स्वातंत्र्यवीर सावरकर: एक काव्यमय चिंतन 📝🕵️‍♂️💔⚔️🕉️🇮🇳🤝🤔🚫↔️🧩🤷‍♂️🕊️♟️

Started by Atul Kaviraje, July 12, 2025, 04:29:38 PM

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Atul Kaviraje

स्वातंत्र्यवीर सावरकर: एक काव्यमय चिंतन 📝

एक हिंदी कविता: प्रो. शेषराव मोरे के विचारों पर आधारित
1.

सावरकर का नाम, गूँजे आज भी भारी,
कहीं सम्मान, कहीं आरोप की सवारी।
पर सच क्या था, ये समझना है लाज़मी,
किसने की क्षति, उनकी ये है कहानी।

अर्थ: सावरकर का नाम आज भी बहुत महत्वपूर्ण है, कुछ लोग उनका सम्मान करते हैं तो कुछ उन पर आरोप लगाते हैं। लेकिन सच को समझना जरूरी है कि उनके व्यक्तित्व को सबसे ज्यादा नुकसान किसने पहुंचाया, यह कविता उसी कहानी को कहती है।

2.

हिंदुत्व उनका, न था मजहब का खेल,
भूमि, संस्कृति का वो था गहरा मेल।
सब भारतीय, जो मानते वतन को,
थे हिंदू वो, ये था उनका संकल्प।

अर्थ: उनका हिंदुत्व किसी धर्म तक सीमित नहीं था, बल्कि वह भूमि और संस्कृति का एक गहरा जुड़ाव था। उनके अनुसार, सभी भारतीय जो अपने देश को अपना मानते थे, वे हिंदू थे, यह उनका दृढ़ विचार था।

3.

कहा उज्‍जवों ने, वे उनके ही थे खास,
पर उनके विचार, करते थे उपहास।
भेदभाव, जातिवाद, उन्हें न था स्वीकार,
संघ भी कुछ हटकर, ये था इक विचार।

अर्थ: दक्षिणपंथी समूहों ने उन्हें अपना खास बताया, लेकिन सावरकर के विचार उनके कुछ रूढ़िवादी विचारों का मजाक उड़ाते थे। सावरकर को भेदभाव और जातिवाद पसंद नहीं था। कुछ विचारकों के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचार भी कुछ मामलों में सावरकर से अलग थे।

4.

मुस्लिम धार्जिणे, या राष्ट्र का था प्रेम,
आरोप लगे उन पर, ये कैसा था गेम।
न तुष्टिकरण, न नफरत की थी बात,
भारत की एकता, था उनका विश्वास।

अर्थ: उन पर मुस्लिम-तुष्टिकरण के आरोप लगे, या यह सवाल उठा कि क्या यह राष्ट्र के प्रति प्रेम था। न तो वे किसी का तुष्टिकरण कर रहे थे और न ही नफरत फैला रहे थे, बल्कि उन्हें भारत की एकता पर विश्वास था।

5.

आज भी राजनीति, क्यों उन पर है जारी,
पहचान की जंग, या इतिहास की खुमारी।
दया याचिका, या रणनीति का था काम,
रणभूमि में वीर, या बस एक विराम।

अर्थ: आज भी उन पर राजनीति क्यों होती है, क्या यह पहचान की लड़ाई है या इतिहास के प्रति जुनून। उनकी दया याचिकाएं केवल माफी थीं या एक रणनीति का हिस्सा थीं, क्या वे युद्ध के मैदान में वीर थे या सिर्फ एक अल्पकालिक विराम था।

6.

गांधी से भिन्न पथ, पर मंज़िल थी एक,
भारत की आज़ादी, यही थी उनकी टेक।
क्रांति का झंडा, या अहिंसा का ज्ञान,
दोनों ने ही मांगा, देश का कल्याण।

अर्थ: उनका रास्ता गांधी से अलग था, लेकिन उनकी मंजिल एक ही थी - भारत की आजादी। चाहे क्रांति का रास्ता हो या अहिंसा का ज्ञान, दोनों ने ही देश की भलाई चाही।

7.

समाज सुधारक, वैज्ञानिक वो थे विचार,
रूढ़िवाद, अंधविश्वास, किया था प्रतिकार।
आज भी प्रासंगिक, उनके हैं संदेश,
राष्ट्रवाद की ज्योति, बिखेरें हर देश।

अर्थ: वे एक समाज सुधारक थे और वैज्ञानिक सोच रखते थे। उन्होंने रूढ़िवादिता और अंधविश्वास का विरोध किया। उनके संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और राष्ट्रवाद की ज्योति को हर देश में फैलाते हैं।

कविता के साथ चित्र, प्रतीक और इमोजी:
कविता का शीर्षक: 💖 स्वातंत्र्यवीर सावरकर: एक काव्यमय चिंतन 🇮🇳

चित्र: सावरकर का एक चित्र, जिसके पीछे भारत का नक्शा हो, और नक्शे पर अलग-अलग विचारधाराओं के रंग दिख रहे हों।

प्रत्येक चरण के साथ:

चरण 1: 🕵��♂️💔⚔️

चरण 2: 🕉�🇮🇳🤝

चरण 3: 🤔🚫↔️

चरण 4: 🧩🤷�♂️🕊�

चरण 5: ♟️🗣�🔑

चरण 6: 🛣�🎯✊

चरण 7: 💡🪷🌱

इमोजी सारांश (कविता):
🕵��♂️💔⚔️🕉�🇮🇳🤝🤔🚫↔️🧩🤷�♂️🕊�♟️🗣�🔑🛣�🎯✊💡🪷🌱

--अतुल परब
--दिनांक-12.07.2025-शनिवार.
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