सामूहिक अर्थशास्त्र: एक सुंदर कविता-

Started by Atul Kaviraje, July 27, 2025, 06:22:39 PM

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Atul Kaviraje

सामूहिक अर्थशास्त्र: एक सुंदर कविता-

चरण 1: संपूर्ण की बात
अर्थशास्त्र का है एक बड़ा मैदान,
सामूहिक अर्थशास्त्र, जिसमें है ज्ञान।
पूरे देश की करता यह पड़ताल,
अर्थव्यवस्था का बताए सारा हाल।
अर्थ: यह चरण बताता है कि सामूहिक अर्थशास्त्र पूरे देश की अर्थव्यवस्था का समग्र रूप से अध्ययन करता है।
🌍📊

चरण 2: जीडीपी का महत्व
सकल घरेलू उत्पाद, है इसका नाम,
उत्पादन का कुल बताए हर काम।
अर्थव्यवस्था की सेहत का ये पैमाना,
कितनी मजबूत है, यही है इसका गाना।
अर्थ: यह जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के महत्व को बताता है, जो अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का मुख्य संकेतक है।
📈💰

चरण 3: महंगाई की चाल
जब बढ़ती चीजें, मुद्रास्फीति का शोर,
धन की कीमत गिरती, आता है जोर।
क्यों बढ़ती कीमतें, क्यों कम होती क्रय शक्ति,
सामूहिक अर्थशास्त्र देता है इसकी युक्ति।
अर्थ: यह मुद्रास्फीति (महंगाई) और उसके कारणों व प्रभावों की व्याख्या करता है।
💸⬆️

चरण 4: बेरोजगारी का बोझ
काम है चाहत, पर काम मिले ना,
बेरोजगारी का दर्द, सहता बेचारा।
कितने हैं खाली, क्यों नहीं मिलता काम,
सामूहिक अर्थशास्त्र ढूंढे इसका इंतजाम।
अर्थ: यह बेरोजगारी की समस्या और उसके कारणों पर प्रकाश डालता है।
🧑�💼🚫

चरण 5: विकास की दौड़
अर्थव्यवस्था का आगे बढ़ना है लक्ष्य,
निरंतर विकास से बनता भविष्य दक्ष।
उत्पादन बढ़े, जीवन स्तर हो उच्च,
सामूहिक अर्थशास्त्र का यही है कुछ।
अर्थ: यह आर्थिक विकास के महत्व और उसके कारकों को दर्शाता है।
🚀🌳

चरण 6: सरकार की नीति
सरकार चलाती है राजकोषीय चाल,
कर और खर्च से बदलती हर हाल।
सेंट्रल बैंक करे मौद्रिक का काम,
ब्याज और मुद्रा से रखता है सब धाम।
अर्थ: यह राजकोषीय (सरकारी खर्च और कर) और मौद्रिक (केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरें और मुद्रा आपूर्ति) नीतियों की भूमिका बताता है।
🏛�🏦

चरण 7: संतुलन की तलाश
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यापार चक्र का खेल,
स्थिरता की खोज में करता यह मेल।
बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, विकास का संतुलन,
सामूहिक अर्थशास्त्र का यही है जीवन-फलन।
अर्थ: यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, व्यापार चक्र और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के सामूहिक अर्थशास्त्र के लक्ष्य को संक्षेप में प्रस्तुत करता है, जिसमें बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन बनाना शामिल है।
🌐⚖️🎯

--अतुल परब
--दिनांक-27.07.2025-रविवार.
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