रोहिंग्या समस्या और स्वातंत्र्यवीर सावरकर का नाटक 'संन्यस्त खड्ग' -🎭🌍💔🇮🇳🌐⚔

Started by Atul Kaviraje, July 14, 2025, 04:26:36 PM

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Atul Kaviraje

रोहिंग्या समस्या आणि स्वातंत्र्यवीर सावरकरांचे नाटक `संन्यस्त खड्ग' - SAMIKSHAK-BHAU TORASEKAR-

रोहिंग्या समस्या और स्वातंत्र्यवीर सावरकर का नाटक 'संन्यस्त खड्ग' - समीक्षक: भाऊ तोरसेकर 🎭🌍

आज के वैश्विक परिदृश्य में, रोहिंग्या समस्या एक जटिल मानवीय और भू-राजनीतिक चुनौती के रूप में उभरी है। लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से विस्थापित होकर विभिन्न देशों में शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। यह समस्या न केवल मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक बड़ा उदाहरण है, बल्कि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक शरणार्थी नीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इसी संदर्भ में, विचारक और समीक्षक भाऊ तोरसेकर स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के ऐतिहासिक नाटक 'संन्यस्त खड्ग' की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हैं, जो अहिंसा और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के द्वंद्व को दर्शाता है।

1. रोहिंग्या समस्या: एक परिचय 💔
रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला एक मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह है, जिसे म्यांमार सरकार द्वारा नागरिकता से वंचित कर दिया गया है। 2017 से म्यांमार सेना द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई के बाद, लाखों रोहिंग्या बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों में शरणार्थी के रूप में पलायन कर चुके हैं। यह एक गंभीर मानवीय संकट है, जिसमें भूख, बीमारी और असुरक्षा का सामना कर रहे लाखों लोग शामिल हैं।

2. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति 🇮🇳🌐
रोहिंग्या समस्या पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने म्यांमार की कार्रवाई की निंदा की है। भारत ने रोहिंग्याओं को प्रत्यक्ष रूप से शरणार्थी का दर्जा नहीं दिया है, बल्कि उन्हें अवैध अप्रवासी माना है। भारत की अपनी सुरक्षा चिंताएँ हैं, विशेषकर घुसपैठ और आतंकवाद के संभावित खतरे को लेकर।

3. स्वातंत्र्यवीर सावरकर: एक संक्षिप्त परिचय ⚔️📖
विनायक दामोदर सावरकर एक दूरदर्शी राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, कवि और नाटककार थे। वे अपनी उग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा और हिंदुत्व की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत को एक मजबूत और आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाने का सपना देखा था। उनका मानना था कि राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता सर्वोपरि है।

4. नाटक 'संन्यस्त खड्ग': मुख्य विषयवस्तु 🎭✨
सावरकर का नाटक 'संन्यस्त खड्ग' (त्यागी तलवार) 1931 में लिखा गया था। यह नाटक अहिंसा और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के शाश्वत द्वंद्व को दर्शाता है। कहानी एक ऐसे राजा के इर्द-गिर्द घूमती है जो बौद्ध धर्म अपनाकर अहिंसा का मार्ग अपना लेता है, लेकिन इससे उसके राज्य पर बाहरी आक्रमण का खतरा मंडराने लगता है। नाटक यह प्रश्न उठाता है कि क्या राष्ट्र की सुरक्षा को दाँव पर लगाकर पूर्ण अहिंसा का पालन करना उचित है।

5. भाऊ तोरसेकर की समीक्षा: प्रासंगिकता का विश्लेषण 🧐
समीक्षक भाऊ तोरसेकर 'संन्यस्त खड्ग' को केवल एक ऐतिहासिक नाटक के रूप में नहीं देखते, बल्कि इसे वर्तमान रोहिंग्या समस्या के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक पाते हैं। तोरसेकर तर्क देते हैं कि सावरकर का नाटक यह दर्शाता है कि अत्यधिक अहिंसा की नीति राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। उनका मानना है कि किसी भी राष्ट्र को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'खड्ग' (तलवार) को पूरी तरह से 'संन्यस्त' (त्याग) नहीं करना चाहिए।

सार संक्षेप इमोजी: 🎭🌍💔🇮🇳🌐⚔️📖✨🧐⚖️🛡�🤝🚧🛂🚨💡⏳🗡�🇮🇳

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.07.2025-सोमवार.
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