आरोग्य का अनारोग्य: राजू परुळेकर के 'मनातलं' से एक गंभीर समीक्षा 🏥💔😠🤐💰❌😥

Started by Atul Kaviraje, July 19, 2025, 07:23:54 PM

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Atul Kaviraje

आरोग्याचे अनारोग्य-Raju Parulekar- मनातलं (Manatale)-

आरोग्य का अनारोग्य: राजू परुळेकर के 'मनातलं' से एक गंभीर समीक्षा 🏥💔😠

एक समय था जब लोग कहते थे कि किसी को कोर्ट या पुलिस स्टेशन की सीढ़ी चढ़ने का मौका न मिले। लेकिन आज यही बात अस्पतालों (Hospitals) के लिए भी कही जाने लगी है। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजू परुळेकर अपने 'मनातलं' (मन की बात) में इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डालते हैं कि हमारी तथाकथित 'स्वास्थ्य व्यवस्था' कैसे 'अस्वस्थ व्यवस्था' (Unhealthy System) बन गई है। वे जोर देते हैं कि मरीज को सवाल पूछने का अधिकार होना चाहिए और डॉक्टर को उनका जवाब देना चाहिए। लेकिन अक्सर होता यह है कि मरीज को कुछ बताया ही नहीं जाता, और अगर वह सवाल करे तो उसे पलटकर जवाब मिलता है, "डॉक्टर तू है या मैं?" यह स्थिति वास्तव में चिंताजनक है और हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की बिगड़ती हालत को दर्शाती है।

राजू परुळेकर के दृष्टिकोण से आरोग्य व्यवस्था का 'अनारोग्य'
राजू परुळेकर के विश्लेषण के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

1. स्वास्थ्य सेवा का बदलता स्वरूप 🩺💸
पहले स्वास्थ्य सेवा को एक पुण्य का कार्य माना जाता था, लेकिन अब यह पूरी तरह से व्यावसायिक (Commercialized) हो गई है। अस्पताल और डॉक्टर अब सेवा भाव से ज़्यादा मुनाफा कमाने पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे मरीजों का विश्वास डगमगा रहा है।

2. मरीज के 'प्रश्न पूछने के अधिकार' का हनन 🗣�🔇
परुळेकर जोर देते हैं कि मरीज को अपनी बीमारी, इलाज और दवाओं के बारे में सवाल पूछने का पूरा अधिकार है। यह उसका मौलिक अधिकार है कि उसे अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिले। लेकिन व्यवहार में यह अधिकार अक्सर छीन लिया जाता है।

3. डॉक्टरों का निरंकुश रवैया 🚫😠
कई डॉक्टरों का रवैया निरंकुश (Autocratic) और गैर-जिम्मेदाराना होता जा रहा है। वे मरीज के सवालों को अपनी विशेषज्ञता पर हमला मानते हैं और उन्हें 'डॉक्टर तू है या मैं?' जैसे जवाब देकर चुप करा देते हैं। यह व्यवहार मरीज और डॉक्टर के बीच के भरोसे को खत्म करता है।

4. सूचना का अभाव और पारदर्शिता की कमी 📝❌
अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा सूचना की पारदर्शिता (Transparency) की कमी एक बड़ी समस्या है। मरीजों को उनके इलाज, लगने वाले खर्च, या संभावित जोखिमों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती, जिससे वे अंधकार में रहते हैं।

5. अविश्वास का माहौल 😟 mistrust
जब मरीज को जानकारी नहीं मिलती और उसके सवालों का जवाब नहीं दिया जाता, तो अविश्वास का माहौल पैदा होता है। मरीज और उसके परिवार को लगता है कि उनसे कुछ छिपाया जा रहा है, या उनके हित में सही फैसला नहीं लिया जा रहा है।

6. नैतिक मूल्यों का पतन 📉📉
स्वास्थ्य सेवा में नैतिक मूल्यों (Ethical Values) का पतन हो रहा है। अत्यधिक पैसे कमाने की होड़ में अनावश्यक टेस्ट, महंगी दवाएं और गैर-जरूरी सर्जरी की सलाह दी जाती है, जिससे मरीजों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है।

7. 'अ'व्यवस्था का उदय 🚧 chaotic
परुळेकर के अनुसार, यह अब 'स्वास्थ्य व्यवस्था' नहीं, बल्कि 'स्वास्थ्य अ-व्यवस्था' बन गई है। यह एक ऐसी प्रणाली है जहाँ मरीज की बजाय, आर्थिक लाभ और सुविधा को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे पूरी व्यवस्था अराजक और अक्षम दिखती है।

8. मरीज का डर और लाचारी 😥 powerlessness
अस्पताल में भर्ती होने या इलाज कराने वाला मरीज अक्सर डरा हुआ और लाचार महसूस करता है। वह अपनी बीमारी से जूझ रहा होता है और जानकारी के अभाव में उसे यह भी नहीं पता होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। यह लाचारी उसकी मानसिक स्थिति को और खराब करती है।

9. सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं में अंतर 🏢🏛�
यह समस्या केवल निजी अस्पतालों तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में भी मानवीय स्पर्श और जवाबदेही की कमी अक्सर देखी जाती है। हालांकि, निजी अस्पतालों में व्यावसायिकता का पहलू अधिक हावी होता है।

10. समाधान की आवश्यकता और मरीज सशक्तिकरण 🗣�💪
इस 'अनारोग्य' को दूर करने के लिए मरीज के सशक्तिकरण (Patient Empowerment) की आवश्यकता है। उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए और डॉक्टरों को उनके सवालों का सम्मानपूर्वक जवाब देने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। एक बेहतर संवाद और पारदर्शिता ही इस गंभीर समस्या का समाधान है।

राजू परुळेकर के 'आरोग्याचे अनारोग्य' के लिए प्रतीक और इमोजी

अस्पताल का चिन्ह: 🏥 स्वास्थ्य सेवा।

टूटा हुआ दिल: 💔 व्यवस्था का बिगड़ना।

चिड़चिड़ा चेहरा: 😠 डॉक्टरों का खराब रवैया।

प्रश्न चिह्न: 🤔 मरीज के अनसुलझे सवाल।

शांत मुंह: 🤐 मरीज को चुप कराना।

पैसे का बैग: 💰 व्यावसायिकता और मुनाफाखोरी।

कागजात पर X: ❌ पारदर्शिता की कमी।

दुखी चेहरा: 😥 मरीज की लाचारी।

इमोजी सारांश
🏥💔😠🤔🤐💰❌😥

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.07.2025-शनिवार.
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