विष्णु का नवदुर्गा रूप और उसका महत्व: एक भक्तिपूर्ण कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 09, 2025, 10:14:26 PM

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Atul Kaviraje

विष्णु का नवदुर्गा रूप और उसका महत्व: एक भक्तिपूर्ण कविता-

चरण 1: एक ही सत्ता, रूप अनेक
🕉�🔄✨
परमात्मा एक है, ये जग जाने,
रूप अनेक, भेद न माने।
विष्णु भी दुर्गा, दुर्गा भी विष्णु,
शक्ति का संगम, पावन है विष्णु।

अर्थ: यह संसार जानता है कि परमपिता परमेश्वर एक ही हैं, भले ही उनके रूप अनेक क्यों न हों। विष्णु भी दुर्गा का रूप हैं और दुर्गा भी विष्णु का। यह शक्ति का अद्भुत संगम है, और विष्णु का यह रूप अत्यंत पवित्र है।

चरण 2: संरक्षण का भाव, दुष्टों का नाश
🛡�⚔️🌍
ज्यों विष्णु करें, सृष्टि की रक्षा,
दुर्गा भी देतीं, भक्तों को भिक्षा।
बुराई को मारें, धर्म बचाएँ,
एक ही शक्ति, हर रूप में गाएँ।

अर्थ: जैसे भगवान विष्णु सृष्टि की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार देवी दुर्गा भी अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वे बुराई का नाश करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं। यह एक ही शक्ति है जिसे हम हर रूप में पूजते हैं।

चरण 3: शक्ति का स्रोत, आधार वही
⚡️💡💫
दुर्गा की शक्ति, विष्णु से आई,
महामाया का, आधार वही।
जब-जब संकट, तब-तब प्रगटीं,
हर अंधकार, हर दुविधा हटी।

अर्थ: देवी दुर्गा की शक्ति भगवान विष्णु से ही प्राप्त हुई है, क्योंकि विष्णु ही महामाया का आधार हैं। जब-जब कोई संकट आता है, तब-तब देवी प्रकट होती हैं और सभी अंधकार व दुविधाओं को दूर करती हैं।

चरण 4: माया का खेल, प्रभु का नियंत्रण
🎭🌀👁��🗨�
मायावी लीला, ये जग सारा,
विष्णु की शक्ति, अद्भुत धारा।
दुर्गा भी मोहित, करतीं सबको,
ज्ञान मिले, जब मानें प्रभु को।

अर्थ: यह सारा संसार माया का खेल है, और यह विष्णु की अद्भुत शक्ति की ही धारा है। देवी दुर्गा भी अपनी माया से सबको मोहित करती हैं। हमें सच्चा ज्ञान तभी मिलता है जब हम प्रभु की महिमा को स्वीकार करते हैं।

चरण 5: संतुलन का चक्र, ब्रह्मांड का सार
⚖️🌐🤝
सृष्टि का संतुलन, सदा बनाए,
धर्म-अधर्म का, भेद समझाए।
विष्णु और दुर्गा, एक ही धुन में,
जीवन का चक्र, चलता उनके गुन में।

अर्थ: विष्णु और दुर्गा दोनों ही सृष्टि के संतुलन को बनाए रखते हैं और हमें धर्म तथा अधर्म का भेद समझाते हैं। वे एक ही धुन में कार्य करते हैं, और जीवन का यह चक्र उनकी ही शक्ति से चलता है।

चरण 6: भक्ति का मार्ग, मोक्ष की राह
🙏💖🚪
पूजा करो तुम, जिस भी रूप की,
पहुँचेगी वो, प्रभु के समीप ही।
विष्णु-दुर्गा एक, ये मन में धारे,
मोक्ष मिले, भवसागर से तारे।

अर्थ: तुम जिस भी रूप की पूजा करो, वह पूजा अंततः प्रभु तक ही पहुँचेगी। यह बात अपने मन में धारण करो कि विष्णु और दुर्गा एक ही हैं। इससे तुम्हें मोक्ष मिलेगा और तुम भवसागर से पार हो जाओगे।

चरण 7: समग्रता का भाव, कल्याण की दिशा
🎨🌟🎯
भेद मिटाओ, मन में प्रेम धरो,
एक ही प्रभु को, सदा याद करो।
नवदुर्गा में देखो, विष्णु का रूप,
कल्याण होगा, सुखमय स्वरूप।

अर्थ: अपने मन से भेदभाव को मिटाओ और प्रेम धारण करो। एक ही प्रभु को हमेशा याद करो। नवदुर्गा के रूपों में भी विष्णु के स्वरूप को देखो। ऐसा करने से आपका कल्याण होगा और जीवन सुखमय बनेगा।

--अतुल परब
--दिनांक-09.07.2025-बुधवार.
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