श्रावणी मंगलागौरी पूजन: सौभाग्य और समृद्धि का पर्व 🌸👰‍♀️ दिनांक: 29 जुलाई-

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2025, 09:24:09 AM

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Atul Kaviraje

श्रावणी मंगलागौरी पूजन-

श्रावणी मंगलागौरी पूजन: सौभाग्य और समृद्धि का पर्व 🌸👰�♀️
दिनांक: 29 जुलाई, 2025
दिन: मंगलवार

श्रावण मास, जिसे भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती की भक्ति का महीना है। इसी पावन माह में प्रत्येक मंगलवार को श्रावणी मंगलागौरी पूजन का विधान है। यह व्रत विशेष रूप से नवविवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति की कामना से किया जाता है। मंगलागौरी देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं, और उनकी पूजा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

श्रावणी मंगलागौरी पूजन का महत्व और विवेचन (10 प्रमुख बिंदु)
उत्पत्ति और पौराणिक महत्व: मंगलागौरी पूजन का उल्लेख मत्स्य पुराण और भविष्योत्तर पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। यह माना जाता है कि देवी पार्वती ने स्वयं शिवजी को पति रूप में पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें भगवान शिव प्राप्त हुए।

नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष: यह व्रत मुख्य रूप से शादी के बाद के पहले पाँच वर्षों तक नवविवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह उनके नए वैवाहिक जीवन की शुरुआत में पति के लिए दीर्घायु और समृद्धि की कामना का प्रतीक है।

अखंड सौभाग्य की प्राप्ति: मंगलागौरी को सौभाग्य की देवी माना जाता है। इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है, जिसका अर्थ है कि उनके पति की आयु लंबी होती है और उनका सुहाग हमेशा बना रहता है।

पारिवारिक सुख और समृद्धि: यह पूजन केवल पति की लंबी आयु के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के सुख, शांति और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि देवी मंगलागौरी की कृपा से घर में खुशहाली बनी रहती है।

संतान प्राप्ति का आशीर्वाद: जिन विवाहित महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई है, वे भी इस व्रत को संतान प्राप्ति की कामना से करती हैं। यह माना जाता है कि देवी की कृपा से उन्हें स्वस्थ और गुणवान संतान का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा विधि और सामग्री: मंगलागौरी पूजन के लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी मंगलागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है। पूजा में सोलह प्रकार की सामग्रियों का उपयोग होता है, जैसे सोलह पान, सोलह सुपारी, सोलह लौंग, सोलह इलायची, सोलह प्रकार के फूल, सोलह लड्डू, सोलह पूरियाँ, सोलह दिये आदि।

अखंड दीपक जलाना: इस पूजन की एक महत्वपूर्ण विशेषता अखंड दीपक जलाना है। यह दीपक पूरी रात जलता रहता है, जो पति-पत्नी के अटूट संबंध और व्रत की दृढ़ता का प्रतीक है।

आरती और कथा श्रवण: पूजा के बाद मंगलागौरी की आरती की जाती है और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है। कथा में देवी मंगलागौरी की महिमा और व्रत के महत्व का वर्णन होता है।

मंगलवार का महत्व: श्रावण मास में मंगलवार का दिन देवी मंगलागौरी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि मंगल ग्रह सौभाग्य और वैवाहिक सुख से जुड़ा है।

उद्यापन का महत्व: पाँच वर्ष तक लगातार व्रत करने के बाद इसका उद्यापन किया जाता है। उद्यापन में ब्राह्मणों और सुहागिन महिलाओं को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दी जाती है, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.07.2025-मंगळवार.
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