ऐसा क्यों होता है? हमें छींक क्यों आती है? 🤧

Started by Atul Kaviraje, July 26, 2025, 07:06:07 PM

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Atul Kaviraje

AISA KYU HOTA HAI ?
हमें छींक क्यों आती है? 🤧

हिंदी लेख: ऐसा क्यों होता है? हमें छींक क्यों आती है? 🤧

छींक आना एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है जिसे हम सभी कभी न कभी अनुभव करते हैं। यह शरीर की एक अद्भुत रक्षा प्रणाली है जो हमें हानिकारक कणों से बचाने का काम करती है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि हमें छींक क्यों आती है।

१. छींक क्या है?
छींक (Sneezing या Sternutation) नाक और गले के माध्यम से हवा का एक अर्ध-ऐच्छिक, ज़ोरदार निष्कासन है। यह आमतौर पर नाक के म्यूकोसा (श्लेष्म झिल्ली) में जलन के जवाब में होता है। यह एक तेज़ गति वाली क्रिया होती है, जिसमें हवा लगभग १०० मील प्रति घंटे की रफ़्तार से बाहर निकलती है।

२. छींक आने का मुख्य कारण: बाहरी कण
छींक आने का सबसे आम कारण नाक के अंदरूनी हिस्से में बाहरी कणों जैसे धूल, परागकण, धुएं, प्रदूषण, या जानवरों के बाल का प्रवेश है। जब ये कण नाक की संवेदनशील झिल्ली के संपर्क में आते हैं, तो वे जलन पैदा करते हैं।

३. तंत्रिका तंत्र की भूमिका
जैसे ही ये बाहरी कण नाक में प्रवेश करते हैं, नाक के अंदरूनी हिस्से में मौजूद विशेष तंत्रिका कोशिकाएँ (nerve cells) एक संकेत मस्तिष्क को भेजती हैं। यह संकेत मस्तिष्क के उस हिस्से तक पहुँचता है जो छींकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।

४. मस्तिष्क की प्रतिक्रिया
मस्तिष्क इस उत्तेजना का जवाब देने के लिए शरीर को एक श्रृंखला में प्रतिक्रिया करने का निर्देश देता है। यह एक स्वचालित (involuntary) प्रतिक्रिया होती है, जिस पर हमारा सीधा नियंत्रण नहीं होता।

५. मांसपेशियों का संकुचन
छींकने की प्रक्रिया में कई मांसपेशियाँ शामिल होती हैं, जिनमें छाती, डायाफ्राम, पेट और गले की मांसपेशियाँ शामिल हैं। मस्तिष्क के निर्देश पर ये मांसपेशियाँ अचानक संकुचित होती हैं। आँखें भी स्वचालित रूप से बंद हो जाती हैं।

६. हवा का ज़ोरदार निष्कासन
इन मांसपेशियों के संकुचन से फेफड़ों से हवा बहुत तेज़ गति से बाहर निकलती है। यह हवा नाक और मुँह दोनों से बाहर निकलती है, जिससे जलन पैदा करने वाले कणों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

७. एलर्जिक प्रतिक्रियाएँ
कई बार छींक आने का कारण एलर्जी भी होती है। जब शरीर किसी विशेष पदार्थ (जैसे पराग, धूल के कण) को एलर्जेन के रूप में पहचानता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली हिस्टामाइन जैसे रसायन छोड़ती है। ये रसायन नाक में सूजन और जलन पैदा करते हैं, जिससे छींक आती है।

८. संक्रमण (सर्दी-जुकाम)
सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसे श्वसन संक्रमण भी छींक का कारण बन सकते हैं। इन स्थितियों में, नाक की झिल्ली में सूजन आ जाती है और अधिक बलगम बनता है, जिससे जलन होती है और शरीर इसे बाहर निकालने के लिए छींकता है।

९. अन्य असामान्य कारण
कुछ लोगों को तेज रोशनी (Photic Sneeze Reflex), ठंडी हवा, तीखे मसालेदार भोजन, या अचानक तापमान में बदलाव के कारण भी छींक आ सकती है। यह व्यक्तिगत शरीर की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है।

१०. छींक का महत्व
छींकना शरीर की एक महत्वपूर्ण रक्षा तंत्र है। यह हमें हानिकारक जीवाणुओं, धूल और अन्य परेशानियों से बचाता है, जिससे श्वसन प्रणाली साफ और स्वस्थ रहती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.07.2025-शनिवार.
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