संत ज्ञानेश्वर: ज्ञानसूर्य की अमृतवाणी☀️📖

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2025, 05:55:23 PM

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Atul Kaviraje

संत ज्ञानेश्वर: ज्ञानसूर्य की अमृतवाणी☀️📖
(Sant Dnyaneshwar: Ambrosial Words of the Sun of Knowledge)

महाराष्ट्र की भूमि को प्राप्त हुए एक अलौकिक संत, दार्शनिक और कवि, संत ज्ञानेश्वर! तेरहवीं शताब्दी में उन्होंने रचित 'ज्ञानेश्वरी' यानी भगवद्गीता पर एक अमृत-अनुभव है। उनके तेजस्वी और अमृततुल्य कार्य को नमन करती यह कविता...

१. ज्ञानसूर्य का उदय 🌅✨
आळंदी की भूमि पर, एक तारा चमका,
ज्ञानदेव का जन्म हुआ, भूमि धन्य हुई।
अल्पायु में ही, ज्ञान उन्होंने बांटा,
अंधेरे को भेदकर, प्रकाश उन्होंने बोया।

अर्थ: आळंदी की भूमि में संत ज्ञानेश्वर का जन्म हुआ, जिससे वह भूमि धन्य हो गई। उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में ज्ञान का प्रसार किया और अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर प्रकाश फैलाया।

२. ज्ञानेश्वरी की रचना 📜🕊�
पैस खंभे के समान, ज्ञानेश्वरी लिखी,
भगवद्गीता की गाथा, सरल भाषा में बताई।
हर ओवी (पद) से, अमृत बह निकला,
मानव जीवन का, रहस्य उजागर किया।

अर्थ: उन्होंने 'ज्ञानेश्वरी' ग्रंथ की रचना की, जिसमें भगवद्गीता का सार सरल मराठी में बताया। हर ओवी से अमृत जैसा ज्ञान निकला, जिससे मानवीय जीवन के रहस्य उजागर हुए।

३. अमृतानुभव और भक्ति 🙏💖
अमृतानुभव उनके, गूढ़ ज्ञान बताते हैं,
ईश्वर से एकरूपता, भक्ति से ही मिलती है।
योग का मार्ग दिखाया, पंथ सरल किया,
ज्ञान और भक्ति का, सुंदर बंधन जोड़ा।

अर्थ: उनके 'अमृतानुभव' गहन ज्ञान बताते हैं कि ईश्वर से एकात्मता केवल भक्ति से ही प्राप्त होती है। उन्होंने योग का मार्ग सरल किया और ज्ञान तथा भक्ति का सुंदर संगम किया।

४. समाज प्रबोधन 🗣�🌍
भेदभाव उन्होंने तोड़े, समानता का मंत्र दिया,
अंधविश्वास के विरुद्ध, ज्ञान का दीपक जलाया।
सभी के लिए खुला, भक्ति का मार्ग किया,
संत विचारों का दिया, समाज को नया वर्ग।

अर्थ: उन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त किया और समानता का संदेश दिया। अंधविश्वास के विरुद्ध ज्ञान का दीपक जलाया। सभी के लिए भक्ति का मार्ग खोला और समाज को संत विचारों का एक नया वर्ग प्रदान किया।

५. संजीवन समाधि 🧘�♀️🌟
अल्पायु में ही, उन्होंने समाधि ली,
ज्ञानदेव के तेज से, मराठी भूमि जगमगा उठी।
देह भले ही विश्राम लिया, फिर भी वे अमर हुए,
उनके विचारों से, आज भी प्रेरणा मिलती है।

अर्थ: कम उम्र में ही उन्होंने समाधि ली, लेकिन उनके ज्ञान से मराठी भूमि प्रकाशित हो गई। उनका शरीर भले ही शांत हो गया हो, फिर भी वे अमर हो गए हैं और उनके विचारों से आज भी प्रेरणा मिलती है।

६. वारकरी संप्रदाय का आधार 🚩🎶
वारकरियों के मन में, ज्ञानेश्वर माऊली (मां समान),
आषाढी-कार्तिकी को, दिंडी (पालकी) हर बार निकलती है।
ताल-मृदंग के नाद में, नामघोष गूंजता है,
ज्ञानेश्वर माऊली का, जयघोष गर्जता है।

अर्थ: वारकरी संप्रदाय के लिए संत ज्ञानेश्वर 'माऊली' (मां के समान) हैं। आषाढी और कार्तिकी एकादशी को उनकी दिंडियां निकलती हैं। ताल-मृदंग के नाद में उनका नाम लिया जाता है और 'ज्ञानेश्वर माऊली' का जयघोष होता है।

७. अविस्मरणीय विरासत 🌳 immortal
ज्ञानदेव का कार्य, है अथाह सागर,
पीढ़ियों को देता, ज्ञान निरंतर।
उनके विचारों को, करें हम वंदन,
यही उनके कार्य का, सच्चा अभिनंदन।

अर्थ: संत ज्ञानेश्वर का कार्य अथाह सागर के समान है, जो पीढ़ियों को निरंतर ज्ञान देता रहेगा। उनके विचारों को हम वंदन करें, यही उनके कार्य का सच्चा सम्मान है।

सारांश:
संत ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान संत और दार्शनिक थे, जिन्होंने 'ज्ञानेश्वरी' और 'अमृतानुभव' जैसे ग्रंथों के माध्यम से भगवद्गीता और गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान को सरल भाषा में आम लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने समाज प्रबोधन किया, समानता का संदेश दिया और भक्ति का मार्ग सभी के लिए खोला। उनका कार्य आज भी प्रेरणादायक है। 🙏✨📖

--अतुल परब
--दिनांक-01.08.2025-शुक्रवार.
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