जागतिक व्याघ्र दिवस: बाघों के संरक्षण का संकल्प 🐅🌍 दिनांक: 29 जुलाई, 2025-

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2025, 09:28:23 AM

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Atul Kaviraje

जागतिक व्याघ्र दिवस-अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस-मंगलवार - 29 जुलाई, 2025-

जागरूकता बढ़ाने में मदद करें और दुनिया के सबसे बड़े बाघ के सामने आने वाले खतरों के खिलाफ लड़ाई में शामिल हों। बाघ एक शानदार जीव हैं, जिन्हें अगर मदद नहीं मिली तो विलुप्त होने का खतरा हो सकता है।

जागतिक व्याघ्र दिवस: बाघों के संरक्षण का संकल्प 🐅🌍

दिनांक: 29 जुलाई, 2025
दिन: मंगलवार

हर साल 29 जुलाई को जागतिक व्याघ्र दिवस (अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के लिए समर्पित है। एक समय था जब ये भव्य शिकारी पूरे एशिया में स्वतंत्र रूप से घूमते थे, लेकिन आज उनकी आबादी गंभीर रूप से घट गई है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें इन शानदार जीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

जागतिक व्याघ्र दिवस का महत्व और विवेचन (10 प्रमुख बिंदु)
उत्पत्ति और उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित "बाघ शिखर सम्मेलन" में हुई थी। इस सम्मेलन में 13 बाघ-रेंज देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे Tx2 लक्ष्य के नाम से जाना जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य बाघ संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देना है।

बाघों की घटती आबादी: पिछले 100 वर्षों में बाघों की वैश्विक आबादी में 95% से अधिक की गिरावट आई है। अवैध शिकार, वनों की कटाई, और उनके प्राकृतिक आवासों का नुकसान इसकी मुख्य वजहें हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन: बाघ एक शीर्ष शिकारी हैं और वे अपने पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। उनकी उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि शाकाहारी जीवों की आबादी नियंत्रित रहे, जिससे वनस्पति और अन्य प्रजातियाँ फल-फूल सकें। बाघों का संरक्षण पूरे जंगल के संरक्षण के समान है।

अवैध शिकार और व्यापार: बाघों के अंगों (जैसे खाल, हड्डियाँ, और अन्य भाग) की अंतरराष्ट्रीय अवैध बाजारों में उच्च मांग है, जिससे उनका अवैध शिकार बड़े पैमाने पर होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस इस गंभीर समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।

आवास का नुकसान: मानव आबादी के विस्तार, कृषि, खनन और शहरीकरण के कारण बाघों के प्राकृतिक आवास तेजी से सिकुड़ रहे हैं। इससे बाघों और मनुष्यों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है।

संरक्षण के प्रयास: भारत सहित कई देशों ने बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे बाघ अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान स्थापित करना, अवैध शिकार विरोधी गश्त बढ़ाना, और स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करना। भारत में 'प्रोजेक्ट टाइगर' जैसे कार्यक्रम सफल रहे हैं।

Tx2 लक्ष्य की प्रगति: Tx2 लक्ष्य के तहत कई देशों ने बाघों की आबादी बढ़ाने में सफलता हासिल की है। भारत ने 2018 में ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया था, और अब दुनिया के लगभग 70% बाघ भारत में पाए जाते हैं।

जागरूकता अभियान: अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर विभिन्न देशों में शैक्षिक कार्यक्रम, वन्यजीव संरक्षण कार्यशालाएँ और जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोगों को बाघों के महत्व और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया जा सके।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन भी बाघों के आवासों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे उनके जीवित रहने की चुनौतियाँ और बढ़ रही हैं। यह दिवस इस मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित करता है।

सामूहिक जिम्मेदारी: बाघों का संरक्षण किसी एक देश या संगठन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक सामूहिक जिम्मेदारी है। यह दिन हमें एकजुट होकर इन शानदार जीवों को बचाने के लिए कार्य करने की प्रेरणा देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.07.2025-मंगळवार.
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