संत सावता माली पुण्यतिथि-🧑‍🌾📿🏡❤️🤝📜🧘‍♂️🚶‍♂️✨🌟🙏

Started by Atul Kaviraje, July 24, 2025, 10:34:38 AM

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Atul Kaviraje

संत सावता माली पुण्यतिथि-

संत सावता माली पुण्यतिथि: एक विस्तृत विवेचन 🙏🌿

आज, 23 जुलाई 2025, बुधवार को हम संत सावता माली की पुण्यतिथि मना रहे हैं। संत सावता माली वारकरी संप्रदाय के एक महान संत कवि थे, जिनका जीवन भक्ति, कर्म और समर्पण का अनुपम उदाहरण है। उनका जन्म 13वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के अरणभेंडी गाँव में हुआ था। माली समुदाय से संबंधित होने के कारण, उन्होंने अपनी खेती और बागवानी के काम को ही ईश्वर सेवा का माध्यम बनाया। उनके जीवन और शिक्षाओं को निम्नलिखित 10 प्रमुख बिंदुओं में समझा जा सकता है:

1. कर्म ही पूजा का सिद्धांत 🧑�🌾
संत सावता माली ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि किसी भी काम को पूरी लगन और भक्ति से किया जाए तो वही ईश्वर की सच्ची पूजा बन जाती है। उनका प्रसिद्ध अभंग "कांदा, मुळा, भाजी, अवघी विठाई माझी" (प्याज, मूली, भाजी, सब मेरी विठाई हैं) उनके इसी सिद्धांत को दर्शाता है। वे अपनी खेती को ही विट्ठल की सेवा मानते थे।

2. नामस्मरण का महत्व 📿
संत सावता माली ने अपने अभंगों के माध्यम से नामस्मरण के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि निरंतर ईश्वर के नाम का जाप करने से मन शुद्ध होता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति मिलती है। वे अपने खेत में काम करते हुए भी विट्ठल-विट्ठल का जाप करते थे।

3. सहज और सरल जीवन 🏡
उनका जीवन अत्यंत सहज और सरल था। उन्होंने आडंबर और दिखावे से दूर रहकर एक सामान्य गृहस्थ के रूप में जीवन बिताया और अपनी दिनचर्या में ही ईश्वर को पाया। यह दिखाता है कि भक्ति के लिए किसी विशेष स्थान या स्थिति की आवश्यकता नहीं है।

4. विट्ठल भक्ति का अटूट विश्वास ❤️
संत सावता माली की विट्ठल भक्ति अद्वितीय थी। वे पंढरपुर के विट्ठल को अपने जीवन का आधार मानते थे। उनके लिए विट्ठल सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि एक परम मित्र और मार्गदर्शक थे, जिनसे वे अपनी हर बात साझा करते थे।

5. सामाजिक समरसता के प्रतीक 🤝
उस काल में समाज में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव के बावजूद, संत सावता माली ने अपनी भक्ति और आचरण से सामाजिक समरसता का संदेश दिया। वे सभी भक्तों को समान मानते थे, चाहे उनकी जाति या व्यवसाय कुछ भी हो।

6. अभंगों के माध्यम से उपदेश 📜
संत सावता माली ने अनेक अभंगों की रचना की, जो उनकी भक्ति, दर्शन और जीवन के अनुभवों को व्यक्त करते हैं। उनके अभंग सरल भाषा में होने के कारण आम लोगों तक उनकी शिक्षाएँ आसानी से पहुँचती थीं।

7. भक्तियोग का उत्कृष्ट उदाहरण 🧘�♂️
उन्होंने ज्ञानयोग या कर्मयोग के बजाय भक्तियोग को अपनाया और उसके माध्यम से परमेश्वर की प्राप्ति की। उनका भक्तियोग इतना गहरा था कि वे अपनी खेती में भी विट्ठल के दर्शन करते थे।

8. पंढरपुर वारी की परंपरा से जुड़ाव 🚶�♂️
वारकरी संप्रदाय के अन्य संतों की तरह, संत सावता माली भी पंढरपुर वारी की परंपरा से गहराई से जुड़े थे। यह वारी उनके लिए सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि अपने आराध्य से मिलने का एक पवित्र अनुष्ठान था।

9. समर्पण और निष्ठा का प्रतीक ✨
उन्होंने अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण और ईश्वर के प्रति अटूट निष्ठा का परिचय दिया। उनके लिए खेती केवल आजीविका का साधन नहीं थी, बल्कि ईश्वर सेवा का एक पवित्र यज्ञ था।

10. आज भी प्रासंगिक शिक्षाएँ 🌟
संत सावता माली की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। उनका कर्मयोग, नामस्मरण और सहज जीवन का संदेश आधुनिक जीवन की भागदौड़ में भी हमें शांति और संतोष प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके त्याग, तपस्या और भक्ति को नमन करते हैं। 🙏🌿

इमोजी सारांश: 🧑�🌾📿🏡❤️🤝📜🧘�♂️🚶�♂️✨🌟🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-23.07.2025-बुधवार.
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