पावन दिन आज, त्रिवेणी संगम-

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2025, 10:31:56 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

भक्तिभाव पूर्ण दीर्घ हिंदी कविता-

पावन दिन आज, त्रिवेणी संगम-

आज का दिन पावन आया है, 📅
तीन पर्वों का संगम लाया है।
दुर्गाष्टमी, दुर्वाष्टमी, जरा पूजन,
भक्तिभाव से भरा, हर मन पावन।
अर्थ: आज का दिन बहुत पवित्र है, क्योंकि इस दिन तीन पर्व - दुर्गाष्टमी, दुर्वाष्टमी और जरा पूजन - एक साथ मनाए जा रहे हैं, जो हर मन को भक्ति से भर देते हैं।

1. दुर्गा माँ की महिमा
माँ दुर्गा की जय हो, शक्ति स्वरूपा, 🌸
हर संकट हर्ता, हर भय रूपा।
करो आराधना, पावन मन से,
भर दो जीवन को, सुख-शांति धन से।
अर्थ: शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा की जय हो, जो सभी संकटों और भयों को दूर करती हैं। पवित्र मन से उनकी आराधना करें ताकि जीवन सुख, शांति और धन से भर जाए।

2. दूर्वा का अर्पण
दूर्वा घास हरी, गणेश को प्रिय, 🌿
प्रकृति का वरदान, अति ही भव्य।
पुत्र की लंबी उम्र, सुख का आधार,
दुर्वाष्टमी पर करें, प्रेम से स्वीकार।
अर्थ: हरी दूर्वा घास भगवान गणेश को बहुत प्रिय है और यह प्रकृति का एक भव्य वरदान है। यह पुत्र की लंबी उम्र और सुख का आधार है, दुर्वाष्टमी पर इसे प्रेम से स्वीकार करें।

3. जरा-जीवन्तिका का स्नेह
जरा-जीवन्तिका माँ, बच्चों की रक्षक, 👶
दूर करे रोग, बने जीवन की दर्शक।
माताओं का व्रत, प्रेम की पुकार,
संतान के हित, करें सच्चा उपकार।
अर्थ: जरा-जीवन्तिका माँ बच्चों की रक्षक हैं, जो रोगों को दूर करती हैं और जीवन की मार्गदर्शक बनती हैं। माताओं का व्रत उनके प्रेम की पुकार है, जो संतान के लिए सच्चा उपकार करता है।

4. शक्ति का आह्वान
बुराई पर विजय, शक्ति का प्रतीक, 💪
हर बाधा मिटाए, हो जीवन ठीक।
दुर्गा माँ का आशीर्वाद, मिले जो भी,
जीवन के पथ पर, चले रोशनी तभी।
अर्थ: माँ दुर्गा की शक्ति बुराई पर विजय का प्रतीक है, जो हर बाधा को मिटाकर जीवन को सही राह पर लाती है। उनका आशीर्वाद प्राप्त होने पर ही जीवन के पथ पर रोशनी मिलती है।

5. प्रकृति का सम्मान
वृक्षों का संरक्षण, दूर्वा का मान, 🌳
प्रकृति से जुड़ा है, अपना सम्मान।
जो इसे पूजे, वह धन्य हो जाए,
जीवन में सुख-समृद्धि, सदा भर जाए।
अर्थ: वृक्षों का संरक्षण और दूर्वा का सम्मान प्रकृति से जुड़ा है और यह हमारा अपना सम्मान है। जो इसकी पूजा करता है, वह धन्य हो जाता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि सदा बनी रहती है।

6. मातृत्व का बंधन
माँ का त्याग, प्रेम का सागर, 💖
बच्चों के लिए जिए, हर पल जाकर।
जरा-जीवन्तिका पूजा, यह है प्रतीक,
मातृत्व का बंधन, सबसे अधिक।
अर्थ: माँ का त्याग प्रेम का सागर है, वह बच्चों के लिए हर पल जीती है। जरा-जीवन्तिका पूजा मातृत्व के इस बंधन का प्रतीक है, जो सबसे महत्वपूर्ण है।

7. तीनों का संगम
तीनों पर्वों का अद्भुत संगम, ✨
देते हैं शिक्षा, भक्ति का पल-पल।
जीवन में खुशियाँ, भरते हैं आज,
करो नमन सबको, सुनो मन की आवाज़।
अर्थ: इन तीनों पर्वों का अद्भुत संगम हमें हर पल भक्ति की शिक्षा देता है। आज ये पर्व जीवन में खुशियाँ भरते हैं, इसलिए सबको नमन करें और अपने मन की आवाज सुनें।

दीर्घ कविता का इमोजी सारांश:
पावन दिन 📅, दुर्गा माँ 🌸, दूर्वा 🌿, जरा-जीवन्तिका 👶। शक्ति 💪, प्रकृति 🌳, मातृत्व 💖। तीनों का संगम ✨, भक्ति से भरा। 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-01.08.2025-शुक्रवार.
===========================================