कविता - पुराने रोगों का जागरूकता दिवस-१० जुलाई २०२५, गुरुवार-

Started by Atul Kaviraje, July 10, 2025, 10:29:59 PM

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Atul Kaviraje

दीर्घ हिंदी कविता - पुराने रोगों का जागरूकता दिवस पर 🎗�

आज १० जुलाई २०२५, गुरुवार को, पुराने रोगों के जागरूकता दिवस के पावन अवसर पर यह एक सुंदर, अर्थपूर्ण और सरल कविता:

१. जागरूकता की पुकार 📢
आज दिवस है खास, करें एक पुकार,
पुराने रोगों से पाएं छुटकारा।
जागरूकता की लौ, अब है जलानी,
स्वस्थ जीवन की हर कहानी।
अर्थ: आज एक खास दिन है, हम एक पुकार करते हैं कि पुराने रोगों से छुटकारा पाएं। जागरूकता की लौ अब जलानी है, ताकि हर जीवन स्वस्थ हो।

२. रोग अनेक, चुनौती एक 💔
मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर और भी,
श्वसन के विकार, जीवन में दुख भी।
ये रोग पुराने, करते हैं परेशान,
हर पल रहते हैं, बनकर मेहमान।
अर्थ: मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर और अन्य श्वसन संबंधी विकार जीवन में दुख देते हैं। ये पुराने रोग परेशान करते हैं और हर पल मेहमान बनकर रहते हैं।

३. रोकथाम है उपाय 🥦
नियमित व्यायाम, पौष्टिक हो आहार,
धूम्रपान छोड़ो, बनो समझदार।
इन आदतों से ही, रोग दूर भागें,
खुशियों के दीपक, जीवन में जागें।
अर्थ: नियमित व्यायाम करें और पौष्टिक भोजन लें। धूम्रपान छोड़ें और समझदार बनें। इन्हीं आदतों से रोग दूर भागेंगे और जीवन में खुशियों के दीपक जलेंगे।

४. शीघ्र निदान का महत्व 🔬
लक्षणों पर रखो, पैनी अपनी नजर,
देर न करना कभी, हो कोई असर।
शीघ्र निदान से ही, मिलती है राहत,
जीवन में आती है, सच्ची चाहत।
अर्थ: लक्षणों पर अपनी पैनी नजर रखें, कभी देर न करें। शीघ्र निदान से ही राहत मिलती है और जीवन में सच्ची चाहत आती है।

५. सहारा और समर्थन 🤝
जो जूझ रहे इनसे, उनको दो साथ,
मानसिक संबल, पकड़ो उनका हाथ।
अकेला न छोड़ो, सहारा बनो,
खुशियों का दीप, फिर से जलो।
अर्थ: जो इन रोगों से जूझ रहे हैं, उन्हें साथ दें, मानसिक संबल दें, उनका हाथ पकड़ें। उन्हें अकेला न छोड़ें, सहारा बनें, ताकि खुशियों का दीप फिर से जले।

६. मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी 🧠
तन की पीड़ा संग, मन भी थकता है,
तनाव और चिंता, अक्सर सताता है।
मानसिक स्वास्थ्य का, रखो तुम ध्यान,
जीवन में खुशियों का, बनाओ मकान।
अर्थ: शरीर की पीड़ा के साथ मन भी थकता है, तनाव और चिंता अक्सर सताती है। मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और जीवन में खुशियों का घर बनाएं।

७. स्वस्थ जीवन का संदेश 🎗�
यह दिवस देता है, एक ही संदेश,
स्वस्थ रहो, मस्त रहो, दूर रहे क्लेश।
मिलकर हम लड़ें, इन रोगों से आज,
जीवन को बनाएं, खुशियों का ताज।
अर्थ: यह दिवस एक ही संदेश देता है कि स्वस्थ रहो, मस्त रहो, क्लेश दूर रहे। मिलकर हम इन रोगों से लड़ें और जीवन को खुशियों का ताज बनाएं।

पुराने रोगों के जागरूकता दिवस पर, हम सभी मिलकर एक स्वस्थ और खुशहाल समाज बनाने का संकल्प लें। 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-11.07.2025-शुक्रवार.
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