भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या और उसके प्रभाव कविता 📜✨🇮🇳📈💧🌳🏭😷💸

Started by Atul Kaviraje, July 12, 2025, 10:36:46 PM

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Atul Kaviraje

भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या और उसके प्रभाव पर हिंदी कविता 📜✨

(१)
भारत की धरती, जन का है भार,
बढ़ती आबादी, करती हाहाकार.
संसाधनों पे दबाव, पर्यावरण पे मार,
हर दिशा में दिखे, एक नया संघर्ष सार.

अर्थ: भारत की धरती पर जनसंख्या का भार है, बढ़ती आबादी हाहाकार मचा रही है। संसाधनों पर दबाव है, पर्यावरण पर चोट पहुँच रही है, और हर तरफ एक नया संघर्ष दिख रहा है।

(२)
जल, जंगल, जमीन, सब होते कम,
प्रदूषण का छाया, हर सुबह हर शाम.
साँस लेना मुश्किल, नदियाँ हैं मैली,
कुदरत की सेहत, अब तो है डैली.

अर्थ: पानी, जंगल और जमीन सभी कम होते जा रहे हैं, और प्रदूषण हर सुबह-शाम छाया रहता है। साँस लेना मुश्किल हो गया है, नदियाँ मैली हैं, और प्रकृति का स्वास्थ्य अब बिगड़ता जा रहा है।

(३)
स्कूलों में भीड़, अस्पतालों में लाइन,
सुविधाओं की कमी, हर जगह साइन.
बेरोजगारी का दानव, फैलाता पंख,
युवाओं के सपनों पर, लगाता है दंक.

अर्थ: स्कूलों में भीड़ है, अस्पतालों में लाइनें हैं, हर जगह सुविधाओं की कमी दिख रही है। बेरोजगारी का दानव अपने पंख फैला रहा है, और युवाओं के सपनों पर प्रहार कर रहा है।

(४)
गरीबी की चादर, और फैली जाए,
असमानता की खाई, गहरी हो जाए.
हर पेट को भोजन, कैसे मिले पूरा,
ये सवाल है गहरा, अधूरा-अधूरा.

अर्थ: गरीबी की चादर और फैलती जा रही है, असमानता की खाई गहरी होती जा रही है। हर किसी के पेट को पूरा भोजन कैसे मिले, यह सवाल गहरा है और अधूरा सा है।

(५)
खेती की ज़मीनें, बनती हैं मकान,
खेतों के बिना, अन्न कहाँ से आए? धान.
शहरों का फैलाव, गाँवों पे बोझ,
संतुलन बिगड़ता, हर दिन की खोज.

अर्थ: खेती की ज़मीनें घरों में बदल रही हैं, खेतों के बिना अनाज कहाँ से आएगा? शहरों का फैलाव गाँवों पर बोझ डाल रहा है, और संतुलन हर दिन बिगड़ता जा रहा है।

(६)
स्वास्थ्य सेवाएँ भी, कैसे निभाएं रोल,
बीमारियाँ बढ़तीं, देती हैं अनमोल.
सामाजिक तनाव, बढ़ता है रोज़,
शांति की राहें, बन जातीं हैं बोझ.

अर्थ: स्वास्थ्य सेवाएँ भी अपनी भूमिका कैसे निभाएं, बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं, जो अनमोल जीवन छीन रही हैं। सामाजिक तनाव रोज़ बढ़ रहा है, और शांति की राहें भी बोझ बन गई हैं।

(७)
समझें हम समस्या, करें कुछ उपाय,
जनसंख्या नियंत्रण, सुख की किरण लाए.
शिक्षित हों सब नर-नारी, हो परिवार नियोजन,
तभी भारत बनेगा, समृद्ध और जन-जन.

अर्थ: हमें समस्या को समझना चाहिए और कुछ उपाय करने चाहिए, जनसंख्या नियंत्रण सुख की किरण लाएगा। सभी पुरुष-महिलाएं शिक्षित हों, और परिवार नियोजन हो, तभी भारत समृद्ध बनेगा और हर व्यक्ति का विकास होगा।

इमोजी सारांश 🇮🇳📈💧🌳🏭😷💸
भारत में बढ़ती जनसंख्या संसाधनों पर भारी दबाव डाल रही है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण, बेरोजगारी, गरीबी और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसी गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। यह कृषि भूमि को कम कर रहा है और सामाजिक तनाव बढ़ा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए परिवार नियोजन और शिक्षा जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक है ताकि भारत एक समृद्ध और संतुलित भविष्य की ओर बढ़ सके।

--अतुल परब
--दिनांक-12.07.2025-शनिवार.
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