ठाकरे बंधुओं का संभावित पुनर्मिलन: महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़? 🔄-1-

Started by Atul Kaviraje, July 17, 2025, 06:53:16 PM

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Atul Kaviraje

ठाकरे बंधुओं का संभावित पुनर्मिलन: महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़? 🔄

वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र परांजपे के विचारों पर आधारित विश्लेषण

महाराष्ट्र की राजनीति में हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित सुलह। लगभग दो दशकों की कड़वाहट और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बाद, क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे फिर से एक साथ आ सकते हैं? यदि ऐसा होता है, तो इसके पीछे की मंशा क्या है और इसका महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए इन सवालों को 10 प्रमुख बिंदुओं में गहराई से समझते हैं, जैसा कि एक वरिष्ठ पत्रकार के दृष्टिकोण से देखा जा सकता है।

1. दो दशकों की प्रतिद्वंद्विता के बाद एक साथ आने की संभावना क्यों? 🤔
राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़ी थी, क्योंकि उन्हें लगा कि उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे को पार्टी में अधिक महत्व दिया जा रहा है। उनकी प्रतिद्वंद्विता व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों थी। हालांकि, हाल के वर्षों में शिवसेना में हुए विभाजन (एकनाथ शिंदे गुट का अलग होना) और उद्धव गुट के राजनीतिक रूप से कमजोर पड़ने के बाद, एक मजबूत हिंदुत्ववादी मराठी पहचान वाली पार्टी की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

उदाहरण: उद्धव ठाकरे का शिवसेना पर से नियंत्रण कमजोर होने के बाद, उन्हें एक मजबूत मराठीवादी आवाज की तलाश है, और राज ठाकरे इसमें फिट बैठते हैं।

सिंबल: टूटे हुए रिश्ते का प्रतीक (💔) जो अब जुड़ने की कोशिश कर रहा है (🔗)

2. क्या देवेंद्र फडणवीस इस संभावित एकीकरण के सूत्रधार हैं? 🧠
महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक चतुर रणनीतिकार माना जाता है। भाजपा के लिए, शिंदे गुट की शिवसेना उतनी मजबूत नहीं हो पा रही है जितनी अपेक्षित थी, और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना अभी भी एक भावनात्मक शक्ति है। ऐसे में, यदि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं, तो यह मराठा वोट बैंक को एकजुट कर सकता है, जिसका फायदा परोक्ष रूप से भाजपा को हो सकता है, विशेषकर यदि यह गठबंधन भाजपा के साथ चुनाव लड़े।

उदाहरण: भाजपा को लगता है कि मराठी वोटबैंक का विभाजन उसे नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए एक मजबूत मराठीवादी चेहरा, जो भाजपा के साथ जुड़ सके, फायदेमंद होगा।

सिंबल: शतरंज का मोहरा (♟️) और रणनीति (📊)

3. क्या इस गठबंधन से कांग्रेस और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को नुकसान होगा? 📉
निश्चित रूप से। यदि ठाकरे बंधु एक साथ आते हैं, तो यह सीधे तौर पर कांग्रेस और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना दोनों को नुकसान पहुंचाएगा।

कांग्रेस: महाराष्ट्र में कांग्रेस का एक बड़ा मराठी वोट बैंक है जो हिंदुत्व और मराठी मानुष के मुद्दे पर प्रभावित हो सकता है।

शिंदे की शिवसेना: शिंदे गुट ने शिवसेना के मूल हिंदुत्व और मराठी मानुष के एजेंडे को अपनाने की कोशिश की है। यदि राज और उद्धव एक साथ आते हैं, तो शिंदे गुट अपनी मूल पहचान खो सकता है और उसे 'नकल' के रूप में देखा जा सकता है।

उदाहरण: शिंदे गुट का 'हम असली शिवसेना' का दावा कमजोर पड़ जाएगा क्योंकि ठाकरे नाम एक साथ आ जाएंगे।

सिंबल: क्षति का संकेत (⚠️), धक्का ( ধাক্কা)

4. मुंबई में अब मूल विमर्श "मराठी बनाम गैर-मराठी" है या "हिंदू बनाम मुस्लिम"? 🤔
मुंबई और महाराष्ट्र में राजनीतिक विमर्श लगातार बदल रहा है। पारंपरिक रूप से शिवसेना "मराठी बनाम गैर-मराठी" के मुद्दे पर आधारित थी। हालांकि, भाजपा के उदय और हिंदुत्व की लहर के साथ, "हिंदू बनाम मुस्लिम" का विमर्श अधिक प्रमुख हो गया है। राज ठाकरे ने भी हाल के दिनों में अपने "मराठी मानुष" एजेंडे से हटकर हिंदुत्व पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।

उदाहरण: मनसे ने अजान और हनुमान चालीसा विवाद में सक्रिय भूमिका निभाई, जो "हिंदू बनाम मुस्लिम" के विमर्श को दर्शाता है।

सिंबल: तराजू (⚖️) - बदलते प्राथमिकताएं।

5. महाराष्ट्र में "हिंदी थोपने" के मुद्दे के पीछे असली राजनीतिक मंशा क्या है? 🗣�
महाराष्ट्र में "हिंदी थोपने" का मुद्दा अक्सर एक भावनात्मक और भाषाई पहचान का मुद्दा रहा है। इसका उपयोग अक्सर क्षेत्रीय अस्मिता को जगाने और गैर-मराठी भाषियों, विशेषकर उत्तर भारतीयों, के खिलाफ एक राजनीतिक उपकरण के रूप में किया जाता है। इसकी असली राजनीतिक मंशा मराठी वोट बैंक को मजबूत करना और भाषाई आधार पर ध्रुवीकरण करना हो सकता है, खासकर चुनाव से पहले।

उदाहरण: महाराष्ट्र में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा हिंदी के कथित "थोपने" के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, मराठी गौरव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

सिंबल: मुट्ठी (✊) - विरोध और पहचान।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.07.2025-गुरुवार.
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