"ताहाराबाद में विट्ठल का गान" २१ जुलाई २०२५, सोमवार-✨🎉💖🎶📚💡🤝💧📜😊🎁

Started by Atul Kaviraje, July 21, 2025, 10:35:02 PM

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Atul Kaviraje

दीर्घ हिंदी कविता: "ताहाराबाद में विट्ठल का गान"

२१ जुलाई २०२५, सोमवार - विट्ठल मंदिर उत्सव, ताहराबाद, जिला-नगर

१. पहला चरण: उत्सव की धूम
ताहाराबाद की भूमि पर, विट्ठल उत्सव छाया,
कामिका एकादशी संग, भक्ति का रंग लाया।
मंदिर में गूँजे भजन, हर मन में उमंग,
विट्ठल नाम की धुन पर, झूमे हर अंग।
अर्थ: ताहराबाद की धरती पर विट्ठल उत्सव का माहौल है, जो कामिका एकादशी के साथ भक्ति का रंग लेकर आया है। मंदिर में भजन गूंज रहे हैं, हर मन में उत्साह है, और विट्ठल नाम की धुन पर हर कोई झूम रहा है।

२. दूसरा चरण: भक्तों का आगमन
दूर-दूर से आए भक्त, हाथों में लिए पताका,
विट्ठल के दर्शन को, छोड़ा हर कुछ नाका।
पंढरी से स्वयं विठोबा, आए देने आशीष,
हर भक्त के माथे पर, उनका ही है शीश।
अर्थ: दूर-दूर से भक्त आए हैं, हाथों में झंडे लिए हुए, विट्ठल के दर्शन के लिए हर बाधा पार कर दी है। पंढरपुर से स्वयं विठोबा आशीर्वाद देने आए हैं, और हर भक्त के माथे पर उनका ही (आशीर्वाद रूपी) शीश है।

३. तीसरा चरण: भजन और कीर्तन
ढोल-ताशे की थाप पर, झांझ की मीठी झंकार,
भजन मंडली गाए, विट्ठल का जयकार।
पुंडलिक वरदा हरि, विट्ठल जय हरि,
यह गान गूंजता रहे, रात भर सारी।
अर्थ: ढोल-ताशे की थाप पर, झांझ की मीठी आवाज है, भजन मंडली विट्ठल की जय-जयकार कर रही है। 'पुंडलिक वरदा हरि, विट्ठल जय हरि' का यह गान पूरी रात गूंजता रहे।

४. चौथा चरण: समानता का भाव
ऊँच-नीच का भेद नहीं, सब एक समान यहाँ,
विट्ठल के चरणों में, मिलता है मोक्ष वहाँ।
प्रेम और सद्भाव से, बँधा है यह धाम,
हर भक्त पाता है, प्रभु से सच्चा काम।
अर्थ: यहाँ ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं है, सब एक समान हैं। विट्ठल के चरणों में मोक्ष मिलता है। यह धाम प्रेम और सद्भाव से बंधा हुआ है, हर भक्त प्रभु से सच्चा कार्य (आध्यात्मिक लाभ) प्राप्त करता है।

५. पाँचवाँ चरण: आध्यात्मिक शुद्धि
कामिका का व्रत करे, मन को पावन बनाए,
विट्ठल के नाम से, हर पाप धुल जाए।
आत्मा की शुद्धि होती, मिलता है विश्राम,
जीवन में आती है, शांति का पैगाम।
अर्थ: कामिका एकादशी का व्रत मन को पवित्र बनाता है, विट्ठल के नाम से हर पाप धुल जाता है। आत्मा की शुद्धि होती है, विश्राम मिलता है, और जीवन में शांति का संदेश आता है।

६. छठा चरण: परंपरा का गौरव
सदियों से चली आई, यह गौरवशाली परंपरा,
ताहाराबाद का विट्ठल, सदा करता है करुणा।
नई पीढ़ी भी सीखे, भक्ति का यह मार्ग,
जीवन में पाए सुख, और सच्चा अनुराग।
अर्थ: सदियों से यह गौरवशाली परंपरा चली आ रही है, ताहाराबाद के विट्ठल हमेशा करुणा करते हैं। नई पीढ़ी भी भक्ति का यह मार्ग सीखे, और जीवन में सुख तथा सच्चा प्रेम पाए।

७. सातवाँ चरण: आशीर्वाद और मंगल
हर घर में खुशहाली हो, हर दिल में आनंद,
विट्ठल के आशीर्वाद से, टूटे हर बंधन।
यह उत्सव लाए सबके, जीवन में खुशियों का द्वार,
मंगल हो हर भक्त का, मिले सुख अपार।
अर्थ: हर घर में खुशहाली हो, हर दिल में आनंद हो, विट्ठल के आशीर्वाद से हर बंधन टूट जाए। यह उत्सव सबके जीवन में खुशियों का द्वार लाए, हर भक्त का मंगल हो और उन्हें अपार सुख मिले।

कविता का अर्थ (Short Meaning of the Poem):
यह कविता ताहराबाद के विट्ठल मंदिर उत्सव का जीवंत चित्रण करती है, जो कामिका एकादशी के दिन मनाया जाता है। यह भक्तों के उत्साह, भजन-कीर्तन, सामाजिक समानता, आध्यात्मिक शुद्धि और भगवान विट्ठल के आशीर्वाद पर केंद्रित है। यह उत्सव महाराष्ट्र की वारकरी परंपरा का एक अभिन्न अंग है और भक्तों के लिए गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

प्रतीक और इमोजी (Symbols and Emojis for the Poem):

उत्सव ✨🎉: खुशी और जश्न का प्रतीक।

भक्ति 💖🎶: प्रेम और संगीत के साथ भक्ति।

ज्ञान 📚💡: संत द्वारा दिया गया ज्ञान और प्रकाश।

समानता 🤝: सामाजिक समरसता।

शुद्धि 💧: पापों से मुक्ति और पवित्रता।

परंपरा 📜: विरासत और मूल्यों का संरक्षण।

खुशियाँ 😊🎁: आनंद और शुभकामनाएं।

इमोजी सारांश (Emoji Summary):
✨🎉💖🎶📚💡🤝💧📜😊🎁 - ताहराबाद का विट्ठल उत्सव: एक आनंदमय, भक्तिपूर्ण और ज्ञानवर्धक आयोजन, जो समानता, शुद्धि और परंपरा के मूल्यों को दर्शाता है और सभी के लिए खुशियाँ लाता है।

--अतुल परब
--दिनांक-21.07.2025-सोमवार. 
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