प्रमुख मराठी साहित्यिक व्यक्तित्व: संत ज्ञानेश्वर-1- 🕊️📜✨🕊️📜✨👶🏡🧘‍♂️🚫🙏🌟

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2025, 05:54:11 PM

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Atul Kaviraje

prominent Marathi literary personalities:-Classical / Early Modern Era (Pre-1900s)-

Sant Dnyaneshwar (Jnaneshwar): Philosopher, poet-saint, author of "Jnaneshwari" (commentary on Bhagavad Gita).

प्रमुख मराठी साहित्यिक व्यक्तित्व: संत ज्ञानेश्वर 🕊�📜✨

महाराष्ट्र की पावन भूमि संतों और कवियों की भूमि रही है, जिन्होंने अपनी लेखनी और विचारों से समाज को नई दिशा दी। इन महान विभूतियों में संत ज्ञानेश्वर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। वे न केवल एक कवि-संत थे, बल्कि एक गहरे दार्शनिक भी थे, जिनकी विरासत आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है।

1. जन्म और प्रारंभिक जीवन 👶🏡
संत ज्ञानेश्वर का जन्म 13वीं शताब्दी (लगभग 1275 ईस्वी) में महाराष्ट्र के पैठण के पास आप्यागाँव में हुआ था। उनके पिता विट्ठलपंत कुलकर्णी और माता रुक्मिणीबाई थीं। वे अपने भाई-बहनों, निवृत्तिनाथ, सोपानदेव और मुक्ताबाई के साथ एक असाधारण और चुनौतीपूर्ण जीवन जीते रहे।

उदाहरण: कल्पना कीजिए एक ऐसे बच्चे की, जिसे समाज ने उसके माता-पिता के संन्यासी होने के कारण स्वीकार नहीं किया। ज्ञानेश्वर और उनके भाई-बहन ने बचपन से ही सामाजिक बहिष्कार का सामना किया, जो उनके धैर्य और आध्यात्मिक दृढ़ता को दर्शाता है।

2. योग्यता और सामाजिक बहिष्कार 🧘�♂️🚫
उनके माता-पिता ने संन्यास त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था, जो तत्कालीन समाज के नियमों के विरुद्ध था। इस कारण ज्ञानेश्वर और उनके भाई-बहनों को समाज द्वारा बहिष्कृत किया गया और उन्हें भिक्षा मांगकर जीवन यापन करना पड़ा।

उदाहरण: उन्हें यज्ञोपवीत संस्कार (जनेऊ) के लिए भी अनुमति नहीं मिली, जो उस समय के ब्राह्मण समुदाय के लिए एक अनिवार्य धार्मिक संस्कार था। यह घटना उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी और उनके आध्यात्मिक पथ को मजबूत किया।

3. अध्यात्मिक गुरु - निवृत्तिनाथ 🙏🌟
ज्ञानेश्वर के बड़े भाई निवृत्तिनाथ उनके आध्यात्मिक गुरु थे। निवृत्तिनाथ ने ही ज्ञानेश्वर को नाथ संप्रदाय की दीक्षा दी और उन्हें योग तथा वेदांत का ज्ञान प्रदान किया।

उदाहरण: निवृत्तिनाथ ने ज्ञानेश्वर को अपनी असाधारण क्षमता को पहचानने और उसे सही दिशा देने में मदद की, ठीक वैसे ही जैसे एक माली एक छोटे से पौधे को सही पोषण देकर एक मजबूत पेड़ बनने में मदद करता है।

4. 'ज्ञानेश्वरी' - मराठी साहित्य का अमर ग्रंथ 📖💖
उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति 'ज्ञानेश्वरी' (Jnaneshwari) है, जो भगवद् गीता पर आधारित एक विस्तृत टीका या भाष्य है। यह ग्रंथ मराठी साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है। उन्होंने इसे मात्र 15 या 16 वर्ष की आयु में लिखा था।

उदाहरण: 'ज्ञानेश्वरी' को समझने के लिए, सोचिए कि कैसे एक युवा मन ने संस्कृत के गूढ़ दार्शनिक विचारों को सरल और मधुर मराठी में प्रस्तुत किया, जिससे आम लोगों को भी आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला। यह एक कठिन विषय को बच्चों के लिए कहानी के रूप में प्रस्तुत करने जैसा था।

5. 'ज्ञानेश्वरी' की लेखन शैली और भाषा ✍️🎶
ज्ञानेश्वरी को ओवी छंद में लिखा गया है, जो महाराष्ट्र की लोककथाओं और लोकगीतों में भी प्रचलित है। उन्होंने संस्कृत भाषा के बजाय मराठी में लिखकर ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया।

उदाहरण: उस युग में जब संस्कृत विद्वानों की भाषा थी, ज्ञानेश्वर ने मराठी को अपनाया और उसे "माझी मराठी" (मेरी मराठी) कहकर सम्मानित किया। यह एक ऐसा कार्य था जिसने स्थानीय भाषा को साहित्यिक सम्मान दिलाया, ठीक वैसे ही जैसे एक चित्रकार स्थानीय रंगों का उपयोग करके एक उत्कृष्ट कलाकृति बनाता है।

इमोजी सारांश:
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--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.08.2025-शुक्रवार.
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