परख

Started by mkapale, July 23, 2025, 03:38:38 PM

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mkapale

परख

सोचा कि अपने तजुर्बे से चमकाऊँ उसे,
पर वो तो पहले से ही कीमती हीरा निकला।

मैंने अपना असर उस पर छोड़ना चाहा,
और वो मुझसे भी ज्यादा असरदार निकला।

लगता रहा उम्रभर कि मैंने परखा है उसे,
कैसे हुआ कि मुझसे बेहतर मुझी से निकला?

नाज़ है मुझे कि मुझसे ज्यादा रोशन है वो,
मेरे तजुर्बों का दिया मगर यूँ बेअसर क्यों निकला?

मेरी परछाई में यह पौधा बड़ा पेड़ बन गया,
क्यों सोचूँ कि मेरा कद अब कम क्यों निकला?

छोड़ ऐ दिल, यह जानना-परखना फिजूल की बातें,
क्या हुआ जो उसकी रोशनी में मेरा गुरूर फीका निकला?