाराम, नामदेव, एकनाथ आदि से जुड़ी हुई है। इन संतों ने भक्ति आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाया। 🎶📖

सामाजिक समरसता: वारी सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता और समानता का भी प्रतीक है। इसमें सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ मिलकर चलते हैं। 🤗🤝

आध्यात्मिक शुद्धि: इस एकादशी का व्रत करने और पंढरपुर यात्रा में शामिल होने से भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। ✨🕊�

पर्यावरण चेतना: कई वारकरी पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते हैं और यात्रा के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं, जो इस परंपरा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। 🌳💧

देवशयनी आषाढ़ी एकादशी का यह पावन पर्व हमें भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा को मजबूत करने और समाज में सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.07.2025-रविवार.
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