भारत में जातिवाद और उसे समाप्त करने के उपाय पर हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 07, 2025, 10:35:36 PM

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Atul Kaviraje

भारत में जातिवाद और उसे समाप्त करने के उपाय पर हिंदी कविता-

चरण 1
भारत की धरती पर था,
जातिवाद का विष फैला।
ऊँच-नीच की खाई थी गहरी,
हर दिल में थी पीड़ा ठहरी।
अर्थ: भारत की धरती पर जातिवाद का जहर फैला हुआ था। ऊँच-नीच की गहरी खाई थी, और हर दिल में दर्द बसा हुआ था।

चरण 2
जन्म से पहचान मिली,
कर्म की डोर कहीं ढीली।
भेदभाव का होता था राज,
टूट गए थे कई समाज।
अर्थ: जन्म से ही पहचान मिल जाती थी, कर्म का महत्व कम हो गया था। भेदभाव का राज था, और कई समाज टूट गए थे।

चरण 3
संविधान ने आवाज़ उठाई,
समानता की लौ जलाई।
छुआछूत को किया खत्म,
सबको मिले समान हक।
अर्थ: संविधान ने आवाज़ उठाई और समानता की ज्योति जलाई। छुआछूत को खत्म किया गया, और सबको समान अधिकार मिले।

चरण 4
शिक्षा का दीप जलाओ,
ज्ञान की रोशनी फैलाओ।
बच्चों को दो एक सीख,
मानवता ही है असली भीख।
अर्थ: शिक्षा का दीपक जलाओ और ज्ञान की रोशनी फैलाओ। बच्चों को यह सीख दो कि मानवता ही असली दान है।

चरण 5
आर्थिक रूप से करो मजबूत,
ना रहे कोई अब अछूत।
रोजगार और सम्मान मिले,
भेदभाव की दीवारें गिरें।
अर्थ: आर्थिक रूप से मजबूत करो, ताकि कोई अछूत न रहे। रोजगार और सम्मान मिले, और भेदभाव की दीवारें गिरें।

चरण 6
अंतरजातीय विवाह बढ़ाओ,
प्रेम की गंगा खूब बहाओ।
जाति के बंधन तोड़ दो सारे,
बनो इंसान, प्यारे-प्यारे।
अर्थ: अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा दो, प्रेम की गंगा खूब बहाओ। जाति के सारे बंधन तोड़ दो, और प्यारे इंसान बनो।

चरण 7
मिलकर कदम बढ़ाएं हम,
जातिवाद का मिटाएं गम।
एकता का भारत बनाएँगे,
स्वर्णिम युग फिर लाएँगे।
अर्थ: आओ हम सब मिलकर कदम बढ़ाएं, और जातिवाद के दुख को मिटाएं। हम एकता का भारत बनाएंगे, और फिर से स्वर्णिम युग लाएंगे।

🖼� चित्र:

एक टूटा हुआ जंजीर का टुकड़ा, जो स्वतंत्रता और मुक्ति का प्रतीक है।

विभिन्न समुदायों के लोग एक ही मेज पर बैठकर खाना खा रहे हैं।

एक बच्चा जातिवाद-मुक्त दुनिया का सपना देख रहा है।

** symbolic:**

एक हाथ में मशाल (ज्ञान और परिवर्तन) 🔥

एक पुल (जोड़ने वाला) 🌉

एक मुस्कुराता हुआ चेहरा 😊 (सद्भाव)

** इमोजी सारांश:**
🚫💔⚖️🗣�🌱✅🛡�

--अतुल परब
--दिनांक-07.07.2025-सोमवार.
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