जया-पार्वती व्रत का समापन-🙏🌺✨🌙💖🕉️💍🌿💧🍬🏡

Started by Atul Kaviraje, July 14, 2025, 10:23:50 AM

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Atul Kaviraje

जया-पार्वती व्रत का समापन-

जया-पार्वती व्रत का समापन: एक पवित्र पर्व का अंत (13 जुलाई, 2025 - रविवार) 🙏🌺✨

आज, 13 जुलाई 2025, रविवार, जया-पार्वती व्रत का समापन दिवस है। यह व्रत, जो मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए, और अविवाहित लड़कियों द्वारा अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए किया जाता है। पाँच दिनों तक चलने वाला यह व्रत माँ पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है, जिनकी अखंड कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। यह समापन दिवस उपवास के पूर्ण होने और व्रत के दौरान की गई भक्ति और तपस्या का फल प्राप्त होने का प्रतीक है।

इस विशेष दिन का महत्व और विवेचन:

जया-पार्वती व्रत का परिचय: जया-पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि तक चलता है। यह व्रत पाँच दिनों का होता है, जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।

उद्देश्य और फल: इस व्रत का मुख्य उद्देश्य सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु और अविवाहित लड़कियों के लिए योग्य वर की प्राप्ति है। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि: व्रत के दौरान, भक्त प्रतिदिन शिव और पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर या उनकी तस्वीर की पूजा करते हैं। इसमें खासकर जवारे (गेहूं के दाने) बोए जाते हैं, जिनकी प्रतिदिन पूजा और जल से सिंचन किया जाता है।

पंचदिवसीय तपस्या: यह पाँच दिनों की एक कठिन तपस्या होती है, जिसमें कई भक्त निर्जला उपवास रखते हैं या केवल फल और दूध का सेवन करते हैं। यह आत्म-संयम और भक्ति का प्रतीक है।

समापन दिवस का महत्व: समापन दिवस, जिसे जया-पार्वती जागरण या पारणा के रूप में जाना जाता है, व्रत के पाँचवें दिन होता है। इस दिन भक्त उपवास का विधिवत समापन करते हैं।

जागरण और कथा: समापन दिवस पर रात भर जागरण किया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती के भजन-कीर्तन होते हैं और व्रत की कथा सुनी जाती है। यह कथा पार्वती जी के शिव को प्राप्त करने के संघर्ष और उनकी तपस्या को दर्शाती है।

जवारे का विसर्जन: समापन के दिन, व्रत के दौरान बोए गए जवारों को किसी पवित्र नदी या जलाशय में विसर्जित किया जाता है। यह प्रतीक है कि भक्त ने अपना व्रत पूर्ण कर लिया है और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया है।

सात्विक भोजन और प्रसाद: व्रत के समापन पर, भक्त सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और प्रसाद के रूप में सूखे मेवे, फल और मिठाई वितरित करते हैं। यह पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है।

सामाजिक और पारिवारिक महत्व: यह व्रत केवल व्यक्तिगत भक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है। यह परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य और प्रेम बढ़ाता है और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, कई घरों में बेटियां अपनी माँ और दादी के साथ मिलकर यह व्रत करती हैं, जिससे यह परंपरा पीढ़ियों तक चलती रहती है।

समर्पण और विश्वास का प्रतीक: जया-पार्वती व्रत का समापन इस बात का प्रमाण है कि भक्तों ने पूरे समर्पण और अटूट विश्वास के साथ अपनी प्रार्थनाएँ की हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और धैर्य से कोई भी मनोकामना पूरी हो सकती है।

जया-पार्वती व्रत का यह समापन दिवस सभी भक्तों के लिए सुख, शांति और सौभाग्य लाए। माँ पार्वती और भगवान शिव की कृपा बनी रहे!

इमोजी सारांश: 🙏🌺✨🌙💖🕉�💍🌿💧🍬🏡

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-13.07.2025-रविवार.
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