मोहर्रम: ताजिया और ताबूत विसर्जन - कर्बला की शहादत का स्मरण 🕌🖤💧

Started by Atul Kaviraje, July 07, 2025, 04:59:19 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

मोहर्रम-ताजिया-ताबूत विसर्जन-

मोहर्रम: ताजिया और ताबूत विसर्जन - कर्बला की शहादत का स्मरण 🕌🖤💧

०६ जुलाई २०२५, शनिवार को मोहर्रम के महत्वपूर्ण दिन, ताजिया और ताबूत विसर्जन का कार्यक्रम होता है। यह दिन इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की १०वीं तारीख, आशूरा को मनाया जाता है। यह इस्लामी इतिहास की एक दुखद और महत्वपूर्ण घटना, कर्बला के युद्ध में हज़रत इमाम हुसैन (पैगंबर मुहम्मद के नवासे) और उनके साथियों की शहादत की याद दिलाता है। यह दिन दुनिया भर के शिया और कुछ सुन्नी मुसलमानों द्वारा गहन शोक, प्रार्थना और आत्म-चिंतन के साथ मनाया जाता है।

मोहर्रम और ताजिया विसर्जन का महत्व (१० प्रमुख बिंदु)
कर्बला की घटना का स्मरण: मोहर्रम, विशेष रूप से आशूरा का दिन, ६८० ईस्वी में कर्बला (इराक) में हुए धर्मयुद्ध का स्मरण कराता है, जहाँ इमाम हुसैन ने सत्य और न्याय के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। ⚔️😢

शोक और मातम: यह खुशियों का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और मातम का महीना है। भक्त काले कपड़े पहनते हैं, मातम मनाते हैं, और इमाम हुसैन और उनके साथियों के बलिदान को याद करते हैं। 🖤😭

ताजिया: ताजिया, इमाम हुसैन के मकबरे का एक प्रतीकात्मक प्रतिरूप होता है। इसे बांस, कागज, लकड़ी और फूलों से सजाया जाता है। यह जुलूसों में ले जाया जाता है और फिर विसर्जित किया जाता है। 🕌✨

ताबूत: ताबूत, शहादत के प्रतीकों में से एक है। यह इमाम हुसैन के शव का प्रतीकात्मक ताबूत होता है, जिसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है और जुलूसों में ले जाया जाता है। ⚰️

जुलूस (अलम और अखाड़ा): मोहर्रम के दौरान ताजिया और ताबूत के साथ जुलूस निकाले जाते हैं, जिनमें अखाड़े भी शामिल होते हैं। इन जुलूसों में लोग "या हुसैन" के नारे लगाते हुए मातम करते हैं और अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। 🚶�♂️🗣�

पानी की सबील: कर्बला में इमाम हुसैन और उनके साथियों को प्यासा शहीद किया गया था। इस घटना की याद में, मोहर्रम के दौरान जगह-जगह पानी और शर्बत की सबीलें लगाई जाती हैं ताकि प्यासों को पानी पिलाया जा सके। 💧🥤

मजलिस और नौहाख्वानी: इमामबाड़ों और घरों में मजलिसें (धार्मिक सभाएँ) आयोजित की जाती हैं, जहाँ कर्बला की घटना का वर्णन किया जाता है और नौहाख्वानी (शोक गीत) गाए जाते हैं। 📖🎶

धर्मपरायणता और बलिदान का संदेश: मोहर्रम हमें सच्चाई, न्याय, धैर्य और बलिदान के महत्व का संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना कितना महत्वपूर्ण है। 🕊�⚖️

सामाजिक एकजुटता: यद्यपि यह शोक का दिन है, फिर भी मोहर्रम के जुलूस और कार्यक्रम विभिन्न समुदायों के लोगों को एक साथ लाते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव और एकजुटता बढ़ती है। 🤗🤝

विसर्जन की प्रक्रिया: ताजिया और ताबूत को निर्धारित स्थानों पर, जैसे तालाबों या विशेष रूप से बनाए गए कर्बला के मैदानों में, सम्मानपूर्वक विसर्जित किया जाता है। यह इमाम हुसैन के अंतिम संस्कार का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। 💧🙏

मोहर्रम का यह पवित्र दिन हमें इमाम हुसैन के महान बलिदान को याद करने और उनके दिखाए गए सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.07.2025-रविवार.
===========================================