श्री स्वामी समर्थ के भक्तों का समर्पण-🙏💪💖🕉️

Started by Atul Kaviraje, July 31, 2025, 09:58:46 PM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ के भक्तों का समर्पण-

(भक्तिभाव पूर्ण हिंदी कविता)

चरण 1: स्वामी का आगमन 🌟
अक्कलकोट में आए स्वामी,
ज्ञान-भक्ति के वो धामी।
दत्त रूप में जग को तारे,
भक्तों के मन को संवारे।
अर्थ: स्वामी समर्थ अक्कलकोट में आए, जो ज्ञान और भक्ति के स्थान हैं। उन्होंने दत्तात्रेय के रूप में संसार को पार किया और भक्तों के मन को शुद्ध किया।

चरण 2: 'भिऊ नकोस' का वचन 💪
'भिऊ नकोस' कहते स्वामी,
'मैं हूँ तेरे संग हर धामी'।
यह वचन देता है सहारा,
हर संकट से देता किनारा।
अर्थ: स्वामी कहते हैं, 'डरो मत', 'मैं हर जगह तुम्हारे साथ हूँ'। यह वचन सहारा देता है और हर संकट से बचाता है।

चरण 3: विश्वास की डोर 🙏
अटूट श्रद्धा भक्तों की,
विश्वास की ये डोर पक्की।
तूफान में भी अडिग खड़े,
स्वामी के चरणों से जड़े।
अर्थ: भक्तों की श्रद्धा अटूट है, विश्वास की यह डोर बहुत मजबूत है। वे तूफान में भी अडिग खड़े रहते हैं, स्वामी के चरणों से जुड़े हुए।

चरण 4: सेवा का भाव 🤝
सेवा धर्म सबसे प्यारा,
स्वामी ने यही सिखाया सारा।
परोपकार में लीन रहते,
हर जीव में प्रभु को देखते।
अर्थ: सेवा धर्म सबसे प्यारा है, स्वामी ने यही सब कुछ सिखाया। भक्त परोपकार में लीन रहते हैं और हर जीव में भगवान को देखते हैं।

चरण 5: मंत्र का प्रताप 🕉�
'श्री स्वामी समर्थ' मंत्र जपे,
हर मन को शांति से लपेटे।
कण-कण में है स्वामी वास,
हर पल देते हैं वो आभास।
अर्थ: 'श्री स्वामी समर्थ' मंत्र का जाप करने से हर मन शांति से भर जाता है। स्वामी हर कण में वास करते हैं और हर पल अपनी उपस्थिति का अनुभव कराते हैं।

चरण 6: त्याग और भक्ति 🧘�♀️
त्याग, साधना से मन शुद्ध,
भक्ति में लीन हर बुद्ध।
स्वामी की कृपा जब मिले,
अज्ञान के पर्दे सब हिले।
अर्थ: त्याग और साधना से मन शुद्ध होता है, और हर ज्ञानी भक्ति में लीन रहता है। जब स्वामी की कृपा मिलती है, तो अज्ञान के सारे परदे हिल जाते हैं।

चरण 7: अमर समर्पण 💖
यह समर्पण है शाश्वत,
स्वामी संग है जीवन पथ।
सदैव रहेंगे वो साथ में,
बस लो उनका नाम हाथ में।
अर्थ: यह समर्पण शाश्वत है, स्वामी के साथ ही जीवन का मार्ग है। वे हमेशा साथ रहेंगे, बस उनका नाम अपने हाथ में (यानी हृदय में) लो।

कविता सारांश 🌟
यह कविता श्री स्वामी समर्थ के आगमन, उनके अभय वचन 'भिऊ नकोस, मी तुझ्या पाठीशी आहे', भक्तों की अटूट श्रद्धा, सेवा भाव, गुरुमंत्र जाप और त्याग का वर्णन करती है। यह कविता उनके प्रति भक्तों के असीम और शाश्वत समर्पण को दर्शाती है। 🙏💪💖🕉�

--अतुल परब
--दिनांक-31.07.2025-गुरुवार.
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