सामाजिक न्याय और समानता पर हिंदी कविता-⚖️🤝🌟🚫💰📚♀️♂️🌐🗣️🌱

Started by Atul Kaviraje, July 23, 2025, 10:30:07 PM

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Atul Kaviraje

सामाजिक न्याय और समानता पर हिंदी कविता-

न्याय की राह चले समाज, ⚖️
समानता का बजे हर साज।
कोई न हो छोटा, कोई न बड़ा,
खुशियों से भरा हो हर आज।
(अर्थ: समाज न्याय के रास्ते पर चले, समानता का हर गीत बजे। कोई छोटा या बड़ा न हो, खुशियों से भरा हो हर आज।)

अवसरों की हो सबको भरमार, 🌟
न हो कोई पिछड़ा, न हो मजबूर।
ज्ञान की फैले हर ओर बहार,
मिटे अंधेरा, फैले नूर।
(अर्थ: सभी को अवसरों की भरमार मिले, कोई पिछड़ा या मजबूर न हो। ज्ञान हर ओर फैले, अंधेरा मिटे, प्रकाश फैले।)

भेदभाव की जड़ को उखाड़ें, 🚫
जाति, धर्म, लिंग का भेद न हो।
प्रेम के बीज हर दिल में गाड़ें,
न कोई ऊँच-नीच का खेद न हो।
(अर्थ: भेदभाव की जड़ को उखाड़ दें, जाति, धर्म, लिंग का भेद न हो। प्रेम के बीज हर दिल में बो दें, ऊँच-नीच का कोई खेद न हो।)

आर्थिक हो सबकी खुशहाली, 💰
कोई न सोए भूखा पेट।
हर घर में हो धन की थाली,
खुले समृद्धि के सब गेट।
(अर्थ: सबकी आर्थिक खुशहाली हो, कोई भूखा न सोए। हर घर में धन की थाली हो, समृद्धि के सभी द्वार खुलें।)

शिक्षा का मिले सबको अधिकार, 📚
ज्ञान की रौशनी हर घर चमके।
न हो कोई अनपढ़, कोई लाचार,
हर बच्चा अपने सपनों में दमके।
(अर्थ: सभी को शिक्षा का अधिकार मिले, ज्ञान की रोशनी हर घर में चमके। कोई अनपढ़ या लाचार न हो, हर बच्चा अपने सपनों में चमके।)

नारी-पुरुष हो एक समान, ♀️♂️
हर क्षेत्र में पाए सम्मान।
अधिकारों का हो पूरा ज्ञान,
नारी शक्ति की हो पहचान।
(अर्थ: नारी-पुरुष एक समान हों, हर क्षेत्र में सम्मान पाएं। अधिकारों का पूरा ज्ञान हो, नारी शक्ति की पहचान हो।)

समावेशी हो सबका विकास, 🌐
हर वर्ग को मिले भागीदारी।
जीवन में भरें नया विश्वास,
दूर हो हर मन की लाचारी।
(अर्थ: सबका विकास समावेशी हो, हर वर्ग को भागीदारी मिले। जीवन में नया विश्वास भरे, हर मन की लाचारी दूर हो।)

इमोजी सारांश: ⚖️🤝🌟🚫💰📚♀️♂️🌐🗣�🌱

--अतुल परब
--दिनांक-23.07.2025-बुधवार.
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