श्री गुरुदेव दत्त और परिवार: आध्यात्मिक ज्योति 📜🙏🕉️✨📚👨‍🏫🌿🧘‍♂️💖🕊️❤️🦉🤝

Started by Atul Kaviraje, July 10, 2025, 10:14:08 PM

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Atul Kaviraje

श्री गुरुदेव दत्त और परिवार: आध्यात्मिक ज्योति 📜

गुरुदेव दत्त, त्रिमुखी अविनाशी,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश के हैं वासी।
अत्रि-अनसूया के पुत्र महान,
ज्ञान की ज्योत जलाते, देते सबको ज्ञान।
अर्थ: गुरुदेव दत्त, तीनों लोकों के स्वामी अविनाशी हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में निवास करते हैं। महर्षि अत्रि और सती अनुसूया के महान पुत्र, वे ज्ञान की ज्योति जलाते हैं और सबको ज्ञान देते हैं।

उनका परिवार, ना रक्त का बंधन,
शिष्य परंपरा, गुरु का वो वंदन।
श्रीपाद वल्लभ, नृसिंह सरस्वती आए,
ज्ञान की गंगा, धरा पर बहाए।
अर्थ: उनका परिवार रक्त का बंधन नहीं है, बल्कि यह गुरु परंपरा और गुरु का वंदन है। श्रीपाद वल्लभ और नृसिंह सरस्वती आए, और ज्ञान की गंगा धरती पर बहाई।

गुरुचरित्र में, उनकी लीलाएँ हैं लिखीं,
भक्तों के मन में, श्रद्धा है खिली।
गुरु ही ईश्वर, यही है उनका पाठ,
भक्ति से भरते, हर आत्मा का घाट।
अर्थ: गुरुचरित्र में उनकी लीलाएं लिखी हुई हैं, जिससे भक्तों के मन में श्रद्धा खिलती है। "गुरु ही ईश्वर हैं," यही उनका पाठ है, और वे भक्ति से हर आत्मा के मार्ग को भरते हैं।

चौबीस गुरुओं से, ज्ञान उन्होंने पाया,
जीवन के हर कण में, गुरु को ही पाया।
पृथ्वी से सीखा, धैर्य और क्षमा,
सूर्य से पाया, प्रकाश की उपमा।
अर्थ: उन्होंने चौबीस गुरुओं से ज्ञान प्राप्त किया, और जीवन के हर कण में गुरु को ही पाया। पृथ्वी से धैर्य और क्षमा सीखी, और सूर्य से प्रकाश की उपमा पाई।

योग और वैराग्य का, दिया है संदेश,
सच्चा सुख मिलता, मिटे जब क्लेश।
माया के बंधन से, मुक्ति दिलाते,
आत्मा को परमात्मा से, वे मिलाते।
अर्थ: उन्होंने योग और वैराग्य का संदेश दिया है, सच्चा सुख तभी मिलता है जब दुख दूर हो जाए। वे माया के बंधनों से मुक्ति दिलाते हैं, और आत्मा को परमात्मा से मिलाते हैं।

गाणगापुर हो, या पीठापुरम धाम,
उनके भक्तों का, हर जगह है काम।
मानवता की सेवा, यही है धर्म,
उनके पथ पर चलें, यही अपना मर्म।
अर्थ: चाहे गाणगापुर हो या पीठापुरम धाम, उनके भक्तों का हर जगह काम है। मानवता की सेवा ही धर्म है, और उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही हमारा कर्तव्य है।

अविनाशी गुरुवर, हैं सबके आधार,
ज्ञान की ज्योति से, करते उद्धार।
दत्त दिगंबरा, गुरुदेव दिगंबरा,
भव सागर से तारो, करो मेरा उद्धार।
अर्थ: अविनाशी गुरुवर, सबके आधार हैं, ज्ञान की ज्योति से उद्धार करते हैं। दत्त दिगंबरा, गुरुदेव दिगंबरा, भवसागर से मुझे तारो और मेरा उद्धार करो।

इमोजी सारांश: 📜🙏🕉�✨📚👨�🏫🌿🧘�♂️💖🕊�❤️🦉🤝🌈🔔

--अतुल परब
--दिनांक-10.07.2025-गुरुवार.
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