भगवान विट्ठल और महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन: एक भक्तिपूर्ण कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 09, 2025, 10:14:59 PM

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Atul Kaviraje

भगवान विट्ठल और महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन: एक भक्तिपूर्ण कविता-

चरण 1: पंढरपुर के राजा, विट्ठल प्यारे
🙏💖🌟
पंढरपुर में विराजे, विट्ठल प्यारे,
महाराष्ट्र के भक्तों के सहारे।
कमर पे हाथ धरे, ईंट पे खड़े,
दर्शन को तरसें, लाखों दीवाने।

अर्थ: पंढरपुर में भगवान विट्ठल विराजमान हैं, जो महाराष्ट्र के भक्तों के प्रिय देवता हैं। वे कमर पर हाथ रखे, ईंट पर खड़े हैं, और लाखों भक्त उनके दर्शन के लिए तरसते हैं।

चरण 2: वारकरी चले, लेकर नाम की माला
👣📿🎶
वारी चलती, सदियों से ये,
विट्ठल नाम, धड़कन में लिए।
ज्ञानदेव, नामदेव, तुका की वाणी,
गुँजे गूँजे, ये अभंग कहानी।

अर्थ: पंढरपुर की तीर्थयात्रा (वारी) सदियों से चली आ रही है, जिसमें भक्त विट्ठल का नाम अपनी धड़कनों में लिए चलते हैं। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव और तुकाराम की वाणी, यानी उनके अभंग, हर जगह गूँजते हैं।

चरण 3: जाति-पाति का बंधन टूटा, समानता का झंडा झूमा
🤝🚫🌈
ऊँच-नीच का भेद न माना,
सबको एक ही, प्रभु पहचाना।
चोखामेला, जनाबाई, संग गाए,
विट्ठल भक्ति में सब समाए।

अर्थ: इस आंदोलन में ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं माना गया, सभी ने एक ही प्रभु को पहचाना। संत चोखामेला और जनाबाई जैसे भक्त साथ मिलकर गाते थे, और सभी विट्ठल भक्ति में लीन रहते थे।

चरण 4: अभंगों का अमृत, कीर्तन की बानी
📜🎤🎼
ज्ञान की गंगा, अभंगों से बही,
कीर्तन में डूबे, हर दिल कही।
नामस्मरण से, मुक्ति का द्वार,
विट्ठल भक्ति, भवसागर पार।

अर्थ: ज्ञान की गंगा अभंगों के रूप में प्रवाहित हुई, और कीर्तन में हर दिल भगवान के नाम में डूब गया। भगवान के नाम का स्मरण करने से मुक्ति का द्वार खुल जाता है, और विट्ठल भक्ति हमें भवसागर से पार ले जाती है।

चरण 5: समाज सुधार का दीप जलाया
💡🔄🌟
अंधविश्वास, पाखंड हटाया,
सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाया।
एकनाथ ने, मानवता सिखाई,
हर जीव में प्रभु की छवि दिखाई।

अर्थ: इस आंदोलन ने अंधविश्वास और पाखंड को दूर किया, और सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाया। संत एकनाथ ने मानवता का पाठ पढ़ाया और हर जीव में प्रभु की छवि देखने को कहा।

चरण 6: प्रेम का बंधन, समर्पण की डोरी
❤️🫶💞
ज्ञान नहीं, बस प्रेम है सच्चा,
विट्ठल के लिए, मन का बच्चा।
समर्पण से ही, प्रभु हैं मिलते,
भक्ति के फूल, सदा खिलते।

अर्थ: इस मार्ग पर केवल ज्ञान नहीं, बल्कि सच्चा प्रेम ही महत्वपूर्ण है। विट्ठल के लिए मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए। प्रभु केवल सच्चे समर्पण से ही मिलते हैं, और भक्ति के फूल हमेशा खिले रहते हैं।

चरण 7: आज भी वही वारी, वही आधार
⏳💫🌍
सदियों से चली, ये पावन वारी,
आज भी लाखों की है ये तैयारी।
विट्ठल की भक्ति, है अमर गाथा,
महाराष्ट्र की आत्मा, ये है माथा।

अर्थ: यह पवित्र तीर्थयात्रा सदियों से चली आ रही है, और आज भी लाखों भक्त इसके लिए तैयार रहते हैं। विट्ठल की भक्ति एक अमर गाथा है, और यह महाराष्ट्र की आत्मा और उसका गौरव है।

--अतुल परब
--दिनांक-09.07.2025-बुधवार.
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